मशरूम लेडी अनु कंवर: जानिए राजस्थान की महिला किसान की सफलता की कहानी Rajendra Suthar, September 20, 2024September 20, 2024 किसान साथियों खेती के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका बढ़ती जा रही है। राजस्थान के शाहपुरा जिले की बात करे तो शाहपुरा जिले की अनु कंवर कानावत ने अपनी मेहनत और नई तकनीकों के जरिए न केवल अपने लिए एक सफल व्यवसाय बनाया है, बल्कि वह अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी हैं। उन्होंने साबित किया है कि महिलाओं के लिए कृषि क्षेत्र में भी अपार संभावनाएँ हैं, विशेषकर मशरूम की खेती में।सामाजिक चुनौतियों का सामना : अनु का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है। उन्होंने विपरीत सामाजिक परिस्थितियों के बावजूद भी एमबीए की शिक्षा प्राप्त की। शिक्षा के प्रति उनकी लगन ने उन्हें मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया जिसकी बदौलत आज वह मशरूम की खेती में एक नई पहचान बना चुकी है। अनु का कहना है की मैं चाहती हु की ग्रामीण महिलाये भी आत्मनिर्भर बनें और अपने व्यवसाय के जरिये अपनी सपनो को नई उड़ान देकर साकार करे। उनके लिए खेती सिर्फ खेती नहीं होकर समाज में बदलाव लाने का सकारात्मक माध्यम बने।Also Read रबी फसल बुवाई: परंपरागत विधियों से भरपूर फसल प्राप्ति आर्थिक सम्भावनाए : अनु कंवर ने बताया की मशरूम के खेती में लागत लगभग 30 प्रतिशत होती है , जबकि मुनाफ़ा 70 प्रतिशत तक कमाया जा सकता है। ये आंकड़ा सुनकर की किसान भाई और युवा किसान, महिलाये इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रेरित हो रहे है। उन्होंने मशरूम की खेती के लिए एक छोटे कमरे में डार्क शेड बनाकर ऐसे संभव बनाया। इसमें कमरे का तापमान 17-25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation)मशरूम की लगभग 50 किस्में होती है, जिनमें ऑयस्टर और बटन मशरूम शामिल है। अनु ने दोनों किस्मों की खेती के तरीके को सरल और प्रभावी ढंग से समझाया है।ऑयस्टर मशरूम: इसके लिए गेहूं के चारे से कंपोस्ट तैयार की जाती है। फिर इसमें मशरूम के बीज मिलाकर 5 से 10 किलो की थैली में भरकर डार्क शेड में ऊंची जगह पर रखा जाता है। यह प्रक्रिया 45 दिनों में तैयार होती है।बटन मशरूम : इसके लिए गेंहू के भूसे से खाद तैयार करने में 21 दिन का समय लगता है। फिर कम्पोस्ट में बटन मशरूम के बीज मिलाकर डार्क शेड में रखा जाता है , जो लगभग तीन महीने में तैयार हो जाती है।Also Read 25 सितंबर से 25 अक्टूबर तक बोएं अगेती किस्म के आलू और पाए बेहतरीन पैदावार अनु कंवर कानावत की मेहनत और हौसलों को पहचानते हुए उन्हें समाज रत्न से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें शाहपुरा जिला स्तर पर कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिया गया। इसके अलावा, अनु को ऑर्गेनिक प्रोडक्ट के लिए भी व्यापक पहचान मिली है। उनकी मेहनत ने न केवल उन्हें, बल्कि उनके गांव और समुदाय को भी एक नई दिशा दी है।रिसर्च सेंटर की स्थापनामार्च 2017 में अनु ने एक रिसर्च सेंटर भी खोला, जहां मशरूम से विभिन्न उत्पाद जैसे दवाइयां, प्रोटीन पॉउडर, अचार, नमकीन आदि बनाये जाते है। उनके बनाये गए प्रोडक्ट की मांग देशभर में है। अनु मशरूम के खेती के अलावा अन्य किसानो से मशरूम खरीदती भी है , जिससे वह अपने व्यवसाय को और मजबूत बनाती है।अनु कंवर की कहानी इस बात का प्रमाण है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं, यदि उन्हें सही मार्गदर्शन और संसाधन मिलें। उनकी मेहनत और समर्पण ने न केवल उन्हें व्यक्तिगत सफलता दिलाई है, बल्कि उन्होंने कई अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रेरित किया है।निष्कर्षअनु कंवर कानावत की सफलता की यात्रा सीख देती है की मेहनत और नई तकनीकों के प्रयोग से किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। उनके अनुभव और कहानी से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि खेती केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का एक सशक्त माध्यम है। यदि अन्य महिलाएं अनु की तरह अपनी पहचान बनाएं और आत्मनिर्भर बनें, तो वे न केवल अपने जीवन को बदल सकती हैं, बल्कि समाज को भी आगे बढ़ा सकती हैं। कृषि समाचार