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राजस्थान में सरसों की कीमतों को लेकर किसानों का विरोध: जानिए किसानों की सरकार से प्रमुख मांगें

Rahul Saharan, February 17, 2025February 17, 2025

राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी को मालूम है कि रबी की फसलों के पकाव के दिन धीरे-धीरे नजदीक आ रहे है। और केंद्र सरकार किसानों के हित को मध्यनजर रखते हुए समय समय पर अनेक प्रकार की योजनाएँ लाती रहती है। हाल ही में केंद्र सरकार ने रबी की फसल में किसानों को एक बहुत ही अच्छा तोहफा दिया है। केंद्र सरकार ने किसानों तोहफे के रूप में सरसों की एमएसपी पर खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 15 फरवरी से शुरू करने के की घोषणा कर दी है। लेकिन इस में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में राजस्थान राज्य के किसान और किसान प्रतिनिधियों के द्धारा 11 फरवरी 2025 को सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद करने का कानून बनाने की मांग करते हुए एक आंदोलन की शुरुआत कर दी है। जिसको “सरसों सत्याग्रह” नाम दिया गया है। किसानों ने इस आंदोलन को समर्थन देते हुए 1 मार्च 2025 से 15 मार्च 2025 तक मंडियों में सरसों की फसल नहीं लाने का निश्चय किया है।

सरसों सत्याग्रह का प्रमुख उद्देश्य-

किसान साथियों हाल ही में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में राजस्थान राज्य के किसान और किसान प्रतिनिधियों के द्धारा 11 फरवरी 2025 को सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद करने का कानून बनाने की मांग करते हुए “सरसों सत्याग्रह” नामक आंदोलन की शुरुआत कर दी है। जिसका प्रमुख उद्देश्य है राजस्थान के किसानो को सरसों के अच्छे दाम दिलवाना। किसानों ने इस आंदोलन को समर्थन देते हुए 1 मार्च 2025 से 15 मार्च 2025 तक मंडियों में सरसों की फसल नहीं लाने का निश्चय किया है।

किसान साथियों किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट और किसानों ने ये घोषणा की है की यदि कोई भी व्यापारी सरसों के भाव 6000 रूपये से शुरू करता है तो वह गांव से ही सीधे किसान से सरसों को खरीद सकता है। कोई भी किसान भाई सरसों की फसल को मंडियों में लेकर के नहीं आएगें। इस आदोंलन की खास बात ये है की यह आंदोलन किसी भी शहर या सड़को पर नहीं होगा। ये आंदोलन गावों में रहकर ही चलाया जाएगा। और इस आंदोलन में पहले लोगो में लगभग 29 जनवरी 2025 को गांव बंद का आंदोलम किया था तथा राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल जी शर्मा को किसान महापंचायत ने ज्ञापन भी भेजा था।

सरसों सत्याग्रह कैसे सफल होगा-

किसान साथियों इस वर्ष किसानों को सरसों के अच्छे भाव दिलाने के लिए किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में राजस्थान राज्य के किसान और किसान प्रतिनिधियों के द्धारा 11 फरवरी 2025 को सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद करने का कानून बनाने की मांग करते हुए “सरसों सत्याग्रह” नामक आंदोलन की शुरुआत की है। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट राज्य के लगभग 30 जिलों में लोगों को जागरूक करने के लिए प्रस्थान करने वाले है।

किसान साथियों किसान महापंचायत ने अपने एक बयान में कहा है की किसान के द्धारा उसकी फसल का भाव खुद निर्धारित करने का ये देश का पहला उदाहरण है। जिसके अंदर किसान खुद अपनी फसल का दाम तय करेंगे। क्योकि देश में होने वाले सरसों के कुल उत्पादन का लगभग आधा भाग अकेले राजस्थान में होता है। और लगभग गत 3 सालों से किसानों को सरसों का भारत सरकार के द्धारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिल पा रहा है। सरकार के द्धारा गत विपणन वर्ष 2024-25 हेतु सरसो का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5650 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था। लेकिन सरकार की खरीद व्यवस्था सही नहीं होने के कारण किसानों को ये भाव नहीं मिल पाए थे। और किसानो को अपनी सरसो की फसल को लगभग 4200 रूपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचना पड़ा था जो की भारत सरकार के द्धारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से लगभग 1450 रूपये प्रति क्विंटल कम था।

