जल संकट (Water Crisis) : जल संकट से खाद्य उत्पादन और जीडीपी (GDP) में गिरावट का मंडरा रहा खतरा Rajendra Suthar, October 26, 2024October 26, 2024 आज संसार जल संकट के गंभीर संकट की ओर अग्रसर हो रहा है, जो भविष्य में न केवल जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा, , बल्कि खाद्य उत्पादन और अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। हाल ही में ग्लोबल कमीशन ऑन द इकोनॉमिक्स ऑफ वॉटर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि जल संकट से वैश्विक खाद्य उत्पादन का 50% से अधिक हिस्सा खतरे में है। इसके परिणामस्वरूप, 2050 तक देशों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में औसतन 8% की कमी आने की संभावना है।वर्षों से लगातार भूमि उपयोग में विनाशकारी बदलाव और जल कुप्रबंधन ने जल संकट को बढ़ावा दिया है। मानव जनित जलवायु संकट के साथ मिलाकर ये कारक वैश्विक जल चक्र पर अत्यधिक दबाव दाल रहे है। इस रिपोर्ट के अनुसार जल चक्र असंतुलित हो गया है ,जिस के कारण जल आपदा का खतरा बढ़ रहा है। आज दुनियाभर में लगभग 3 अरब लोग पानी की कमी का सामना कर रहे है।जल संकट (Jal Sankat) का खाद्य उत्पादन पर प्रभावजल संकट के कारण फसलें मुरझा रही हैं, और शहरों में जलभराव की समस्या बढ़ती जा रही है। भूजल के सूखने से किसानों की उपज पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। खाद्य उत्पादन में कमी का मतलब है कि लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा खतरे में है।जल चक्र (Water Cycle) क्या हैAlso Read गायों में दुग्ध ज्वर एक गंभीर समस्या : जानिए पहचान और उपचार जल चक्र एक जटिल प्रणाली है। यह प्रक्रिया वाष्पीकरण से शुरू होती है, जब पानी जलाशयों, नदियों और झीलों से वाष्पित होकर वायुमंडल में उठता है। फिर यह जल वाष्प ठंडा होकर संघनित होता है और बारिश या बर्फ के रूप में पृथ्वी पर वापस आता है।जल चक्र के दौरान पानी को ‘नीला पानी’ और मिट्टी तथा पौधों में संग्रहीत नमी को ‘हरा पानी’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। नीला पानी वह है जो जलाशयों, नदियों और झीलों में पाया जाता है, जबकि हरा पानी वह नमी है जो पौधों और मिट्टी में होती है। हरे पानी की आपूर्ति को लंबे समय से नजरअंदाज किया गया है, लेकिन यह जल चक्र के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है।हरे पानी की आपूर्ति फसलों और वनस्पतियों के लिए अत्यंत आवश्यक होती है। जब पौधे जल वाष्प छोड़ते हैं, तो यह वायुमंडल में वापस चला जाता है, जिससे भूमि पर होने वाली कुल वर्षा का लगभग आधा हिस्सा उत्पन्न होता है। हरे पानी की स्थिर आपूर्ति पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करने में भी सहायक होती है, क्योंकि यह कार्बन को संग्रहीत करने में मदद करता है।जल संकट के कारण (Jal Sankat Ke Karan)अनावश्यक जल का उपयोग : उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए पानी की अधिक खपत।जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा पैटर्न में बदलाव।भूमि उपयोग में परिवर्तन: जंगलों की कटाई और शहरीकरण के कारण जल अवशोषण की क्षमता में कमी।जल कुप्रबंधन: जल संसाधनों का अव्यवस्थित प्रबंधन और संरक्षण में कमी।जल संकट के उपाय (Jal Sankat Ke Upaay)जल संरक्षण उपाय: पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम।वृष्टि जल संचयन: वर्षा के पानी को संचय करने की प्रणाली को बढ़ावा देना।स्थायी कृषि प्रथाएँ: किसानों को जल बचत तकनीकों का प्रशिक्षण देना।भूजल पुनर्भरण: भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए प्रयास करना।समुदाय की भूमिका : समुदायों को भी जल संकट से निपटने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। स्थानीय स्तर पर जल बचत के उपायों को अपनाना, प्लास्टिक के उपयोग को कम करना और जल संरक्षण में सहयोग देना आवश्यक है।निष्कर्षजल संकट एक जटिल और गंभीर समस्या है, जिसका प्रभाव खाद्य उत्पादन और अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। वैश्विक जल चक्र के असंतुलन को ठीक करने के लिए हमें सामूहिक रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। यह केवल सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को जल के महत्व को समझते हुए अपने स्तर पर प्रयास करने चाहिए। अगर हम सभी मिलकर जल के संरक्षण के लिए काम करें, तो हम इस संकट से उबर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ पर्यावरण बना सकते हैं। कृषि समाचार