मोटे अनाज की खेती: जानिए कृषि क्षेत्र में बदलाव और किसानों की नई उम्मीदें Rahul Saharan, October 26, 2024October 26, 2024 राम राम किसान साथियों जैसा की आपो सभी जानते है कि आप सभी जानते है की मोटे को किसानो की आर्थिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मोठे अनाज के अंतर्गत आठ प्रकार की फसलों को सम्मिलित किया गया है जो की निम्नप्रकार है – ज्वार, बाजरा, रागी (महुआ), कुटकी, संवा, कंगनी, चना, कोदो, जौ और मक्का। मोटे अनाज की अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय बाजार दोनों में बहुत अधगिक मांग है। और मोटे अनाज सेहत की दृस्टि से बहुत अधिक फायदेमंद माना जाता है।किसान साथियो मोटे अनाज की खेती करने से किसानो को आर्थिक रूप से बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है। क्योकि बाजार के अंदर इन फसलों के दाम लगभग 5000 रूपये से लेकर के 7000 रूपये प्रति कविंटल तक होते है। और बिहार राज्य के गया जिले में कृषि के क्षेत्र में बहुत अधिक बदलाव देखे जा सकते है। क्योकि वर्तमान समय में जो फैसले लुप्त होने की कगार पर है। उनकी वापसी का दौर दिखाई दे रहा है। और इन सब के पीछे व्हा के किसानो की मेहनत और लगन है। क्योकि मोटे अनाज को हमारी सेहत के लिए रामबाण माना जाता है।किसान साथियों बिहार राज्य के गया जिले में मोटे अनाज की खेती लगभग विलुप्ति की कगार पर ही आ चुकी थी। परन्तु इसके फायदे तथा इससे होने वाले मुनाफे को देखते हुए गया जिले के किसानो ने बाजरा, संवा तथा रागी (महुआ) की खेती करना फिर से शुरू कर दिया है।किसान साथियों बिहार राज्य के गया जिले के एक क्षेत्र गुरारू प्रखड में हाल ही में लगभग 25 एकड़ में संवा की फसल लहरा रही है। बिना खेती के जो भूमि कभी बंजर दिखाई दिया करती थी उसमे भी मोटे अनाज की खेती करने का प्रयोग बहुत ही अधिक लाभदायक दिखाई दे रहा है। और इसके साथ ही गया जिलके के किसानो ने कृषि विभाग के सहयोग से लगभग 25 एकड़ क्लस्टर क्षेत्र में संवा की खेती करना प्रारम्भ किया है। और अब कुछ समय के बाद इसकी कटाई का समय शुरु हो जाएगा।इसके साथ ही कृषि विभाग के प्रोत्साहन के द्वारा किसान साथियो ने संवा की खेती के अतिरिक्त किसान भाई क्लस्टर सेंटर बनाकर के रागी (महुआ) तथा बाजरा की खेती भी कर रहे है।Also Read नवंबर में लहसून की खेती(Lahsoon Farming): जानिए लहसून की खेती की सम्पूर्ण प्रक्रिया मोटे अनाज का महत्व-किसान साथियो मोटे को किसानो की आर्थिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मोठे अनाज के अंतर्गत आठ प्रकार की फसलों को सम्मिलित किया गया है जो की निम्नप्रकार है – ज्वार, बाजरा, रागी (महुआ), कुटकी, संवा, कंगनी, चना, कोदो, जौ और मक्का। मोटे अनाज की अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय बाजार दोनों में बहुत अधगिक मांग है। और मोटे अनाज सेहत की दृस्टि से बहुत अधिक फायदेमंद माना जाता है। मोटे अनाज की खेती करने से किसानो को आर्थिक रूप से बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है। क्योकि बाजार के अंदर इन फसलों के दाम लगभग 5000 रूपये से लेकर के 7000 रूपये प्रति कविंटल तक होते है। और किसान साथियो इस फसल की सबसे खास बात ये है की इस फसल के बहुत अधिक पुराने हो जाने के बाद भी इसके अंदर कीड़े नहीं लगते है। जिससे इसकी उपज पर किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं दिखाई देता है। जिसके कारण मोटे अनाजों को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।मोटे अनाज के फायदे-किसान साथियो मोटे अनाज को हमारी सेहत के लिए बहुत भी फायदेमंद माना जाता है। मोटे अनाज के इस्तेमाल से शुगर जैसी बीमारियों को कम किया जा सकता है या उनको नियंत्रित किया जा सकता है। मोटे अनाज के सेवन से हमारी हड्डिया मजबूत होती है। क्योकि मोटे अनाज के अंदर कैल्सियम और प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते है। मोटे अनाज में प्रोटीन और फाइबर भी पाए जाते है जो की हमारी सेहत के लिए बहुत अधिक लाभदायक है। मोठे अनाज की मांग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाज़ारो में बहुत अधिक होती है। क्योकि वर्ष 2023 के अंदर सयुंक्त राष्ट्र ने इन फसलों की खेती करने के लिए वर्ष 2023 को मिलेट्स वर्ष घोषित किया था।मोटे अनाज की खेती पर प्रोत्साहन-किसान साथियो हाल ही में बिहार राज्य में कृषि विभाग के द्वारा किसानो को मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाए रहा है। और कृषि अधिकारी किसानो के खेतो में जा कर के मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानो के होंसले को और अधिक बढ़ाते है। ताकि किसानो का मोटे अनाज की खेती में उत्साह बना रहे।किसान साथियो बिहार राज्य के गया जिले के कृषि विभाग के अधिकारियो के अनुसार मोटे अनाज चना, मसूर, तिलहन, मक्का, सरसों तथा तीसी की खेती करने और उत्पादन की दृस्टि से किसानो को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसानो को सस्ती दर पर बीज तथा फसल लगाने के लिए 2 हजार रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि किसान के बैंक कहते में ट्रांसफर करने का प्रावधान है। सरकार के द्वारा यह रास्ता इसलिए चुना गया ताकि किसान मोटे अनाज की फसलों की तरफ अपना रुझान बना ले और आर्थिक दृस्टि से मजबूत बने। कृषि समाचार