Tissue Culture Banana Cultivation: अब किसानों की तक़दीर बदलेगा टिश्यू कल्चर केला उत्पादन Rahul Saharan, November 14, 2024November 14, 2024 राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी जानते है की केला एक प्रकार का फल होता है। जो की मूसा प्रजाति के घासदार पौधो के द्वारा उत्पादित फल है। केले का वानस्पतिक नाम- मूसा परेडसिका होता है। और इसकी खेती उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। खेती और उत्पादन की दृष्टि से आम के बाद दूसरे नंबर पर केला आता है। किसान साथियो केले के उत्पादन में भारत में महाराष्ट्र सबसे आगे है। और केले में बहुत सारे कर्बोहाईड्रेड और फाइबर पाए जाते है। किसान साथियो Tissue Culture Banana Cultivation (टिश्यू कल्चर केले की खेती) तकनीक के द्वारा अब किसानो की तक़दीर बदलने वाली है।Tissue Culture Banana Cultivation (टिश्यू कल्चर केले की खेती) की शुरुआत-किसान साथियो आज के इस युग में कृषि के क्षेत्र में बहुत ही अद्धभुत बदलाव किये जा रहे है। जो की किसानों के लिए बहुत अधिक लाभदायक साबित हो रहे है। और कृषि के क्षेत्र में बदलाव की यह कड़ी हाल ही में रावतभाटा के एक छोटे से कस्बे जवादा में भी पहुंच चुकी है। यह क्षेत्र एक सामान्य कृषि हेतु जाना जाता था। लेकिन अब वहाँ Tissue Culture Banana Cultivation (टिश्यू कल्चर केले की खेती) की शुरुआत हो चुकी है। जिसने कृषि के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है।किसान साथियो रावतभाटा के छोटे से कस्बे के लगभग 21 किसानो ने हाल ही में पारम्परिक और नुकसान वाली खेती को छोड़ कर के Tissue Culture Banana Cultivation (टिश्यू कल्चर केले की खेती) की और अपना रुख बना चुके है। और उनका इस प्रकार की केले की खेती की और रुख करना केवल उनके लिए ही नहीं बल्कि पुरे इलाके के लिए एक उम्मीद की किरण जगा रहा है। टिश्यू कल्चर केले की खेती की सफलता ने अन्य किसानों को भी केले की खेती की और बढ़ा दिया है।किसान साथियों Tissue Culture Banana Cultivation (टिश्यू कल्चर केले की खेती) के लिए किसानों ने अब छत्तीसगढ़ से एक विशेष प्रकार की टिश्यू कल्चर के केले की पौध को मंगवाया है। जो की एक बेहतरीन गुणवत्ता और बहुत अधिक बेहतर उत्पादन की क्षमता के लिए काफी प्रसिद्ध मानी जाती है।Tissue Culture Banana की पौध खरीदते समय ध्यान में रखने योग्य बातें-किसान साथियों किसान साथियो डॉ राजेंद्र प्रसाद सेन्ट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, पूसा समस्तीपुर के प्लांट पैथोलॉजी के हेड और आईसीएआर-एआईसीआरपी (फल) परियाजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. एस के सिंह के अनुसार यदि कोई किसान टिश्यू कल्चर की विधि से तैयार की केले पौध को किसी नर्सरी से खरीदता है तो उसको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बहुत अधिक आवश्यक होता है जैसे कि –टिश्यू कल्चर द्वारा तैयार पौधे की ऊंचाई कम से कम 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए।टिश्यू कल्चर द्वारा तैयार पौधे की तने की मोटाई 5-6 सेंटीमीटर होनी चाहिए।टिश्यू कल्चर द्वारा तैयार पौधे में कम से कम 5-7 एक्टिव हैल्थी पत्ते और लगभग 25-30 हैल्थी जड़ें होनी चाहिए।