किसान साथियों कपास (Cotton) एक मुख्य कृषि फसल है जो देश की आर्थिक स्थिति में अहम् योगदान देती है। कपास की उन्नत फसल केवल किसान की मेहनत पर निर्भर नहीं होती, बल्कि इसका संरक्षण भी उतना ही जरूरी होता है। कपास की फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए सही और प्रभावी उपाय अपनाना अतिआवश्यक है। इस ब्लॉग में हम कपास की फसल की सुरक्षा के लिए कीट और रोग प्रबंधन के सरल उपायों पर चर्चा करेंगे, जिससे आप अपनी फसल को बेहतर तरीके से उपजाकर कहा मुनाफा कमा सके।
कपास की फसल को कीट और रोगों से सुरक्षित रखने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों के खेतों का निरंतर निरीक्षण किया जा रहा है। इसके साथ ही, किसानों को कपास की फसल में लगने वाले कीटों और रोगों के नियंत्रण के उपायों की हरसंभव जानकारी भी दी जा रही है।
कपास के पौधों में रोग की पहचान
इस सिलसिले में, खरगोन जिले के कृषि उपसंचालक ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह जारी की है। कृषि विभाग के उपसंचालक, मेहताब सिंह सोलंकी, ने सभी किसानों को सलाह दी है कि यदि कपास के पौधे मुरझाते हुए दिखाई दें और उनमें पीला या भूरे धब्बे दिखें, तो इस स्थिति में पौधों की जड़ों में ट्रेंचिंग (टोहा) करें। इसके लिए 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 3 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड को 1 लीटर पानी में घोलकर प्रयोग करें।
कपास की फसल में विभिन्न कीटों की उपस्थिति हो सकती है, जैसे कि भृंग (सॉटन बॉल वर्म), सफेद मक्खी, गुलाबी इल्ली और थ्रिप्स। इन कीटों की सही पहचान और निगरानी आवश्यक है।
कपास में कीट और रोग प्रबंधन के उपाय
फेरोमोन प्रपंच का उपयोग : किसान भाइयों कपास की फसल में इस मौसम में गुलाबी इल्ली का प्रकोप अधिक रहता है। कपास की फसल में फुल निकलने की अवधी के दौरान प्रति एकड़ खेत में 4 फेरोमोन प्रपंच लगाएं। साथ ही प्रतिदिन फेरोमोन प्रपंचों में एकत्रित होने वाली वयस्क पंखियों की गणना अवश्य करें जिससे आयने वाले दिनों में फसल की सुरक्षा की जा सके।
हरी घेटों का की जांच : कपास की फसल में खेत में हरे घेटों में गुलाबी इल्ली का प्रकोप अधिक पाया जाता है। किसान साथी कपास की फसल में 10 हरे घेटों का चनाव करें। तथा प्रतीदिन इन हरे घेटों में गुलाबी इल्ली की उपस्थिति की जांच अवश्य करें।
कीटनाशक चयन : जांच के दौरान यदि औसतन 1 या अधिक हरे घेटों में कीट प्रकोप पाया जाता है, तो कीटनाशकों का उपयोग शुरू कर देना चाहिए। प्रारंभ में कम विषैले कीटनाशकों जैसे कि प्रोफेनोफास या थायडीओकार्ब का उपयोग करें। यदि फसल में कीट का प्रकोप अत्यधिक है, तो अधिक विषैले कीटनाशकों जैसे कि लेमडासायहेलोथ्रिन, एमिमोमेकटीन बेंजोएट, या इन्डोक्साकार्ब का उपयोग करें।
कपास की फसल के लिए सामान्य सावधानियां
फसल की निगरानी : कपास की फसल की नियमित और समय पर निगरानी और जांच आवश्यक है। किसी भी अनियमितता या समस्या के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर त्वरित कार्रवाई करें।
सही समय पर कटाई : फसल की कटाई का सही समय सुनिश्चित करें। यदि कपास की फसल समय से पहले या देर से काटी जाती है, तो यह कीटों और रोगों के प्रसार का कारण बन सकती है।
सफाई और रखरखाव : किसान साथियों को अपने खेत और उपकरणों की नियमित सफाई और रखरखाव पर ध्यान देना चाहिए। खेत में बचे हुए अवशेष और डंपिंग को ठीक से निपटाना रोगों और कीटों के फैलाव को नियंत्रित करने में काफी मदद करता है।
निष्कर्ष
कपास की फसल की सुरक्षा के लिए कीट और रोग प्रबंधन के ये सरल उपाय आपके फसल को स्वस्थ और उत्पादक बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं। नियमित निगरानी, उचित उपचार, और सावधानियों का पालन और कृषि विशेषज्ञों की सलाह अपनाकर अपनी कपास की फसल को कीटों और रोगों से बचा सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।