रबी फसल बुवाई: परंपरागत विधियों से भरपूर फसल प्राप्ति Rahul Saharan, September 19, 2024September 19, 2024 राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी जानते है कि खरीफ की फसल ककी कटाई का समय नजदीक आ रहा है। तथा रबी की फसल की बुवाई का समय भी शुरू होने वाला है। जी किसान भाई रबी की फसल की बुवाई के लिए अपने खेतों को खाली रखते है, वो इस समय रबी की फसल की बुवाई करने की तैयारी करना शुरू कर देते है। इसके अलावा जो किसान भाई धान की खेती करते है तो उनको अधिक नमी के कारण रबी की फसल की बुवाई करने में परेशानियो का सामना करना पड़ता है।किसान साथियो इस वर्ष बारिश बहुत ही अधिक हो रही है। जिसके चलते धान वाली जमीनों में अधिक नमी होने के कारन उनको तैयार करने में अधिक समय लगता है। तो इस स्थिति में रबी की फसल की बुवाई करने की एक परम्परागत विधि उतेरा तकनीक एक बहुत अधिक प्रभावी और कामगार समस्या निवारण विधि है। और यह विधि विशेषकर निचली तथा मध्यम भूमि के क्षेत्रों में अधिम प्रभावशाली होती है।उतेरा तकनीक क्या है –किसान साथियो रबी की फसल की इस परम्परागत विधि में खेत में उपस्थित सम्पूर्ण नमी को काम में लिया जा सकता है। जिसके चलते यदि बुवाई में देरी हो रही है तो भी फसल की अच्छी उत्पादकता प्राप्त की जा सकती है। किसान भाइयों हमारे देश में सिचाई के साधनों की कमी के कारण रबी की फसल की बुवाई नही हो पाती है जिससे खेत खाली रह जाते है। लेकिन रबी की फसल की इस परम्परागत विधि के द्वारा खरीफ की फसल के समय उपस्थित नमी का फायदा उठाकर चन्ना, मटर, अलसी आदि प्रकार के बीजों का छिड़काव कर दिया जाता है। जिसके कारण इसमें लागत कम आती है तथा उत्पादकता अधिक प्राप्त की जाए सकती है।उतेरा तकनीक कहाँ उपयोगी है-किसान साथियों इस साल मानसून के अक्टूबर तक चलने की सम्भावना मौसम विभाग के द्वारा बताई जा रही है। जिसके कारण जो अधिक बरसात वाले स्थान है जहाँ पर धान की खेती की जाती है। उन जगह पर नमी की मात्रा बहुत अधिक होने के कारण वह पर रबी की फसल की बुवाई समय पर करना मुश्किल है। जिसके कारण यहाँ पर वर्षों पुराणी परम्परागत विधि जिसे उतेरा विधि कहा जाता है के द्वारा चना, मटर, अलसी आदि की बुवाई की जा सकती है।किसान साथियों इस तकनीक का उपयोग मूल रूप से भारत के कुछ राज्य जैसे- बिहार, छत्तीसगढ़, झारखण्ड तथा मध्यप्रदेश में इस विधि के द्वारा कई वर्षों से किया जा रहा है। और यह विधि निचली भूमि तथा मध्यम भूमि में उपयोगी होती है। जिसके खासकर के वो भूमि जहाँ पर ताल हो। क्योकि ताल वाले खेतो में जल को सोखने की क्षमता बहुत अधिक होती है। जिसके कारण इन खेतों में नमी की मात्रा बहुत लंम्बे समय तक बनी रहती है। इस तकनीक से बुवाई करने के कारण खरीफ की फसल यानि की धान की फसल की कटाई को हाथों के द्वारा की जाती है क्योकि अगर मशीनों द्वारा कटाई की जाएगी तो बोई गयी रबी की फसल नष्ट हो जाएगी। यह विधि किसानों के लिए बहुत अधिक लाभदायक मानी जाती है।