टिश्यू कल्चर द्वारा तैयार पौधे की जड़ों की लम्बाई लगभग 15 सेंटीमीटर ज्यादा होनी चाहिए।किसान साथियो जिस बैग के अंदर टिश्यू कल्चर केले की पौध लगाई गयी है उसका आकर लगभग लम्बाई=20 सेन्टीमीटर, व्यास= लगभग 15 सेंटीमीटर तथा उसका भार= लगभग 800 ग्राम होना चाहिए।Tissue Culture Banana की पौध की खास बात-किसान साथियो डॉ राजेंद्र प्रसाद सेन्ट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, पूसा समस्तीपुर के प्लांट पैथोलॉजी के हेड और आईसीएआर-एआईसीआरपी (फल) परियाजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. एस के सिंह के अनुसार टिश्यू कल्चर के द्वारा तैयार किये गए पौधे आम पौधों की तुलना में काफी अधिक स्वस्थ होते है। अर्थात इनमे किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता है और इसके फल का आकर, उसका प्रकार तथा फल की गुणवत्ता और उत्पादन बहुत अधिक बेहतर होता है।किसान साथियों टिश्यू कल्चर की पौध के अंदर आम केले की पौध की तुलना में लगभग 60 दिन पहले ही फलन हो जाता है। आम पौध की फसल में पहली फसल लगभग 15-16 महीने में मिलती है। जबकि टिश्यू कल्चर की पौध से पहली फसल लगभग 12-14 महीने में मिलती है। टिश्यू कल्चर की पौध से किसान लगभग 30-35 किलोग्राम प्रति पौधे की औसत उपज को प्राप्त कर सकता है। और यदि किसान भाई वैज्ञानिक तरीको से इसकी खेती करता है तो वह लगभग 60-70 किलोग्राम प्रति पौधे की उपज प्राप्त कर सकता है। किसान भाइयो दूसरी फसल पहली फसल के लगभग 8-10 महीनों में तैयार हो जाती है। इस तरह से किसान भाई 24-25 महीनो के समय में दो फसलों को ले सकता है। अगर किसान इस विधि से खेती करता है तो वह अपना पैसा और समय दोनों की बचत कर सकता है। Tissue Culture Banana Cultivation (टिश्यू कल्चर केले की खेती) कैसे होती है-किसान साथियों Tissue Culture Banana Cultivation (टिश्यू कल्चर केले की खेती) एक प्रकार की एक वैज्ञानिक विधि है। जिसके अंतर्गत केले के पौधे को बायो लैब के अंदर तैयार किया जाता है। और बायो लैब में तैयार किया गए पौधे को अब खेत में रोपा जाता है। किसान साथियों टिश्यू कल्चर के द्वारा केले की खेती करने का सबसे बड़ा फायदा यह है की टिश्यू कल्चर विधि के द्वारा तैयार किये गए केले के पौधो में वायरस और अन्य प्रकार के रोगो से मुक्त होते है। अर्थात इन पौधों में रोगो की सम्भावना बहुत ही नगण्य होती है। और ये पौधे रोगमुक्त होने के कारण इसके उत्पादन में किसी भी प्रकार की कोईऊ समस्या नहीं आती है। इसके साथ ही टिश्यू कल्चर की विधि के द्वारा तैयार किये गए पौधों में निरंतरता बनी रहती है। और ये पौधे बहुत आधी बेहतरीन गुणवत्ता और बेहतरीन उत्पादन क्षमता युक्त होते है।Tissue Culture Banana की पौध की रोपाई कैसे करें-किसान साथियों टिश्यू कल्चर के द्वारा तैयार की गयी केले की पौध की रोपाई करने के लिए सबसे पहले गड्ढा खोदना होता है और उस गड्ढे की लम्बाई, चौड़ाई तथा गहराई क्रमसः 50 सेंटीमीटर, 50सेंटीमीटर तथा 50 सेंटीमीटर होनी चाहिए। मानसून की शुरुआत होने से पहले खोदे जा चके गड्ढों में लगभग 8-9 किलोग्राम वर्मी कंपोस्ट खाद, नीम की खली लगभग 160-200 ग्राम तथा सिंगल सुपर फॉस्फेट लगभग 260-300 ग्राम आदि डालकर के इन गड्ढो को मिट्टी से भर दिए जाते है। किसान साथियों केले की 2 पंक्तियों के बिच की दुरी लगभग 1.6 मीटर होनी चाहिए। इस दुरी के हिसाब से आप एक एकड़ के क्षेत्र में तक़रीबन 1560 केले की पौध को लगा सकते है।