नवंबर में लहसून की खेती(Lahsoon Farming): जानिए लहसून की खेती की सम्पूर्ण प्रक्रिया Rahul Saharan, October 25, 2024October 25, 2024 राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी जानते है की कृषि विभाग के द्वारा किसानो को फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए समय समय पर अनेक प्रकार की योजनाएँ और अलग अलग प्रकार के उपाय और तरीके सुझाए जाते है। हाल ही में मेड़तासिटी के कृषि विभाग ने सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) कार्यालय के अंतर्गत आने वाले उपजिलो में सौंफ और जीरे के साथ-साथ लहसून की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए योजना तैयार की है। लहसून एक प्रकार की रबी की फसल है। जिसकी बुवाई अक्टूबर और नवंबर में की जाती है। लहसून की खेती (Lahsoon Farming) किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होती है।किसान साथियों लहसून प्याज के कुल की ही एक प्रजाति है। जिसका वैज्ञानिक नाम एलियम सेटिवम एल है। लहसून का उपयोग गले तथा पेट से संबधित बीमारियों के इलाज में किया जाता है। लहसून एक तड़के और मसाला वाली फसल है। लहसून में एलसिन तत्व पाया जाता है जिसके कारण लहसून में विशेष प्रकार की गंध और तीखा स्वाद होता है। लहसून फुल के समान होता है जिसमे कई कलियाँ पाई जाती है, जिन्हें लोग छीलकर कच्चा एवं पकाकर स्वाद के अनुसार उपयोग करते है।विश्व में लहसुन उत्पादन के मामले में चीन पहले नंबर पर आता है, जबकि भारत दूसरे नंबर पर है। लहसुन का निर्यात अमेरिका, इंडोनेशिया, ताइवान, संयुक्त राष्ट्र संघ और नेपाल आदि देश सबसे अधिक करते है।Also Read कृषि विभाग का नया लक्ष्य: सौंफ और जीरे की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना लहसून की खेती (Lahsoon Farming) की विधियाँ-किसान साथियों लहसून की खेती करने की बहुत सी विधियां होती है जैसे की आप लहस्सों की कलियों का उपयोग करके भी लहसून की फसल को ऊगा सकते है। और अगर आप बड़े पैमाने पर लहसून की खेती करना चाह रहे है तो आपको किसी अच्छी नर्सरी से लहसून के अच्छी क़्वालिटी और उच्च गुणवत्ता वाले पोधो का चयन करना चाहिए। आइये लहस्सों की खेती की विधियों के बारे में जानते है।1. लहसून की खेती (Lahsoon Farming) कैसे करें –किसान साथियो लहसून की खेती को लगभग सभी प्रकार की मिट्टी किया जा सकता है। परन्तु लहसून की खेती के लिए दोमट मिट्टी बहुत अधिक फायदेमंद होती है। लहस्सों की खेती करने के लिए सबसे पहले किसान भाई अपने खेत की लगभग 3-4 बार जुताई आवश्यक रूप से कर लेवें। ताकि खत की मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद किसान भाई मिट्टी में पोषण की मात्रा को पूर्ण करने के लिए लगभग 255 कविंटल प्रति हेक्टेयर के अनुसार अपने खत में गोबर की डाल कर के उसके ऊपर सुहागा/पाटा लगाकर के उसको समतल कर देवे।अब किसान भाई अपने खेत में क्यारिया बनाकर के लहसून की पौध की रोपाई कर दे। और रोपाई करते समय यह आवशयक रूप से ध्यान रखे की दो क्यारियों के बीच में लगभग 15 सेंटीमीटर और लहसून की पौध से पौध के बीच की दुरी लगभग 8 सेंटीमीटर होनी चाहिए।2. लहसून की खेती (Lahsoon Farming) में खाद और पानी का तरीका-किसान साथियो प्रत्येक प्रकार की फसल के अच्छे और गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन के लिए खाद और पानी बहुत ही आवश्यक होते है। लहसून की फसल के गुणवत्ता पूर्ण और अच्छे उत्पादन के लिए धन की रोपोई के समय लगभग 255 कविंटल प्रति हेक्टेयर के अनुसार अपने खत में गोबर की खाद डाल देवे। इसके साथ किसान भाई अपनी लहसून की फसल में लगभग 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, लगभग 60 किलोग्राम फास्फोरस और लगभग 100 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर के हिसाब से रोपाई से पहले डाल देवें। और लहसून की फसल में पानी देने के लिए किसान भाई लगातार अपने खेत की नमी की मात्रा को चेक करते हुए लगभग 8 से 10 दिनों में लहसून की फसल में पानी लगाते रहे।Also Read काबुली चने की खेती : 15 नवंबर तक करें चने की बिजाई और पाए बेहतरीन उत्पादन