विपणन वर्ष 2025-26 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद-

किसान साथियों केंद्र सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2025-26 में सरसों की सरकारी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से करने के लिए सरकार की ओर से दिनांक भी पक्की कर दी गयी है। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद किसानो में बहुत बड़ी खुसी नजर आ रही है। सरकार की और से सरसों की फसल के लिए सरकारी खरीद की तय की गयी दिनांक 28 मार्च 2025 है। लेकिन राजस्थान राज्य में सरसों की फसल की पैदावार लगभग 15 फरवरी तक आए जाती है। और सरकार सरसो की सरकारी खरीद 28 मार्च 2025 से शुरू करेंगी। किसानों और किसान महापंचायत की और से सरसों की खरीद भारत सरकार के द्धारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 15 फरवरी से शुरू करने की मांग की जा रही है।

सरकार द्धारा सरसों की खरीद का निर्धारित दायरा-

किसान साथियों केंद्र सरकार ने सरसों की खेती करने किसानों को बड़ी राहत देते हुए विपणन वर्ष 2025-26 में इन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर दिया है इस वर्ष रबी की फसलों के लिए सरकार की ओर से किसानों को जो न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाएगा। इस वर्ष सरकार के द्धारा सरसों की फसल के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5950 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। और हाल ही में मंडियों में नई सरसों की आवक शुरू हो चुकी है। लेकिन इस समय मंडियों में सरसों के भाव 5500 रूपये प्रति क्विंटल से भी कम बने हुए है। जैसे ही मंडियों में सरसों की आवाक में बढ़ोतरी होना चालू होगी वैसे ही सरसों के भावो में गिरावट होने के आसार बढ़ जाएगें।

किसान साथियों जैसा की आप सभी को पता है कि देश में होने वाले सरसों के कुल उत्पादन का लगभग आधा भाग अकेले राजस्थान में होता है। लेकिन प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के प्रावधानों के अंतर्गत सरकार राज्य के सरसों के कुल उत्पादन का केवल 25 फीसदी ही खरीद करेगी। ऐसे में शेष बचा हुआ 75 फीसदी सरसों भारत सरकार द्धारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के दायरे से बाहर हो गया है। और सरकार की इस योजना के अंतर्गत कमी मूल्य भुगतान का ऑप्शन राज्य सरकार के उपलब्ध होता है लेकिन किसानों के बार बार आग्रह करने के बावजूद भी राज्य सरकार की ऑप्शन का इस्तेमाल नहीं कर रही है।

क्या रहेगी सरसों सत्याग्रह की छाप-

किसान साथियों किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में राजस्थान राज्य के किसान और किसान प्रतिनिधियों के द्धारा 11 फरवरी 2025 को सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद करने का कानून बनाने की मांग करते हुए “सरसों सत्याग्रह” नामक आंदोलन की शुरुआत की है। जिसके अंतर्गत किसानों ने इस आंदोलन को समर्थन देते हुए 1 मार्च 2025 से 15 मार्च 2025 तक मंडियों में सरसों की फसल नहीं लाने का निश्चय किया है। किसानों के द्धारा लगभग 15 दिनों तक मंडियों में सरसो का बेचान नहीं करने पर सरकार को बहुत बड़ा राजस्व का नुकसान का सामना करना पड़ेगा। और मंडियों में सरसों की अवाक नहीं होने के कारण पुरे देश भर में सरसों के तेल की मात्रा में कमी आए जाएगी। जिसके चलते पुरे साल भर सरसों के गोदामों में कमी बनी रहेगी। मंडियों में सरसो की आवक नहीं होने के चलते व्यापारियों को बैंको के द्धारा भी सहायता नहीं प्राप्त होगी। इसके अतिरिक्त लगभग 15 दिनों तक सरसो की आवक नहीं होने के कारण पिराई नहीं होगी और तेल मीलें बुरी तरह से प्रभावित होंगी। जिसके फलस्वरूप खाद्य तेल की आपूर्ति भी प्रभावित होगी।

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