जैविक खेती से मिली सफलता : जानिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किसान की प्रेरणा दायक यात्रा Rajendra Suthar, September 10, 2024September 10, 2024 किसान साथियों आज देश के किसी भी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी का कोई पहलू अछूता नहीं रहा है। खासकर कृषि क्षेत्र में, जहां परंपरागत रूप से यह माना जाता था कि खेती और बागवानी का काम केवल पुरुष ही कर सकते हैं वही कुछ महिला किसानों ने अपनी मेहनत और संकल्प से इस बात को तोड़कर सफलता प्राप्त की है। पहले भी महिलाएं घर के कामों के साथ-साथ खेती में भी पुरुषों का सहयोग करती रही हैं, लेकिन पूरी तरह से अपनी मेहनत और लगन से खेती करने वाली महिलाओं की संख्या अभी भी पुरुषों की तुलना में बहुत कम है।आज हम एक ऐसी महिला की सफलता की कहानी प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसने कृषि क्षेत्र में अपनी अनोखी और अनूठी पहचान बनाई है। इस महिला ने न केवल खुद को साबित किया, बल्कि कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। उनकी कहानी प्रेरणा का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो यह दर्शाता है कि महिलाओं की मेहनत और लगन किसी भी मिथक को चुनौती देने की क्षमता रखती है।Also Read बटाई पर दी गई जमीन पर सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदम यह महिला किसान राजस्थान राज्य की निवासी हैं। इनका नाम संतोष पचार है। संतोष पचार सीकर जिले के झिगर बड़ी गांव में रहती हैं। संतोष के पास खेती के लिए 30 बीघा जमीन है। अपनी मेहनत और लगन से संतोष ने अपने राज्य में एक अलग पहचान बनाई है और उन्हें 2013 और 2017 में क्रमशः राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।संतोष की शिक्षा की बात करे तो संतोष अधिक पढ़ी लिखी नहीं है। वे केवल आठवीं कक्षा तक ही पढ़ी है। फिर भी उन्होंने कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद कृषि क्षेत्र में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है। उनकी सफलता यह साबित करती है कि समर्पण और मेहनत से किसी भी क्षेत्र में ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है।सफलता की यात्रा की शुरुआतजानकारी के अनुसार संतोष पचार ने 2002 के आसपास अपने खेत में उन्नत जैविक खेती शुरू की थी। शुरुआत में संतोष ने अपने खेत में गाजर की फसल की खेती की, लेकिन गाजर की उपज लंबी, पतली और टेढ़ी थी। इस परिणाम को देखकर संतोष को अहसास हुआ कि बाजार से खरीदे गए बीज की गुणवत्ता खराब थी। अपनी फसल की गुणवत्ता को सुधारने के लिए, संतोष ने खुद बीज तैयार करने का फैसला किया। उनकी बीज तैयार करने की विधि अन्य किसानों से अलग थी। अंततः संतोष की मेहनत रंग लाई और उन्होंने गाजर की मिठास में 5 प्रतिशत और उत्पादन क्षमता में 2 से 3 गुना बढ़ोतरी देखी। उनकी इस तकनीक के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें सम्मानित किया और 3 लाख रुपए का पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया।Also Read सपनों की ऊँचाई: जानिए लवलेश कुमार की 10वीं तक की पढ़ाई से दुग्ध उत्पादन में रिकॉर्ड तक की कहानी बागवानी में भी सफल अर्जित कीसंतोष ने खेती के साथ-साथ बागवानी में भी हाथ आजमाया और इसमें भी सफलता प्राप्त की। उनके पति ने अनार के बाग लगाने का विचार प्रस्तुत किया, जिसे संतोष ने तुरंत स्वीकार कर लिया। उन्होंने अपने खेत में अनार का बाग लगाया और तीन साल बाद पेड़ों से फल प्राप्त होने लगे। अनार की खेती से उन्हें अच्छा लाभ मिला। इसके बाद, उन्होंने नींबू और अमरूद के पौधे भी लगाए, जिससे भी उन्हें अच्छा फायदा हुआ। आज, संतोष बागवानी के माध्यम से सालाना लगभग 25 से 30 लाख रुपए की आय कर रही हैं।गाय के गोबर से बायोगैस संयंत्रसंतोष ने गाय के गोबर से बायोगैस संयंत्र स्थापित करने में भी सफलता पाई। उनके इस प्रयास से गांव के करीब 20 घरों को लाभ हुआ। आज, संतोष गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं। वे ग्रामीण महिलाओं को खेती के नए तरीकों और तकनीकों की जानकारी देती हैं, ताकि वे इन तकनीकों का उपयोग करके उत्पादन बढ़ा सकें। Blog कृषि समाचार