काबुली चने की खेती : 15 नवंबर तक करें चने की बिजाई और पाए बेहतरीन उत्पादन Rajendra Suthar, October 22, 2024October 22, 2024 हरियाणा के किसान साथियों चने और काबुली चने की बिजाई का सही समय नजदीक आ रहा है। यह समय हरियाणा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सही समय पर बिजाई करने से फसल की पैदावार में वृद्धि होती है और उत्पादन में सुधार होता है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि देसी और काबुली चने की उन्नत किस्में जैसे हरियाणा चना नंबर 1 (एचसी 1), हरियाणा चना नंबर 5 (एचसी 5), हरियाणा चना नंबर 6 (एचसी 6) और हरियाणा काबुली चना नंबर 2 (एचके 2) का चुनाव करना चाहिए।बिजाई का सही समयहरियाणा में चने और काबुली चने की बिजाई का सही समय 30 अक्टूबर से 15 नवंबर तक है। इस अवधि के दौरान बिजाई करने से फसल को अनुकूल जलवायु और मिट्टी का फायदा मिलता है। किसानों भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे खेत की तैयारी समय से करें और उन्नत किस्म के बीजों का चयन करें। बीज की मात्रा प्रति एकड़ 16 किलोग्राम होनी चाहिए।खेत की तैयारीचने की बिजाई करने से पहले खेत की तैयारी करना आवश्यक है। इसके लिए पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए और इसके बाद अच्छी तरह से निपटाना चाहिए। इसके बाद खेत को समतल करें ताकि पानी का ठहराव न हो। बिजाई के समय “पोरा” विधि का उपयोग करें, जिसमें 2 खूड़ों का फासला 30 सेंटीमीटर रखा जाए और बीज को 10 सेंटीमीटर गहराई पर डालें।यदि खेत में आल की कमी है तो 2 खूड़ों का फासला 45 सेंटीमीटर रखें। इसके साथ ही बिजाई के समय 12 किलोग्राम यूरिया और 100 किलोग्राम सुपर फास्फेट प्रति एकड़ के हिसाब से ड्रिल करें। यदि डीएपी मिल सके, तो प्रति एकड़ 34 किलोग्राम डीएपी को बीज के नीचे ड्रिल करें। यह सुनिश्चित करेगा कि पौधे को आवश्यक पोषक तत्व मिलें।बीज उपचारचने के बीजों को राइजोबियम का टीका लगाना आवश्यक है। इससे फसल की वृद्धि अच्छे तरीके से होती है। इसके साथ ही पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन भी मिलती है। इसके अलावा, बहुत रेतीली जमीन में 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ डालें। यह मिट्टी में पोषण का संतुलन बनाए रखने में सहायक है।दीमक नियंत्रणदीमक नियंत्रण के लिए बीजोपचार के दौरान 4 ग्राम ट्राइकोडरमा विरिडी और 1 ग्राम विटावैक्स का 5 मि.ली. पानी में लेप बनाकर प्रयोग करें। यह फसल को विभिन्न बीमारियों और कीटों से सुरक्षा प्रदान करेगा।Also Read जैविक खेती की ओर एक नया कदम: जानिए गीता देवी की प्रेरक कहानी फसलों को दीमक के प्रभाव से बचने के लिए 850 मिलीलीटर मोनोक्रोटोफास 36 एसएल या 1500 मिलीलीटर क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी को पानी में मिलाकर कुल 2 लीटर घोल बनाकर छिड़काव करें ।किसानों साथियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगेती बिजाई से बचना चाहिए। अगेती बिजाई करने से फसल कमजोर होती है और उत्पादन में भी कमी आती है। उचित समय पर बिजाई करने से फसल को पर्याप्त समय मिलता है ताकि वह बढ़ सके और अच्छी पैदावार दे सके।सिंचाईसिंचाई के लिए यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी में नमी बनी रहे। चने की फसल को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है, विशेषकर फूल आने और फल बनने के समय। किसान भाइयों को चाहिए कि वे सिंचाई की सही योजना बनाएं ताकि पौधों को पर्याप्त जल मिल सके।फसल की उन्नत पैदावार में मौसम का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए, मौसम की जानकारी रखना आवश्यक है। किसान भाइयों को चाहिए कि वे मौसम पूर्वानुमान की जानकारी रखें और उसी के अनुसार अपनी खेती की सही योजना बनाएं। सही मौसम में बिजाई करने से फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।निष्कर्षहरियाणा में चने और काबुली चने की बिजाई का सही समय 30 अक्टूबर से 15 नवंबर है। इस समय के दौरान उन्नत किस्म के बीजों का चुनाव करें और सही खेती तकनीकों का पालन करें। सही समय पर बिजाई, बीजों का उपचार, फसल की सुरक्षा, और उचित सिंचाई से फसल की पैदावार में वृद्धि की जा सकती है। कृषि सलाह