Tissue Culture Banana की पौध की सघन रोपाई से लाभ-किसान साथियों यदि आप टिश्यू कल्चर केले की पौध की रोपाई में 2 पंक्तियों के बिच की दुरी को लगभग 1.2 मीटर की रखते है तो आप इस हिसाब से एक एकड़ के क्षेत्र में तक़रीबन 2000 केले की पौध को लगा सकते है। किसान साथियों आपको मालूम है की अगर केले की पौध सघन है तो उसको उर्वरक की अधिक मात्रा की आवश्यकता होगी। किसम भाइयो केले की भूमि की उर्वरक क्षमता के अनुसार लगभग 300 ग्राम नत्रजन, लगभग 100 ग्राम फॉस्फोरस तथा लगभग 300 पोटाश प्रति पौधा की आवश्यकता होगी। किसान साथियो पोटाश की पूर्ण मात्रा तथा फॉस्फोरस की लगभग आधी मात्रा को जब केले की पौध की रोपाई के समय तथा बची हुयी आधी को रोपाई के बाद देना चाहिए। किसान साथियों सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि नाइट्रोजन की मात्रा को लगभग 5 भागों में बाँट कर के महीने के हिसाब से देनी चाहिए। जैसे पहली बार अगस्त में। दूसरी बार सितम्बर में तथा तीसरी बार अक्टूबर में और चौथी बार फरवरी में तथा लास्ट पांचवी बार अप्रैल में देनी चाहिए।Tissue Culture Banana Cultivation (टिश्यू कल्चर केले की खेती) से उत्पादन –किसान साथियों टिश्यू कल्चर विधि के द्वारा तैयार की गयी केले पौध से खेती करने पर एक बाग़ में तक़रीबन 300 कविंटल केले का उत्पादन होने का अनुमान है। और यदि सभी परिस्थितिया इसके अनुकूल रहती है तो इस तकनीक के द्वारा तैयार पौध से केले की खेती करने वाले किसानो के लिए यह एक बहुत ही सुनहरा अवसर साबित हो सकता है। किसान साथियों केले के प्रत्येक गुच्छे में लगभग 30 से 35 किलोग्राम तक का वजन हो सकता है। और इससे लगातार 3 सालो तक उत्पादन से किसान की बहुत ही अच्छा खासा मुनाफा मिलने की उम्मीद जताई जा सकती है।Tissue Culture Banana Cultivation (टिश्यू कल्चर केले की खेती) में लागत और मुनाफा-किसान साथियों टिश्यू कल्चर के द्वारा केले की खेती करना किसानों के लिए लाभदायक होने के साथ साथ एक टिकाऊ और लम्बी समयावधि तक मुनाफा प्रदान करने वाली फसल है। किसान भाइयो अगर इसकी खेती में लगता की बात करते है तो टिश्यू कल्चर आधारित केले की खेती करने में एक एकड़ में केले की खेती की लागत लगभग 1 लाख रूपये तक आती है। और अगर सभी परिस्थितिया इसके अनुकूल रहती है तो किसान को लगभग 2.5 लाख रूपये तक का शुद्ध मुनाफा हो सकता है।Tissue Culture Banana Cultivation (टिश्यू कल्चर केले की खेती) का फायदा-किसान साथियों टिश्यू कल्चर के द्वारा तैयार की गयी पौध से केले की खेती करना बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। क्योकि इस विधि के द्वारा तैयार होने वाले केले का आकार सामान्य केलो की तुलना में काफी बड़ा होता है। तथा इनका स्वाद भी सामान्य केलो से कभी ज्यादा लाजवाब होता है। और किसान साथियो छत्तीसगढ़ का केला महाराष्ट्र के केले से भी बहुत अधिक मीठा और स्वादिष्ट माना जाता है। और इस बात को आधार मनाकर जवादा के किसानो में इसकी खेती करने का अवसर लेकर के आया है। इसकी खेती के द्वारा जवादा के किसान महाराष्ट्र और गुजरात जैसे बड़े बाज़ारो के साथ भी प्रतिस्पर्धा पर सकते है। कृषि सलाह