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उत्तर से दक्षिण भारत तक कैसा रहेगा मौसम? जानिए ताज़ा अपडेट!

Rahul Saharan, April 1, 2025April 1, 2025

राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी को मालूम है कि इस बार गर्मी ने अपने तेवर मार्च के महीने में ही दिखाने शुरू कर दिए थे। और धीरे-धीरे उत्तर भारत से लेकर के दक्षिण भारत तक गर्मी बढ़ती ही जा रही है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हाल ही में एक चिंताजनक सूचना जारी की है। इस वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह से जून के दौरान, उत्तर प्रदेश, बिहार, और राजस्थान सहित उत्तरी भारत के अलावा दक्षिणी भारत को मिलाकर के देश के लगभग 85% से अधिक हिस्से में भीषण हीटवेव/लू का अनुमान लगाया जा रहा है।

IMD के अनुसार, इस वर्ष की गर्मी पिछले वर्षों की तुलना में अधिक प्रचंड होने की संभावना जताई जा रही है। खासकर, उत्तर प्रदेश, बिहार, और राजस्थान के तापमान में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल सकती है। मौसम पूर्वानुमान का कहना है कि इन राज्यों में तापमान सामान्य से 5°C से 6°C तक अधिक रह सकता है। IMD के अनुसार सामान्य रूप से हीटवेव/लू औसतन 4 से 7 दिनों तक चलती है। लेकिन इस बार हीटवेव/लू के औसतन 6 से 11 दिनों तक चलने की संभावना जताई जा रही है।

किसान भाइयों इस सुचना के अनुसार किसी स्थान विशेष पर एक ही प्रकार की हीटवेव/लू लगभग 1 से 2 सप्ताह तक चल सकती है। IMD के अनुसार अप्रैल के महीने में समान्य रूप से हीटवेव/लू लगभग 1 से 3 दिनों तक ही चलती है। लेकिन इस बार हीटवेव/लू के लगभग 3 से 7 दिनों तक चलने की संभावना जताई जाए रही है।

IMD के अनुसार हीटवेव/लू के चलने की स्थिति-

किसान साथियों भारत के भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक डॉ. मृत्युजंय महापात्र के अनुसार अप्रैल से लेकर के जून तक देश के अलग- राज्यों में हीटवेव / लू के छोटे तथा बड़े दौर आ सकते है। जो की निम्नलिखित प्रकार से है –

हीटवेव / लू के बड़े दौर का सामना करने वाले राज्य हीटवेव / लू के छोटे दौर का सामना करने वाले राज्य हीटवेव / लू के छोटे-बड़े दौर का सामना नहीं करने वाले राज्य
ओडिशा
झारखंड
छत्तीसगढ़
बिहार
पश्चिमी बंगाल
तेलगांना
महाराष्ट्र
गुजरात
राजस्थान
उत्तरप्रदेश
हरियाणा
पंजाब
मध्यप्रदेश
उत्तरी कर्नाटक
आंध्रप्रदेश
केरल
पूर्वोत्तर राज्य
हिमालय के उत्तरी राज्य
तमिलनाडु

देश में हीटवेव/लू कब चलती है-

किसान साथियों भारत देश में हीटवेव/लू चलने का समय या कारण क्या होता है और कितने तापमान के बाद देश में हीटवेव / लू का कहर शुरू होता है। इसके साथ ही देश की 36 मौसमी सब-डिवीज़न में से कम से कम 02 सब-डिवीज़न में न्यूनतम 02 दिनों तक ये स्थिति रहने पर दूसरे दिन को हीटवेव/लू चलने का माना जाता है।

इलाके का नामकितने तापमान के बाद
हीटवेव/लू चलना प्रारम्भ होती है
मैदानी इलाके40 डिग्री
पहाड़ी इलाके30 डिग्री

हीटवेव/लू का असर-

किसान साथियों देश में सामान्य से अधिक गर्मी कारण फसलों की उत्पादन क्षमता पर प्रभाव पड़ेगा। इस वर्ष में देश में रबी की फसलों के रकबे में लगभग 14% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी। लेकिन उत्पादकता औसतन वृद्धि केवल और केवल 2 से 4% तक ही देखने को मिल रही है। जिसका प्रमुख कारण है-तापमान का असामान्य होना। किसान साथियों इस बार फरवरी महीने से लेकर के मार्च में देश के राज्यों- महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, गुजरात, उत्तरप्रदेश इलाको में कई बार दिन का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया था।

किसान भाइयों इस वर्ष फरवरी महीना के पिछले लगभग 125 वर्षों के रिकॉर्ड में सबसे गर्म महीना रहा है। इस वर्ष फरवरी महीने का औसतन तापमान लगभग 15 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। सामान्यत यह तापमान लगभग 13 डिग्री सेल्सियस के पास रहता है।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट-

