3. लहसून की खेती (Lahsoon Farming) में कीट और रोग –

किसान साथियों जैसा की आप सभी जानते है की किसी भी फसल की अच्छी पैदावार के लिए उसको कीट तथा रोगों से बचाना अपने आप में एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। लहसून की खेती की बात करे तो इसकी कहती में सामान्यत: पर्णजीवी कीटों का बहुत अधिक प्रभाव होता है। और जैसे जैसे वातावरण के अंदर तापमान में वृद्धि होती है वैसे-वैसे ही इन कीटों का प्रकोप लहसून की फसल पर बढ़ता ही जाता है।

लहसून की फसल में आमतोर पर अंगमारी रोग को देखा जा सकता है। इस रोग के कारण लहसून की पौधों की पत्तियों के ऊपर सफ़ेद रंग के धब्बे पड़ जाते है। किसान भाई लहसून की खेती में कीट और रोग से बचाव करने के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार फसल पर कीटनाशक और रसायनों का प्रयोग कर सकते है।

4. लहसून की फसल की खुदाई और भण्डारण-

किसान साथियों लहसून की फसल का पकाव होने की जाँच करने के लिए जब लहसून के पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लग जाए तब खेत के किसी एक साइड से एक पौधे को उखाड़कर के इसको जाँच कर लेवें। यदि लहसून की कालिया पूर्ण रूप से परिपक़्व हो गयी है तो आप लहसून की खुदाई को शुरू कर सकते है। किसान साथियों लहसून की फसल को तैयार होने में लगभग 5 महीने का समय लगता है। या उससे भी अधिक समय लग सकता है।

लहसून की खेती में किसान भाई को लगभग 120-130 कविंटल प्रति हैक्टेयर के हिसाब से पैदावार प्राप्त हो सकती है। किसान भाई लहसून का भण्डारण करने के लिए लहसून के कंद की सुखी हुयी पत्तियों को काटकर के अलग कर देवे। तथा साफ बची हुयी लहसून की गांठो को टोकरी या किसी हवा लगने वाले बर्तन में भर कर के किसी साफ़ सुथरी जगह पर भंडारित कर देवें।

5. लहसून की खेती (Lahsoon Farming) के लाभ-

किसान साथियों लहसून का उपयोग सब्जी और मसाला दोनों के रूप में किया जाए सकता है। और लहसून का औषधीय महत्व भी होता है इसका उपयोग गले तथा पेट से संबधित बीमारियों के इलाज में किया जाता है। और लहसून के उपयोग के द्वारा सब्जियों को मसालेदार बनाया जा सकता है। और जिसके चलते बाजार में लहसून की मांग हमेशा बानी रहती है। और इसी कारण से लहसून की फसल के भाव अच्छे मिलते है। और लहसून का भंडारण करके बिना सीजन के बेचने पर अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है।

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