प्रो ट्रे नर्सरी तकनीक (Pro Tray Nursery Technique): किसानों की आय बढ़ाने का नया तरीका Rajendra Suthar, September 10, 2024September 10, 2024 किसान भाइयों सब्जियों की बंपर पैदावार के लिए स्वस्थ पौध तैयार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। परंपरागत नर्सरी विधियों से समय पर स्वस्थ पौध नहीं मिल पाती और कीट व रोगों की आशंका भी अधिक रहती है। इसके मुकाबले, प्रो-ट्रे तकनीक से सब्जियों की पौध उत्पादन में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।कृषि विशेषज्ञ के अनुसार अनाज वाली फसलों की तुलना में बागवानी फसलों की खेती किसानों के लिए अधिक लाभदायक होती है, लेकिन बागवानी फसलों में टेक्नोलॉजी की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, खासकर सब्जियों की खेती में। उसी कड़ी में प्रो-ट्रे नर्सरी तकनीक का उपयोग करके पौध तैयार करके कीट और रोगों की आशंका को काफी हद तक समाप्त किया जा सकता है।Also Read जैविक खेती से मिली सफलता : जानिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किसान की प्रेरणा दायक यात्रा प्रो ट्रे नर्सरी तकनीक (Pro Tray Nursery Technique) क्या हैप्रो-ट्रे नर्सरी तकनीक एक ऐसी विधि है जिसमें हम प्लास्टिक की खानेदार ट्रे में नर्सरी तैयार करते है, जिसमें मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती। इस विधि का उपयोग करके टमाटर, शिमला मिर्च और खीरे की पौधे प्लग ट्रे में आसानी से बिना मिट्टी के तैयार किये जा सकते है। यह विधि ज्यादातर पॉलीहाउस और रिसर्च स्टेशनों में काम में ली जाती है।कैसे तैयार होती है नर्सरीग्रोइंग मीडिया तैयार करना: सबसे परहले कोकोपीट, वर्मीकुलाइट और परलाइट को 3:1:1 के अनुपात में मिला लें। अब इस मिश्रण को प्रो-ट्रे के प्रत्येक खाने में भरें।बीज बुवाई: प्रो-ट्रे के प्रत्येक खाने के केंद्र में उंगलियों से एक छोटा सा 0.5 सेमी गहरा छेद बनाकर, हर गड्ढे में एक-एक बीज की बुवाई करें। बीजों को बुवाने से पहले फफूंदनाशक जैसे थीरम 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करें।ट्रे का आकार : शिमला मिर्च, टमाटर जैसी छोटी बीज वाली फसलों के लिए 1 इंच आकार की छोटी ट्रे पर्याप्त रहती है, जबकि कदूवर्गीय फसलों जैसे खीरा के लिए 1.5 इंच के बड़े प्लग ट्रे का उपयोग बेहतर रहता है।सिंचाई: वर्मीकुलाइट की एक परत डालने के बाद हल्के फव्वारे से सिंचाई करें। बीजों के अंकुरण के लिए 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उचित रहता है। अगर तापमान उपयुक्त है तो ट्रे को बाहर रखा जा सकता है, अन्यथा कम तापमान होने पर बीज बुवाई के बाद ट्रे को मिस्ट चैम्बर, पॉलीहाउस या नेट हाउस में रखना सही रहता है। मौसम के आधार पर ट्रे को रोजाना या वैकल्पिक दिनों में हल्की फुहार से भी सिंचाई करें।पौध का ट्रांसप्लांट : जब पौध ट्रांसप्लांट के लिए तैयार हो जाती है तो उन्हे जड़ों और ग्रोइंग मीडिया के साथ ट्रे से बाहर निकालकर मुख्य स्रोत में रोपाई की जाती है।Also Read वर्मी कम्पोस्ट इकाई पर किसानों को मिलेगा 50 हजार रुपये का सरकारी अनुदान : जानिए सम्पूर्ण जानकारी प्रो ट्रे प्रबंधनबुआई के बाद 10 ट्रे को फसलों के आधार पर 3 से 6 दिनों के लिए एक दूसरे के ऊपर रखा जाता है। अंकुरण तक नमी का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए पॉलीथीन का उपयोग करके पूरे ढेर को आवृत किया जाता है।अंकुरण के बाद ट्रे को छायाघर में स्थानांतरित कर दिया जाता है और नर्सरी क्यारियों पर फैला दिया जाता है।मौसम की स्थिति के आधार पर ट्रे पर प्रत्येक दिन हल्के से एक अच्छे तरीके से छिड़काव करना उचित रहता है। छिड़काव गुलाब कैन या नली पाइप का उपयोग करके किया जाता है।पौधों की सुरक्षा करने के लिए ट्रे को फफूंदनाशकों (कार्बेन्डाजिम या थीरम) के साथ भिगोया जाता है।पौधों की वृद्धि के लिए बुवाई के 12 और 20 दिनों बाद पानी में घुलनशील उर्वरकों का उपयोग 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से किया जाना चाहिए।बारिश की स्थिति में प्रो-ट्रे को पॉलीथीन से ढकने के लिए सुरंग संरचना का प्रयोग किया जाता है।रोग फैलाने वाले कीटों का प्रबंधन करने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव अंकुरण के 7 से 10 दिनों बाद और रोपाई से पहले किया जाता है।पौधे मुख्य क्षेत्र में रोपाई के लिए लगभग 21 से 25 दिनों में तैयार हो जाते है।निष्कर्षकिसान साथियों प्रो-ट्रे नर्सरी तकनीक का उपयोग करके सब्जियों की स्वस्थ और समय पर पौध तैयार की जा सकती है, जिससे बंपर उत्पादन संभव हो सकता है और आय में बढ़ोतरी की जा सकती है। कृषि सलाह