किसान साथियों हाल ही में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के द्धारा जारी की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार गत वर्ष अत्यधिक तापमान के कारण रबी सीजन की फसलों सहित आलू और प्याज की फसल की उत्पादकता भी प्रभावित हुयी थी। और इसके अनुसार इस वर्ष भी तापमान का प्रभाव देखते हुए हालात गत वर्ष के जैसे ही रहने की आशंका जताई जा रही है।

किसान साथियों इस रिपोर्ट के अनुसार देश के राज्य- मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, उत्तरप्रदेश, हरियाणा में वर्ष 2022-23 की अगर तुलना की जाए तो वर्ष 2023-24 में गेंहू और चना का उत्पादन सालाना 2.5 % बढ़ा है। परन्तु उत्पादकता की तुलना में फसलों का रकबा कई गुना तक बढ़ा है। इसके अलावा मध्यप्रदेश में वर्ष 2022-23 में गेंहू का उत्पादन सालाना 10.3% घटा है। और वर्ष 2023-24 में लगभग 5.3% की गिरावट दर्ज की गयी है।

बदलते मौसम का सब्जियों पर प्रभाव

वर्तमान में बढ़ते तापमान के कारण हीटवेव का प्रकोप बढ़ रहा है जिससे किसानो की फसलों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है।

1. प्रकृतिक तापमान और उत्पादन:
अत्यधिक तापमान सब्जियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। कुछ सब्जियां जैसे की टमाटर, भिन्डी, और मिर्च उच्च तापमान की स्थितियों में मुरझा जाती है और सुखकर समय से पहले ही पौधों से अलग हो जाती है जिससे किसानो की उपज पर प्रभाव पड़ रहा है।

2. पानी की आवश्यकता:
गर्मी के मौसम में पानी की आवश्यकता बढ़ जाती है, जिससे कि सब्जियों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है। यदि पानी की आपूर्ति नहीं होती है, तो सब्जियां सुख सकती हैं और उत्पादन में कमी हो सकती है। इसलिए किसान भाई उचित सिंचाई तकनीक का प्रयोग करें।

3. पेस्टिसाइड और रोगों का प्रकोप:
गर्मी के मौसम में कुछ पेस्टिसाइड और रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है, जो सब्जियों के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, समय पर उचित रोगनाशकों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। गर्मी के कारण उत्पादित फसलों का भंडारण करना भी किसानो के लिए चिंताजनक है।

4. उपाय:

  • गर्मी के मौसम में सब्जियों को अधिक पानी प्रदान करना आवश्यक होता है। इसलिए किसान भाई उचित सिंचाई प्रबंधन करें।
  • पेस्टिसाइड और रोगों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए नियमित रूप से खेतों की देखभाल की जानी चाहिए। पौधों में होने वाले रोगो का पता लगाकर आवश्यकतानुसार कीटनाशक का छिड़काव करें।
  • गर्मी के मौसम में सब्जियों को प्राथमिकता देने के लिए पर्याप्त छाया और सीधा सूर्य का प्रकाश प्रदान करना आवश्यक होता है। किसान भाई सब्जियों की फसल के अनुसार ग्रीन शैड का प्रयोग कर सकते है।

किसान बदलते मौसम में सब्जियों की देखभाल कैसे करै-

किसानों के लिए मौसम के बदलने का असर सब्जियों की उत्पादन और देखभाल पर होता है। यहाँ कुछ उपाय हैं जिनका अनुसरण करके किसान सब्जियों की देखभाल कर सकते हैं:

  1. बुआई का समय चयन: मौसम के अनुसार सही बुआई का समय चुनें। कई सब्जियाँ गर्मी, ठंडी या बरसात में अच्छे से उगने के लिए विशेष समय को चाहती हैं।
  2. समयानुसार पानी देना: उचित पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करें, जैसे की बरसात में कम पानी और गर्मियों में अधिक पानी।
  3. उपयुक्त खाद का उपयोग: विभिन्न मौसम में पौधों की जरूरतों के अनुसार उपयुक्त खाद का उपयोग करें।
  4. रोगों और कीटों का नियंत्रण: मौसम के अनुसार पौधों को रोगों और कीटों से बचाने के लिए उपयुक्त उपाय अपनाएं।
  5. पोषण की धारा सुनिश्चित करें: मौसम के अनुसार सब्जियों को सही मात्रा में पोषण प्रदान करें।
  6. प्रबंधन और संरचना: खेत के संरचना और प्रबंधन को मौसम के अनुसार समीक्षा करें और आवश्यक सुधार करें।
Blog MAUSAM UPDATEकिसान साथियों भारत के भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD)

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