किसान और बागवानी: जानिए गोविंदपुरा गांव के किसानों की सफलता की कहानी Rajendra Suthar, October 19, 2024October 19, 2024 किसान साथियों आज हम बात करेगें गोविंदपुरा गांव के लोगों की बागवानी के क्षेत्र में सफलता की। गोविंदपुरा गांव के लोग कभी अन्य खेतों पर मजदूरी करके अपनी रोजी-रोटी चलाते थे, लेकिन अब उनकी मेहनत ने उन्हें एक नई दिशा में ले जाकर बागवानी के क्षेत्र में सफलता दिलाई है। आज, गोविंदपुरा के किसान लाखों कमा रहे हैं और उनकी सब्जियों का इंतजार दूर-दूर तक किया जा रहा है। यह बदलाव न केवल उनके जीवन स्तर में सुधार लाया है, बल्कि पूरे गांव की तस्वीर बदल दी है।वर्तमान में गोविंदपुरा की सब्जियों की मांग भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर, जोधपुर, कोटा, बूंदी, दिल्ली, नीमच और मंदसौर जैसी जगहों पर भी है। यह सब्जियों का व्यवसाय गांव के लिए एक नया आयाम लेकर आया है। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ ही अब गांव में कच्चे मकानों की जगह पक्के मकान बनने लगे हैं, जो इस बदलाव का प्रतीक हैं।जैविक खेती का प्रयोग (Use Of Organic Farming)गोविंदपुरा गांव के किसान शंकर माली ने बताया कि वे जैविक खेती के तरीकों से खेती करते है। उन्होंने अपनी नर्सरी के लिए कोकोपीट का उपयोग करना शुरू किया है, जो नारियल के छिलके के गूदे से बना एक जैविक पदार्थ है। बीज बोने के लिए ट्रे में कोकोपीट डालकर, एक दिन छोड़कर हल्की सिंचाई की जाती है। दवा का छिड़काव भी इसी विधि से करते है। जब पौधा 25 से 30 दिन का हो जाता है, तब उसे खेत में बोया जाता है।Also Read गेंहू की उन्नत किस्मों की बुवाई: जानिए बुवाई का सही समय और उन्नत किस्में नर्सरी तैयार करने की नई तकनीक : गांव के किसान छोटूलाल माली ने बताया की वे अपने मकान की छत पर नर्सरी तैयार करते हैं। गांव में मकानों की छत पर शेडनेट लगाकर प्लास्टिक की ट्रे में कोकोपीट डालकर मिर्ची, भिण्डी, गोभी, अरबी, टमाटर, मटर, लौकी जैसी फसलों की नर्सरी तैयार की जा रही है। यह तरीका न केवल स्थान की बचत करता है, बल्कि पौधों की देखभाल में भी सहायक होता है।ड्रिप सिस्टम से सिंचाई : इस गांव के किसान साथी सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम का उपयोग करते हैं। खेत में दो बार ट्रैक्टर के टिलेज से अच्छी तरह हकाई करने के बाद गोबर की खाद और नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश डाली जाती है। इसके बाद रोटावेटर का उपयोग किया जाता है। फिर पूरे खेत में ड्रिप लाइन बिछाई जाती है। नैनो यूरिया और अन्य खादें अब तरल रूप में भी उपलब्ध हैं, जिन्हें ड्रिप लाइन की मदद से पौधों की जड़ों में दिया जाता है।बागवानी से हुई किसानो की आर्थिक वृद्धि ने गाँव में कई बदलाव लाये है। गांव के अनेकों परिवारों की आर्थिक स्थिती मजबूत हुई है। बच्चे अब अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, और परिवारों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी बेहतर हुई है। बागवानी के इस नए दौर में गोविंदपुरा गांव के किसानों ने एक नई पहचान कायम की है। ग्रामीण अब सिर्फ खेती पर निर्भर नहीं रह रहे हैं, बल्कि उन्होंने नए-नए व्यवसाय भी शुरू किए हैं। यह गांव अब एक उदाहरण बन गया है कि किस तरह से सही तकनीकों और मेहनत के माध्यम से एक गांव की तस्वीर बदली जा सकती है।निष्कर्षगोविंदपुरा गांव के किसानों की यह बागवानी की सफलता की कहानी न केवल किसानों की मेहनत का फल है, बल्कि यह इस बात का भी प्रमाण है कि अगर सही तकनीकों और आधुनिक तरीकों का उपयोग किया जाए तो किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत, समर्पण और सही योजना के साथ हम अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।इस प्रकार, गोविंदपुरा के किसानों ने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, बल्कि उन्होंने अपनी मेहनत और सूझबूझ से पूरे गांव की तस्वीर बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके अनुभवों से सीखकर, अन्य गांव भी इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं और अपनी स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। Blog कृषि समाचार