Also Read 20% इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ने से खाद्य तेल में 15-20 रुपए का इजाफा उतेरा तकनीक का इस्तेमाल-किसान साथियो रबी की फसल की बुवाई करने की इस विधि में खरीफ की फसल जब पकने के लिए तैयार होती है या खरीफ की फसल को काटने से लगभग 15 दिन पहले रबी की फसल के बीजों का छिड़काव कर दिया जाता है। और रबी की फसल के बीजों के छिड़काव करने की क्रिया को अक्टूबर और नवम्बर महीने के बीच में किया जाता है। और इस विधि के अंतर्गत तिलहन तथा दलहन की फसल को उगाया जाता है। किसान साथियों रबी की फसल के अंतर्गत आप चन्ना, सरसों, अलसी, मटर आदि प्रकार की फसलों का बिजान कर सकते है।इस विधि से बुवाई करने के लिए खेत में नमी की मात्रा अच्छी होनी चाहिए ताकि बोये गए बीज मिट्टी के अंदर अच्छी तरह से चिपक जाए। इस विधि में किसान साथियो अगर पानी की मात्रा अधिक होती है तो खेत में डाले गए बीज पानी की अधिक मात्रा के कारण गल जाएगें। और इनको अच्छी बढ़वार होने के लिए इनमे जरूरी पोषक तत्व आवश्यक मात्रा में डाले जाते है जिससे इनकी पैदावार सही हो सके।उतेरा तकनीक के लाभ-किसान साथियों जैसा की आप सभी को मालूम है की इस विधि के द्वारा बिहार, छत्तीसगढ़, झारखण्ड तथा मध्यप्रदेश राज्यों में खेती की जाती है। इस विधि के द्वारा बरसात वाले क्षेत्रों में तिलहन तथा दलहन फसलों की बेहतर उत्पादकता प्राप्त की जा सकती है। और इस विधि से खेती करने के द्वारा बरसात से बनी हुयी नमी का सही इस्तेमाल किया जा सकता है। और इस विधि में अन्य प्रकार की विधियों से फसल उगाने में आने वाली लागत से कम लागत आती है जिसके कारण यह उन विधियों से सस्ती पड़ती है।इस विधि के द्वारा खेती करने से दलहनी प्रकार की फसलों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण की प्रक्रिया के द्वारा खेत में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है। जिसके कारण किसान को दूसरी प्रकार की फसलों की बुवाई में पहले की तुलना में नाइट्रोजन वाली खाद को कम मात्रा में ही डालना पड़ता है। और बरसात वाले क्षेत्रों में किसान इस विधि के द्वारा एक से अधिक प्रकार की फसलों की उपज ले सकता है। जिससे किसान को कम लागत के अंदर अधिक उपज प्राप्त होगी और उसकी आय में भी बढ़ोतरी होगी।उतेरा तकनीक में सावधानियाँ- किसान साथियो इस विधि से रबी की फसल की बुवाई करने में आपको निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना बहुत आवश्यक है-इस विधि से बुवाई करते समय खेत के अंदर बहुत अधिक मात्रा में पानी नहीं होना चाहिए नहीं तो फसल के बीज सड़ जाएगें।किसान भाई ध्यान रखें की जब आप इस विधि से रबी की फसल की बुवाई करते है तो मिट्टी गीली होनी चाहिए।किसान भाई रबी की फसल की बुवाई सही समय पर करें। और खेत में नमी की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए।किसान अगर इस विधि के द्वारा चन्ना जैसी फसलों का बिजान करते है तो फसल के उगने के बाद उनकी शीर्ष कलिकाओं को तोड़ देना चाहिए ताकि वे अधिक शाखाएँ फैला सके। जिसे आपको फलियों की मात्रा अधिक प्राप्त हो सके।किसान इस विधि का उपयोग अगर आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक तरीको से करे तो इसके द्वारा फसल की बहुत अधिक को अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकता है। कृषि सलाह