अमरुद में एंथ्रेक्नोज रोग(Anthracnose Disease In Guava): जानिए पहचान और उपचार Rahul Saharan, October 19, 2024October 19, 2024 राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी जानते है की अमरुद एक प्रकार का फल है। जिसका वानस्पतिक नाम- सीडीयम गवायवा होता है। और अमरुद की उत्पति वेस्ट इंडीज से हुयी है। और भारत की जलवायु में अमरुद इतना अधिक घुल मिल गया है की इसकी खेती भारत में बहुत ही अधिक सरलता से की जा सकती है। परन्तु अमरुद में एक रोग जिसको अमरुद में एंथ्रेक्नोज रोग(Anthracnose Disease In Guava) कहते है। उसकी सम्भावना अधिक रहती है।किसान साथियों राजस्थान राज्य के सवाईमाधोपुर जिले के अमरूदों की मिठास देश विदेश तक बहुत ही अधिक मशहूर है। परन्तु इस बार बहुत अधिक बरसात के कारण यहां के अमरुद एंथ्रोक्नोज रोज की चपेट में आए गए है। जिसके कारन अमरुद की बागवानी करने वाले किसानों की चिंताएँ बहुत अधिक बढ़ गयी है। इस रोग अमरुद के फलों, पत्तियों तथा तनों को बहुत अधिक प्रभावित करता है। यह रोग अधिक आर्द्रता तथा गर्म वातावरण के कारण होता है। इस रोग की वजह से अमरद की गुणवत्ता तथा उसकी पैदावार में कमी आती है।इस बार बहुत अधिक बरसात के कारण जिले के 1 दर्जन से अधिक गाँवों में इस रोग का प्रभाव देखा गया है। जिसमें से मुख्य रूप से करमोदा, दोंदरी,सूरवाल, आटून, मैनपुरा, चकेरी, अजनोटी तथा सुनारी सहित 1 दर्जन से अधिंक गाँवों में इस रोग के कारण अमरुद की फसल तथा अमरुद की पौध प्रभावित दिखाई दे रही है।किसान साथियों इस वर्ष सवाईमाधोपुर जिले में लगभग 13000 हैक्टेयर क्षेत्र में अमरद के बाग़ लगे हुए है। और लगभग 20000 परिवार अमरुद की बागवानी कर रहे है। तथा इस वर्ष लगभग 15 प्रतिशत बागों में फफूंदजनित एंथ्रेक्नोज रोग फैला हुआ है। किसान साथियों इस रोग के कारण अमरुद की आमदनी पर लगभग 10 परिशत का असर पड़ेगा।Also Read किसान और बागवानी: जानिए गोविंदपुरा गांव के किसानों की सफलता की कहानी क्या है अमरुद में एंथ्रेक्नोज रोग(Anthracnose Disease In Guava) और उसके लक्षण-किसान साथियों अमरुद का एंथ्रेक्नोज रोग एक प्रकार का फफूंद जनित रोग होता है जिसके अंतर्गत अधिक आर्द्रता और गर्म वातावरण के कारण फफूंद का बहुत अधिक तेजी से विकास होता है। जिसके कारण अमरुद की फसल के अवशेषों और संक्रमित हुए पौधों के द्वारा इस रोग का आगे प्रसार होता है। इस रोग को श्यामवर्ण भी कहा जाता है। इस रोग के अधिक प्रभाव के कारण अमरुद की पत्तियों पर भूरे या काले धब्बे अपना आकार बढ़ाकर के अनियमित रूप धारण कर लेते है। और अमरुद के अर्द्ध पके हुए फलों पर ये भूरे या काले धब्बे बाद में धीरे-धीरे गहरे भूरे या घरे काले और सूखे दिखने लगते है। इस रोग से प्रभावित हुआ फल सड़ जाने के कारण खाने के लायक नहीं रहता है। तथा तनों और शाखाओं पर भी गहरे भूरे या काले धब्बे उपस्थित होते है। और इस रोग के कारण पौधे की वृद्धि भी रुक जाती है।अमरुद में एंथ्रेक्नोज रोग(Anthracnose Disease In Guava) का उपचार-किसान साथियों इस रोग के उपचार और इसकी रोकथाम करने के लिए आप अधिक नमी की मात्रा की नियंत्रित करें और उसके साथ आप निम्नलिखित विधियों का इस्तेमाल कर सकते है। यह विधियाँ फफूंद के प्रभावी नियंत्रण के लिए बहुत अधिक आवश्यक है –1. इस रोग के द्वारा संक्रमित हुए भागों का प्रबंधन करना चाहिये।2. इस रोग के द्वारा संक्रमित हुई पत्तियों, फलों तथा शाखाओं को काटकर के नष्ट कर देवें। ताकि इस रोग का प्रसार होने से रोका जा सके। या3. इस रोग की रोकथाम करने हेतु आप फफूंदनाशक तथा प्रॉपिकोनाजोल 25 EC एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की मात्रा के हिसाब से घोलकर के छिड़काव करना चाहिए। या4. थायोफिनेट मिथाइल 70 WP 1 ग्राम का प्रति लीटर पानी की मात्रा के हिसाब से घोलकर के छिड़काव करना चाहिए। या5. कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 WP 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की मात्रा के हिसाब से घोलकर के छिड़काव करना चाहिए। कृषि सलाह