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बटाई पर दी गई जमीन पर सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदम

Rahul Saharan, September 9, 2024September 9, 2024

राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी को मालूम है भारत सरकार और राज्य सरकार के द्वारा किसानो के लिए समय समय पर बहुत प्रकार की योजनाएँ चलाई जा रही है। जैसे की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि यंत्र अनुदान योजना, प्रधानमंत्री किसान योजना, फसल नुकसान मुआवजा योजना आदि अनेक प्रकार की योजनाए चलाई जा रही है। लेकिन जी किसान अपना खेत बटाई/किराए पर देते ही उनकों इन योजनाओ से वंचित होना पड़ सकता है। इसके लिए उन किसानो को जो अपनी जमीन को बटाई/किराए पर देते है, किराएदार के साथ एक समझौता या शपथ पत्र पर एक संधि आवश्यक रूप से करना चाहिए।

संधि नहीं करने पर खेत मालिक को बहुत सी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जा सकता है। और किराए या बटाई पर देते समय किसान के द्वारा किराएदार के साथ एक संधि हस्ताक्षर करना चाहिए। जिससे की किसान सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सके। क्योकि सरकार योजनाओं के नियमो के अनुसार किराएदार किसान या बटाईदार को भी सरकारी योजनाओं का लाभ देने का नियम है।

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बटाई पर देना क्या है –

बटाई/किराए पर भूमि देने का अर्थ होता है की जो भूमि का असली मालिक है वो अपनी भूमि पर खेती न करते हुए किसी अन्य किसान की खेती करने के लिए देता है। और इसके फलस्वरूप वह उस किसान से रूपये या उसकी फसल की उत्पादकता में से थोड़ा सा भाग लेता है। जिस दर या फसल के भाग पर उसने दूसरे किसान को दी होती है। और उस भूमि में जितना भी कार्य होता है वो उस किरायेदार किसान या बटाईदार किसान के द्वारा किया जाता है।

जमीन लेने हेतु संधि करना क्यों आवश्यक है-

सरकार के द्वारा चलाई गयी योजनाओ का लाभ खेत के मालिक किसान के साथ किराएदार/बटाईदार किसान को भी दिया जाता है। परन्तु सरकार के द्वारा उस किराएदार या बटाईदार किसान को सरकारी योजनाओ का लाभ तभी मिल सकता है जब वह बटाईदार किसान खेत के मालिक के साथ खेत बटाई पर लेते समय एक संधि आवश्यक रूप से करनी चाहिए। यदि किसान से बिना किसी संधि के भूमि को किराए/बटाई पर लेता है तो उसको इस सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा।

मध्यप्रदेश राज्य के अंदर इस संधि को करना आवश्यक इसलिए किया गया है ताकि सरकार किसानो के द्वारा MSP पर फसल बेचने के लिए जो पंजीकरण करवाते है उसमे होने वाली धोखाधड़ी को रोका जा सके। क्योकि कई बार किसान किसी दूसरे किसान की जमीन को अपना बताकर MSP पर फसल बेचने के लिए पंजीकरण करवा देते है। और फसल का बेचान कर देते है। और जो असली किसान है वह इस योजना से वंचित रह जाता है।

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जमीन लेने हेतु संधि करने के राज्य सरकार के नियम-

किसान साथियों मध्यप्रदेश राज्य में राज्य सरकार के लिए जमीन के मालिक और किराएदार/बटाईदार के हितों की रक्षा करने के लिए संरक्षण अधिनियम 2016 के द्वारा जमीन को बटाई/किराए पर दिए जाने हेतु सहूलियत प्रदान की। जब कोई किसान अपनी जमीन को किसी दूसरे किसान की बटाई/किराए पर देता है तो यह क़ानूनी रूप से तभी सार्थक माना जाएगा जब खेत का मालिक और बटाईदार/किराएदार सरकार द्वारा जमीन के मालिक और किराएदार/बटाईदार के हितों की रक्षा करने के लिए संरक्षण अधिनियम 2016 के अनुसार संधि करते है। और इस की गयी संधि की एक प्रतिलिपि आपके क्षेत्र के संबधित तलसीदार कार्यालय में जमा अवश्य करवाई जाए।

किसान और बटाईदार/किराएदार के साथ संधि कैसे होती है-

किसान साथियों मध्यप्रदेश राज्य ने किसानो और बटाईदार/किराएदार के बीच में जमीन के मालिक और किराएदार/बटाईदार के हितों की रक्षा करने के लिए संरक्षण अधिनियम 2016 धारा 4(2) में बटाईदार/किराएदार रखने की कोई लिमिट निर्धारित नहीं है आप अपनी इच्छा के अनुसार किराएदार/बटाईदार रख सकते है।और इस की गयी संधि की एक प्रतिलिपि आपके क्षेत्र के संबधित तलसीदार कार्यालय में जमा अवश्य करवाई जाए। इस संधि को क़ानूनी रूप से तभी सार्थक माना जाएगा जब खेत का मालिक और बटाईदार/किराएदार सरकार द्वारा जमीन के मालिक और किराएदार/बटाईदार के हितों की रक्षा करने के लिए संरक्षण अधिनियम 2016 के अनुसार संधि करते है। और आज संधि राजस्व विभाग के द्वारा स्वीकृति प्रदान करने के बाद ही मान्य होगी।

जमीन लेने हेतु संधि ना करने पर क्या नुकसान है-

किसान साथियों यदि कोई किसान अपनी जमीन को बटाई पर देते समय या बटाई/किराए पर लेते समय जमीन के मालिक और बटाईदार/किराएदार के बीच संरक्षण अधिनियम 2016 के अनुसार संधि नहीं करते है। तो सरकार की और से दिया जाने वाला लाभ और सरकारी योजनाओं से वंचित किया जा सकता है। और संधि नहीं करने पर बटाईदार/किराएदार को अपनी फसल को बेचने के लिए एमएसपी का लाभ नहीं मिल पाएगा। किन्ही भी प्राकृतिक कारणों से अगर फसल में नुकसान होता है तो अगर किसान अपनी जमीन को बटाई पर देते समय या बटाई/किराए पर लेते समय जमीन के मालिक और बटाईदार/किराएदार के बीच संरक्षण अधिनियम 2016 के अनुसार संधि नहीं करते है तो उसको इसका मुआवजा राशि से वंचित कर दिया जाएगा।

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