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मारवाड़ मसालों का हब: जोधपुर में 8-9 फरवरी को होगा राजस्थानी स्पाइस एक्सपो

Rajendra Suthar, September 30, 2024September 30, 2024

राजस्थान का मारवाड़ क्षेत्र अपने मसालों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की साला फसलें, जैसे जीरा, धनिया, सौंफ, और मेथी, गुणवत्ता में श्रेष्ठ मानी जाती हैं। हालांकि प्रदेश की जटिल कृषि विपणन नीतियों और सरकारी उदासीनता के कारण यह क्षेत्र यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने में असफल रहा है। परिणामस्वरूप, यहां के कई मसाले पड़ोसी राज्यों में जा रहे हैं, जिससे उनके कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिला है। जबकि मारवाड़ के मसाले उत्पादन में उत्कृष्टता के बावजूद, वह प्रतिष्ठा हासिल नहीं कर सके हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर का राजस्थानी स्पाइस एक्सपो

मारवाड़ के मसालों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए जोधपुर में 8-9 फरवरी को एक बड़ा आयोजन, “राजस्थानी स्पाइस एक्सपो,” आयोजित किया जा रहा है। इस एक्सपो का आयोजन राजस्थान एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेज (रास) की मेज़बानी में होगा। इसमें देश के प्रमुख मसाला व्यापारी और मसाला उत्पादक किसान भाग लेंगे। एक्सपो का प्रमुख उद्देश्य न केवल मारवाड़ के मसालों को देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है, बल्कि इससे मारवाड़ की अन्य फसलों का पड़ोसी राज्यों में जाना भी रोका जा सकेगा। यह आयोजन हजारों लोगों को रोजगार भी प्रदान करेगा।

इस एक्सपो के अंतर्गत राजस्थान के प्रमुख मसालों जैसे जीरा, धनिया, सौंफ, मेथी, नागौरी कसूरी मेथी, सरसों, तरबूज मगज और मूंगफली का व्यापार क्षेत्र बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, एक्सपो में सेटेलाइट के जरिए फसल सर्वेक्षण, किसानों को ऑर्गेनिक फसल को बढ़ावा देने के कार्यक्रम, क्रॉप सर्वे, मांग और आपूर्ति पर चर्चा और आगामी साल की योजना पर मंथन किया जाएगा। इससे न केवल किसानों को लाभ होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।

यह एक्सपो 2023 में जयपुर और 2024 में कोटा के बाद अब जोधपुर में हो रहा है। इसकी तैयारियों में स्थानीय संस्था पूरी लगन से जुटी हुई है। लेकिन यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं है; यह एक आंदोलन है, जो मारवाड़ के मसालों को उनकी पहचान दिलाने का प्रयास करेगा।

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हालांकि मारवाड़ क्षेत्र में जीरा, रायड़ा, इसबगोल, अरंडी और ग्वारगम का उत्पादन देश में पहले स्थान पर है। लेकिन यहां इन कृषि जिंसों पर आधारित उद्योग नहीं पनप पाए हैं। पश्चिमी राजस्थान में जीरा, रायड़ा, और ईसबगोल का सर्वाधिक उत्पादन होता है, लेकिन इन उत्पादों के लिए औद्योगिक आधारभूत संरचना का अभाव है। अरण्डी का उत्पादन तो अधिक है, लेकिन यहां केवल एक छोटा प्लांट ही स्थापित किया गया है। इसी तरह, ग्वारगम का व्यापार पड़ोसी राज्यों में होने के कारण यहां के लोग रोजगार से वंचित रह जाते हैं।

मारवाड़ की प्रमुख मसाला फसलें जैसे जीरा, सौंफ, धनिया, आदि अन्य राज्यों, विशेषकर गुजरात और हरियाणा, में जा रही हैं। इससे न केवल प्रदेश को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि यह भी चिंता का विषय है कि मारवाड़ की फसलें गुजरात से विदेशों में एक्सपोर्ट हो रही हैं, जबकि इसका क्रेडिट और राजस्व भी वहीं जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, मारवाड़ के हजारों लोग रोजगार से वंचित रह जाते हैं।

इन सभी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए आवश्यक है कि सरकार और संबंधित संस्थाएँ कृषि विपणन नीतियों को सरल और सुविधाजनक बनाएं। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके, इसके लिए एक मजबूत नीति की आवश्यकता है। यदि सरकार समय रहते उचित कदम उठाए, तो मारवाड़ क्षेत्र की स्थिति में सुधार हो सकता है और यहां के लोग भी रोजगार के अवसर पा सकेंगे।

निष्कर्ष

मारवाड़ के मसालों का अंतरराष्ट्रीय पहचान न बन पाना, केवल एक आर्थिक समस्या नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र के विकास के लिए भी एक बड़ा अवरोध है। राजस्थानी स्पाइस एक्सपो जैसे आयोजनों से उम्मीद है कि इस क्षेत्र को अपनी पहचान मिलेगी। किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सकेगा, जिससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि क्षेत्र की समृद्धि भी बढ़ेगी।

अगर हम अपने मसालों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता को सही दिशा में ले जाएं, तो मारवाड़ को न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रमुख स्थान मिल सकता है। यह आवश्यक है कि हम सभी मिलकर इस दिशा में प्रयास करें, ताकि हमारे मसाले और हमारी मेहनत दोनों को सही मान्यता मिल सके।

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