किसानों की चिंता : पीएम फसल बीमा में क्लेम की नई शर्तें Rajendra Suthar, October 1, 2024October 1, 2024 हाल ही में ओसियां क्षेत्र में हुई तेज बारिश ने किसानों के लिए कई समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं। जहां कुछ क्षेत्रों में खड़ी फसलों को नुकसान हुआ है, वहीं कई बीज भी जमीन से बाहर नहीं आ सके। इस विपरीत मौसम की वजह से किसानों को एक नया संकट झेलना पड़ रहा है। लेकिन इस बार नुकसान की भरपाई का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं बचा है, क्योंकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत उन्हें व्यक्तिगत क्लेम नहीं मिलेगा।कृषि क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से, 3 मई 2023 को प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में फसल बीमा कंपनियों के साथ तीन वर्षों के लिए अनुबंध किया गया था। इसके अनुसार, आगामी 2025-26 तक फसल बीमा की सामान्य प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। यह स्थिति तब और भी चिंता की बात बन जाती है, जब यह देखा जाए कि केवल राजस्थान में ही इस प्रकार के नियमों में बदलाव किया गया है, जबकि यह योजना 17 अन्य राज्यों में भी चल रही है।वही 21 जुलाई 2023 को जारी एक सर्कुलर के अनुसार, फसल बीमा की नियमावली में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। नए नियमों के तहत, ओलावृष्टि, भू स्खलन, बादल फटना, बिजली गिरना, जलभराव, और जल प्लावन जैसी आपदाओं के कारण खड़ी फसलों में हुए नुकसान के लिए व्यक्तिगत बीमित किसानों को क्लेम नहीं मिलेगा। यह निर्णय किसानों के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि इससे पहले 8 जून 2022 को जारी अधिसूचना में यह प्रावधान था कि किसानों को व्यक्तिगत क्लेम का लाभ मिल सकता था।किसानों की चिंताएंकिसानों का आरोप है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ केवल बीमा कंपनियों को पहुंचाने के लिए इस प्रकार के नियम बनाए जा रहे हैं। उन्हें इस बदलाव की जानकारी भी नहीं है, क्योंकि लोन लेने वाले किसानों का बीमा स्वचालित रूप से बैंक के माध्यम से किया जाता है, और प्रीमियम उनके खातों से कट जाता है।Also Read भूमि उर्वरता बढ़ाने की नई शुरुआत : कृषि विभाग उपलब्ध कराएगा निशुल्क जिप्सम खाद जोधपुर जिले के तिंवरी, मथानिया, ओसियां और आसपास के क्षेत्रों में हालिया बारिश और अतिवृष्टि ने सैकड़ों गांवों की फसलों को बर्बाद कर दिया है। किसान अब नष्ट हुई फसलों के लिए केवल फसल बीमा क्लेम और आपदा अनुदान राशि पर निर्भर रह गए हैं।आपदा अनुदान के तहत किसानों को सिंचित क्षेत्र में अधिकतम 34 हजार और असिंचित क्षेत्र में 27 हजार रुपए का मुआवजा मिलता है। लेकिन इस राशि का लाभ व्यक्तिगत स्तर पर नहीं मिलता। तहसील क्षेत्र में बोए गए कुल रकबे में से 33 प्रतिशत फसलों में नुकसान दर्ज होने पर ही आपदा अनुदान राशि का मुआवजा मिलेगा। इस प्रक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि यदि किसी किसान की फसल का नुकसान 33 प्रतिशत से कम है, तो वह इस मुआवजे के योग्य नहीं होगा।किसान साथियों ने सरकार से मांग की ही कि फसल बीमा योजना के नियमों में तुरंत बदलाव किया जाए। उन्हें व्यक्तिगत क्लेम की सुविधा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है, ताकि किसानों को इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कुछ राहत मिल सके। वे यह भी चाहते हैं कि फसल नुकसान का आंकलन अधिक पारदर्शी और त्वरित तरीके से किया जाए, ताकि उन्हें जल्द से जल्द मुआवजा मिल सके।निष्कर्षओसियां के किसान इस समय गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। मौसम की मार और बीमा के नए नियमों ने उनकी चिंता को और बढ़ा दिया है। यदि सरकार और संबंधित विभाग समय रहते उचित कदम नहीं उठाते, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। किसानों की कठिनाइयों को समझते हुए, उन्हें जरूरी राहत देने के उपायों की आवश्यकता है, ताकि वे इस कठिन समय में संभल सकें और अपनी कृषि गतिविधियों को पुनः प्रारंभ कर सकें।इसलिए, यह अत्यंत आवश्यक है कि किसान संगठनों, सरकारी विभागों और अन्य संबंधित पक्षों के बीच संवाद बढ़े, ताकि किसानों की आवाज सुनी जा सके और उनके हितों की रक्षा की जा सके। कृषि समाचार