मौसम में बदलाव: पश्चिमी हवाओं के चलते आज से मानसून की विदाई की तैयारी Rajendra Suthar, September 23, 2024September 23, 2024 किसान साथियों पश्चिमी राजस्थान में मानसून का प्रभाव धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। पाकिस्तान से आ रही पश्चिमी और दक्षिण पश्चिमी हवाओं के प्रभाव से यह संभावना जताई जा रही है कि सोमवार से मानसून की विदाई शुरू हो सकती है। रविवार को जैसलमेर में तापमान की बात करें तो जैसलमेर में तापमान 39.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि जोधपुर में 53 दिन बाद सबसे गर्म दिन देखा गया। जिससे दिन का तापमान 36.5 डिग्री रहा। इस बढ़ते तापमान के साथ हवा में नमी ने भयंकर उमस पैदा कर दी, जिससे लोग बेहाल हो गए।वर्तमान में तापमान और उमस के हालजोधपुर जिले की बात करें तो बीती रात का तापमान 27.6 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से तीन डिग्री अधिक था। रात में तापमान अधिक रहने और हवा की गति मंद होने से उमस बढ़ गई। वही सुबह की हवा में 75% नमी देखने को मिली। जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।आसमान साफ होते ही चटख धूप निकली, लेकिन हवा में नमी कम नहीं हुई, जिससे उमस व्याप्त हो गई। दोपहर में तापमान 36.5 डिग्री तक पहुँच गया, जबकि उस समय भी नमी 52 फीसदी रही। इस अत्यधिक उमस के कारण लोग दोपहर में हलकान हो गए। शाम ढलने के बाद भी उमस ने राहत नहीं दी।मानसून के विदाई का समयमौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी राजस्थान में अब शुष्क मौसम रहने की संभावना है। मानसून सबसे पहले जैसलमेर और गुजरात के कच्छ क्षेत्र से हटना शुरू होगा और धीरे-धीरे यह पश्चिमी राजस्थान से होते हुए राजस्थान और अन्य राज्यों से विदाई लेगा। पिछले वर्ष मानसून की विदाई की बात करे तो पिछले वर्ष 18 अक्टूबर को पुरे देश में मानसून की विदाई हो गई थी। इस वर्ष ऐसा प्रतीत हो रहा है की यह प्रक्रिया जल्दी शुरू हो रही है जिससे किसानों और आम लोगों में चिंता बढ़ रही है।Also Read लाड़ली लक्ष्मी योजना: बेटियों के लिए 1,43,000 रुपए की आर्थिक सहायता गत वर्ष 25 सितम्बर से मांस्सों की विदाई शुरू हुई थी और पांच दिन बाद आधे राजस्थान में मानसून की विदाई हो गई थी। 3 अक्टूबर तक पूरा प्रदेश मानसून से मुक्त हो गया था। इस वर्ष मौसमी बदलावों के चलते यह विदाई प्रक्रिया जल्दी हो रही है जिससे लोग अपने खेतों और फसलों की स्थिती को लेकर चिंतित है।वही पश्चिमी राजस्थान में पानी की कमी के बीच रामगढ बाँध में पानी की आवक के लिए बाणगंगा नदी की अहमियत बढ़ गई है। लेकिन प्रशासन की अनदेखी और अवरोधों ने इस नदी को भी प्यासी बना दिया है। दोलाज गांव में वन विभाग और ग्राम पंचायत ने मनरेगा योजना के तहत कई छोटे चैक डैम बनवाये है जो नदी के परवाह को रोकने का काम कर रहे है। इसके अलावा सार्वजनिक निर्माण विभाग ने पिछले वर्ष पुलिया का निर्माण किया। जिससे स्थिती और बिगड़ गई है। किसानों ने भी नदी के मुख्य बहाव क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है जिससे नदी का बहाव एक छोटे नाले में तब्दील हो गया है।अवैध मिट्ट्टी खनन भी बाणगंगा नदी के लिए एक बड़ा मुद्दा है। हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा रोक के बावजूद की गांवों में मिट्टी का खनन जारी है। इसके कारण बारश के पानी का संचयन नहीं हो पा रहा है जिससे पानी की कमी और बढ़ रही है। इस स्थिति ने न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी को प्रभावित किया है, बल्कि किसानों की आजीविका पर भी खतरा पैदा कर दिया है।निष्कर्षपश्चिमी राजस्थान में मौसम के बदलते मिजाज ने लोगों की दिनचर्या को प्रभावित किया है। मानसून की विदाई के साथ तापमान में बढ़ोतरी और उमस ने स्थिती को और गंभीर बना दिया है। बाणगंगा नदी की स्थिती भी चिंताजनक है और यदि इसके प्रवाह को कम करने या रोकने वाले कारणों पर ध्यान नहीं दिया गया तो पानी की समस्या और अधिक बढ़ सकती है।इसलिए जरूरी है की प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम उठाये ताकि बाणगंगा नदी क पुनर्जीवन हो सके और पानी के कमी को नियंत्रित किया जा सके। मौसम में बदलावों के साथ समाज और प्रशासन को मिलर संधान ढूंढने की हरसम्भव कोशिश करनी चाहिए ताकि आने वाले समय में सभी केलिए जल संकट की समस्या का सामना करना आसान हो सके। मौसम समाचार