हाइड्रोपोनिक्स खेती (Hydroponic Farming) कैसे करें : जानिए सरल और प्रभावी तरीका Rajendra Suthar, August 30, 2024August 30, 2024 किसान साथियों आजकल कृषि में नई-नई तकनीकों का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे फसलों का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल रही है। समय के साथ किसान भी इन आधुनिक तकनीकों को अपनाकर लाभ कमा रहे हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण तकनीक हाइड्रोपोनिक खेती (hydroponic farming) है, जो किसानों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। इस तकनीक की विशेषता यह है कि इसे करने के लिए न तो बड़े खेत की जरूरत होती है और न ही मिट्टी की।हाइड्रोपोनिक खेती में केवल बालू, मिट्टी और कंकड़ का उपयोग किया जाता है, और इसे एक कमरे में भी किया जा सकता है। आप चाहें तो अपनी छत का भी उपयोग इस खेती के लिए कर सकते हैं। इस विशेषता के कारण विदेशों में इस तकनीक का इस्तेमाल करके किसान अच्छा लाभ कमा रहे हैं। हमारे देश में भी कई स्मार्ट किसान इस तकनीक का उपयोग करके बेहतर परिणाम प्राप्त कर रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।Also Read वर्षा जल संचयन और फार्म पॉन्ड अनुदान : किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर हाइड्रोपोनिक एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है मिट्टी के बिना केवल पानी के माध्यम से खेती करना। इस तकनीक में फसलें मिट्टी के बिना उगाई जाती हैं, केवल पानी का उपयोग किया जाता है, जिसमें थोड़ी मात्रा में बालू या कंकड़ भी मिलाए जा सकते हैं। हाइड्रोपोनिक खेती में जलवायु को नियंत्रित किया जाता है, जिससे बदलते मौसम का खेती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।हाइड्रोपोनिक खेती कैसे की जाती है?हाइड्रोपोनिक खेती एक आधुनिक तकनीक है जिसमें फसलें बिना मिट्टी के उगाई जाती हैं। इसमें विशेष प्रकार के पाइपों का उपयोग किया जाता है, जिनमें छेद कर पौधे लगाए जाते हैं। इन पाइपों में पानी भरा होता है और पौधों की जड़ें इसी पानी में डूबी रहती हैं। पानी में आवश्यक पोषक तत्व मिलाकर पौधों तक पहुंचाए जाते हैं, जिससे वे पूरी तरह से स्वस्थ और मजबूत होते हैं। इस तकनीक में पानी के साथ थोड़ा बालू या कंकड़ भी मिलाया जाता है। सामान्यतः कोकोपीट, जो नारियल के वेस्ट से तैयार प्राकृतिक फाइबर होता है, का उपयोग मिट्टी के विकल्प के रूप में किया जाता है। हाइड्रोपोनिक खेती में तापमान 15 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच और आद्रता यानी नमी 80 से 85 प्रतिशत के बीच बनाए रखी जाती है।किन फसलों के लिए हाइड्रोपोनिक खेती का उपयोग किया जा सकता है? :हाइड्रोपोनिक तकनीक का उपयोग विशेष रूप से छोटे पौधों की खेती के लिए किया जा सकता है। इसके माध्यम से मटर, गाजर, मूली, शलजम, शिमला मिर्च, अनानास, टमाटर, भिंडी, अजवाइन, तुलसी, तरबूज, खरबूजा, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी और स्ट्रॉबेरी जैसी फसलों का उत्पादन किया जा सकता है।Also Read गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना : किसानो के लिए आसान और ब्याज-मुक्त लोन की सुविधा लागत : हाइड्रोपोनिक खेती की लागत को लेकर यदि बात की जाए, तो यह तकनीक काफी खर्चीली होती है। इसमें प्रारंभिक लागत अधिक आती है, लेकिन इससे मिलने वाले लाभों को देखते हुए यह खर्च ज्यादा नहीं लगता। यदि आपके पास सीमित बजट है, तो आप अपनी छत पर हाइड्रोपोनिक खेती शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आपको बाजार से सेटअप आसानी से मिल जाएगा। आप विशेषज्ञ की मदद से भी इसे अपने घर में स्थापित करवा सकते हैं, या लर्निंग वीडियो देखकर खुद भी इसे लगा सकते हैं।छोटे स्तर पर हाइड्रोपोनिक खेती की शुरुआत लगभग 10,000 से 15,000 रुपये में की जा सकती है। वहीं, यदि आप इसे बड़े पैमाने पर करना चाहते हैं, तो सेटअप में करीब 20 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है। इसके अतिरिक्त, तापमान नियंत्रित रखने के लिए आपको पॉली हाउस की भी आवश्यकता होगी। पॉली हाउस की स्थापना पर सरकार की ओर से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध है।हाइड्रोपोनिक खेती के मुख्य बिंदुपानी की बचत: हाइड्रोपोनिक खेती में पानी की पूरी तरह से बर्बादी नहीं होती। इससे लगभग 90 प्रतिशत तक पानी की बचत की जा सकती है।कम जगह पर खेती: इस तकनीक में लंबे-चौड़े खेत की आवश्यकता नहीं होती। आप इसे एक कमरे से भी शुरू कर सकते हैं, और अपनी छत का भी उपयोग कर सकते हैं।कम जगह में अधिक पौधे: हाइड्रोपोनिक तकनीक की मदद से सीमित जगह पर भी अधिक पौधे उगाए जा सकते हैं।सीधे पोषक तत्व: पौधे सीधे पानी के माध्यम से पोषक तत्व प्राप्त करते हैं, जिससे उनकी वृद्धि अच्छी होती है।फसल की गुणवत्ता: पौधों को समय पर सभी पोषक तत्व मिलते रहते हैं, जिससे प्राप्त फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।मौसम और अन्य प्रभावों से सुरक्षा: इस तकनीक से पौधों पर मौसम, बारिश, ओलावृष्टि, जानवरों या अन्य जैविक और अजैविक क्रियाओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, जिससे पौधों की वृद्धि निर्बाध और स्वस्थ रहती है। कृषि सलाह