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25 सितंबर से 25 अक्टूबर तक बोएं अगेती किस्म के आलू और पाए बेहतरीन पैदावार

Rajendra Suthar, September 15, 2024September 15, 2024

किसान साथियों आलू भारत में प्रमुख खाद्यान्नों में से एक है और इसके बिना भोजन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सही समय पर आलू की बुवाई और उचित देखरेख से इसकी पैदावार को बढ़ाया जा सकता है। आलू की अगेती किस्मों की बुवाई की बात करे तो इस क़िस्म के आलू की बुवाई 25 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच कर सकते हैं।

धान की फसल की कटाई के बाद किसान आलू की बिजाई शुरू कर सकते हैं। आलू की खेती के लिए आमतौर पर दिन का तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान लगभग 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। आलू की खेती के लिए दोमट भूमि उपयुक्त मानी जाती है।

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आलू की अगेती किस्मे

हरियाणा में आमतौर पर कुफरी, एलआर, कुफरी पुखराज, कुफरी बादशाह, कुफरी चिप्सोना-1, और कुफरी चिप्सोना-3 किस्मों की आलू की बुवाई की जाती है। बुवाई से पहले मिट्टी को जैविक विधि से तैयार करें और प्रति एकड़ 12 से 23 क्विंटल बीज डालें।

कुफरी पुखराज: यह किस्म स्वादिष्ट और उन्नत गुणवत्ता की होती है। इसमें उच्च पैदावार की संभावना होती है।

कुफरी बादशाह: यह किस्म भी उत्तम गुणवत्ता की होती है और अच्छी उपज देती है।

कुफरी चिप्सोना-1 और 3: ये किस्में विशेष रूप से चिप्स उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं।

आलू की बुवाई के लिए एयरोपोनिक तकनीक का करे उपयोग

किसान एयरोपोनिक तकनीक का उपयोग करके भी आलू उगा सकते हैं। यह तकनीक हवा में आलू उगाने की प्रक्रिया है। शुरुआत में, आलू लैब से हार्डनिंग यूनिट तक पहुंचाए जाते हैं। इसके बाद, पौधों की जड़ों को बावस्टीन में डुबोया जाता है, जिससे फंगस का प्रभाव कम हो जाता है। फिर, पौधों को कॉकपिट में बेड बनाकर लगाया जाता है। लगभग 10 से 15 दिनों के बाद, इन पौधों को एयरोपोनिक यूनिट में ट्रांसफर कर दिया जाता है। उचित समय पर, आलू की फसल तैयार हो जाती है।

बीज उत्पादन के लिए इस किस्म में आमतौर पर ग्रीन हाउस तकनीक का उपयोग किया जाता है। एक पौधे से 5 छोटे आलू प्राप्त होते हैं, जिन्हें खेत में रोपित किया जाता है। इसके बाद, बिना मिट्टी के कॉकपिट में आलू का बीज उत्पादन शुरू किया जाता है। एक पौधा 40 से 60 छोटे आलू देता है, जिन्हें खेत में बीज के रूप में रोपित किया जाता है। इस तकनीक से पैदावार लगभग 5 गुना बढ़ जाती है।

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पिछले साल किसानों को आलू के अच्छे दाम मिले थे। प्रति एकड़ 80 हजार से एक लाख रुपए की आमदन हुई थी, और सीजन के दौरान आलू की बिक्री 2 हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से हुई थी। चिड़ाव गांव के प्रगतिशील किसान प्रवीण नरवाल ने बताया कि वे लगभग 40 एकड़ में आलू की खेती करते हैं। पिछला सीजन किसानों के लिए अच्छा रहा, और इस बार भी उन्हें उम्मीद है कि आलू का सीजन अच्छा रहेगा।

पंक्ति विधि से आलू की बुवाई

इस विधी में आलू की बुवाई आमतौर पर पंक्तियों में की जाती है। जिसमे पंक्तियों के बीच 60 से 75 सेंटीमीटर की दूरी रखें और पौधों के बीच 20 से 30 सेंटीमीटर की दूरी रखें। इसमें आलू के बीज को 10 से 15 सेंटीमीटर गहरी मिट्टी में डालें। इससे आलू की जड़ें अच्छी तरह से विकसित हो सकेंगी और फसल की गुणवत्ता में सुधार होगा। बुवाई से पहले खेत में उचित मात्रा में खाद और उर्वरक डालें। अच्छी फसल के लिए, 15 से 20 क्विंटल गोबर की खाद और आवश्यक उर्वरक का उपयोग करें।

निष्कर्ष

25 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच अगेती किस्म के आलू की बुवाई करना फसल की बेहतर गुणवत्ता और उच्च पैदावार के लिए महत्वपूर्ण है। उचित तैयारी, बुवाई विधि, देखरेख और कटाई से आप शानदार आलू की फसल प्राप्त कर सकते हैं। अपनी मेहनत और सही तकनीकों के साथ, आप आलू की खेती में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और लाभदायक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

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