अक्टूबर के पहले सप्ताह में करें सरसों की बिजाई: जानें खेती के टिप्स और सलाह Rajendra Suthar, September 15, 2024September 15, 2024 किसान साथियों रबी सीजन शुरू होने वाला है और रबी की फसलों में सरसों का स्थान महत्वपूर्ण होता है। सरसों के उत्पादन राज्यों की बात करे तो राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में सरसों की खेती होती है। दक्षिण हरियाणा में सरसों की बिजाई अधिक मात्रा में होती है। सरसों के लिए भुरभुरी मिट्टी आवश्यक है। सरसों की अच्छी उपज के लिए खरीफ फसलों की कटाई के बाद एक गहरी जुताई करनी चाहिए। सरसों की बुवाई के लिए उपयुक्त तापमान 25 से 26 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। बुवाई के लिए अक्टूबर के पहले सप्ताह से लेकर 25 अक्टूबर तक का समय सही होता है।अगेती किस्म की बुवाई 25 सितंबर से भी की जा सकती है। बुवाई के लिए शुष्क क्षेत्रों में 4 से 5 किलोग्राम और सिंचित क्षेत्रों में 3 से 4 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहता है। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जोगेंद्र सिंह ने बताया कि किसान यहां से अच्छी किस्मों के बीज प्राप्त कर सकते हैं। सरसों के बीज की कीमत लगभग 135 रुपए प्रति किलोग्राम है।Also Read पीएम आवास योजना : इन लाभार्थियों को 15 सितंबर को जारी होगी पहली किस्त सरसों की किस्मेंसीएस 58 : सरसों की सीएस-58 एक नमक सहिष्णु भारतीय किस्म है जो प्रमुख रूप से राजस्थान, पंजाब , हरियाणा , और उत्तरप्रदेश में उगाई जाती है। सामान्य मिट्टी में इस किस्म की उत्पादकता 26-28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है, जबकि नमक प्रभावित मिट्टी में इसका उत्पादन 20-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहता है। सीएस-60 किस्म भी हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में उगाई जा सकती है और इसे नमक प्रभावित क्षेत्रों में भी लगाया जा सकता है।सीएस 61 : सीएस 61 सरसों की एक नई किस्म है जिसे सीएसएसआरआई, करनाल द्वारा विकसित किया गया है। सरसों की यह किस्म नमक वाली मिट्टी में प्रति हेक्टेयर 21-23 क्विंटल और सामान्य मिट्टी तथा पानी में 25-28 क्विंटल उत्पादन देती है। इसमें तेल की मात्रा लगभग 39% होती है और यह किस्म लगभग 132 दिनों में पक जाती है। इस किस्म में आमतौर पर पौधों की ऊंचाई 181 सेंटीमीटर होती है। सीएस 61 किस्म अल्टरनेरिया ब्लाइट, सफेद रतुआ, पाउडरी मिल्ड्यू, डाउनी मिल्ड्यू, स्टैग हेड, और स्क्लेरोटिनिया स्टेम रॉट के प्रति प्रतिरोधी है, और एफिड के प्रकोप से भी कम प्रभावित होती है।सीएस 62 : सीएस 62 एक किस्म है जिसे सीएसएसआरआई करनाल द्वारा विकसित किया गया है। इस किस्म की सरसों को पकने में समय अपेक्षाकृत काम लगता है। सरसों की यह किस्म लगभग 136 दिनों में पकती है। सोडिक मिट्टी में इसकी उपज 20-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सामान्य मिट्टी और पानी में 25-27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है, और इसमें लगभग 39.5 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है।Also Read वर्मी कम्पोस्ट इकाई पर किसानों को मिलेगा 50 हजार रुपये का सरकारी अनुदान : जानिए सम्पूर्ण जानकारी सीएस 64 : सरसों की सीएस-64 नमक सहिष्णु किस्म हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली व उत्तर प्रदेश के नमक प्रभावित क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाके में भी इसकी बिजाई की जा सकती है। इसकी उत्पादकता 25-28 क्विंटल/हेक्टेयर है, जबकि नमक प्रभावित मिट्टी व सिंचाई जल में 20-23 क्विंटल/हेक्टेयर है। यह 130-138 दिनों में पक जाती है।सरसों की खेती के टिप्सखेत की तैयारी : सरसों की बुवाई के लिए पहले अपने खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें।सितंबर के अंत में सरसों की बुवाई शुरू करें।बीज की मात्रा और बुवाई : सरसों की बुवाई के लिए सिंचित क्षेत्रों में 1.25 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ और बारानी क्षेत्रों में 2 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से बुवाई करें। बीज को कतारों में 30 सेंटीमीटर की दूरी पर डालें। बीज को पोरा विधि से डालें ताकि वह 4-5 सेंटीमीटर से अधिक गहरा न हो।बीज उपचार : सरसों की फसल को तनागलन रोग से बचाने के लिए बीज को 2 ग्राम बाविस्टिन दवा से प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें।खेत में खाद का उपयोग : बुवाई के समय सिंचित क्षेत्रों में सरसों और तोरिया के लिए 25 किलोग्राम यूरिया और 50 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें। शेष 25 किलोग्राम यूरिया पहली सिंचाई के दौरान डालें।बारानी क्षेत्रों में तोरिया, सरसों और बंगा सरसों के लिए बुवाई के समय 35 किलोग्राम यूरिया और 50 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट प्रति एकड़ खेत में डालें। नहरी क्षेत्रों में राया की बुवाई के समय 35 किलोग्राम यूरिया और 75 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट प्रति एकड़ खेत में डालें। कृषि सलाह