गायों में दुग्ध ज्वर एक गंभीर समस्या : जानिए पहचान और उपचार Rajendra Suthar, October 25, 2024October 25, 2024 गायों में दुग्ध ज्वर जिसे हाइपोकैल्सीमिया के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जो मुख्य रूप से गायों के ब्याने के तुरंत बाद होती है। यह स्थिति रक्त में कैल्शियम की अस्थाई कमी के कारण उत्पन्न होती है, जिससे पशुओं के व्यवहार में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। दूध देने वाले पशुओं में यह समस्या गंभीर हो सकती है और इसके प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।दुग्ध ज्वर (Milk Fever) क्या है : दुग्ध ज्वर प्रमुख रूप से उन गायों में होता है जो हाल ही में ब्याई होती हैं। ब्याने के बाद आमतौर पर गाय का शरीर तुरंत दूध के उत्पादन के लिए तैयार होता है, लेकिन यदि उसके शरीर में कैल्शियम की कमी होती है, तो उसे दुग्ध ज्वर हो सकता है। यह स्थिति न केवल पशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है, बल्कि इसके परिणामस्वरूप दूध उत्पादन में भी कमी आ सकती है।दुग्ध ज्वर कैसे होता हैदुग्ध ज्वर कई कारणों से हो सकता है, लेकिन इसका मुख्य कारण यह है कि ब्याने के बाद गाय का शरीर एक बार में पूरा दूध नहीं निकालता है। जिसके कारण गाय का शरीर कोलोस्ट्रम का स्राव करता है, जिससे कैल्शियम की कमी होती है। यदि समय पर इस समस्या का उपचार नहीं किया गया, तो यह स्थिति पशु की मृत्यु का कारण भी बन सकती है।दुग्ध ज्वर (Milk Fever) के लक्षणAlso Read नवंबर में लहसून की खेती(Lahsoon Farming): जानिए लहसून की खेती की सम्पूर्ण प्रक्रिया उत्तेजना और कम्पन: दुग्ध ज्वर से पीड़ीत पशु पशु में उत्तेजना, घबराहट और शरीर में कम्पन दिखाई दे सकता है।मांसपेशियों में खिंचाव: पशु की मांसपेशियों में खिंचाव आने लगता है, जिससे उसे चलने में कठिनाई होती है।आंखों में सूजन: इस रोग में पशु की आंखें सूज सकती हैं, जो इस समस्या का एक प्रमुख लक्षण है।निढाल होना: इस रोग के दौरान पशु अक्सर जमीन पर बैठ जाता है और थोड़ी देर बाद ही लेट जाता है, जिससे उसकी कमजोरी और बढ़ जाती है।बेहोशी: गंभीर मामलों में, पशु को बेहोशी आने लगती है, जिससे उसकी स्थिति और भी बिगड़ जाती है।दुग्ध ज्वर रोग की रोकथाम और उपचार (Milk Fever Treatment)दुग्ध ज्वर रोग से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय किए जा सकते हैं:आहार में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाना: ब्यांत से पहले, पशु के आहार में कैल्शियम की उचित मात्रा शामिल करनी चाहिए। यह कैल्शियम की कमी को रोकने में मदद करेगा।खनिज मिश्रित आहार: गायों को खनिज मिश्रित आहार देने से उनकी सेहत बेहतर होती है और दूध के बुखार के जोखिम को कम किया जा सकता है।पशु चिकित्सक की सलाह: यदि किसी गाय में दूध का बुखार के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। चिकित्सक द्वारा दिए गए उपचार से जल्दी राहत मिल सकती है।चिकित्सकीय उपचार : पशु चिकित्सक द्वारा पीड़ित गाय को कैल्शियम और विटामिन डी का इंजेक्शन दिया जाना चाहिए। इंजेक्शन के माध्यम से कैल्शियम जल्दी असर करता है और यह स्थिति को नियंत्रण में लाने में मदद करता है। उपचार के बाद, गाय को विश्राम और उचित देखभाल की आवश्यकता होती है, ताकि वह जल्दी स्वस्थ हो सके।निष्कर्षदुग्ध ज्वर रोग एक गंभीर स्थिति है जो गायों में ब्याने के तुरंत बाद उत्पन्न हो सकती है। इसके लक्षणों को पहचानना और समय पर उपचार करना अत्यंत आवश्यक है। पशुपालकों को इस विषय में सतर्क रहना चाहिए और गायों के आहार में उचित मात्रा में कैल्शियम और खनिज मिश्रित आहार शामिल करना चाहिए। इससे न केवल गायों की सेहत बेहतर होगी, बल्कि दूध उत्पादन में भी वृद्धि होगी।यदि आपको अपने पशुओं के स्वास्थ्य के बारे में कोई संदेह हो, तो हमेशा एक योग्य पशु चिकित्सक से परामर्श लें। आपकी सतर्कता और सही उपायों से दूध का बुखार एक नियंत्रित स्थिति बन सकती है, जिससे आपके पशुओं का स्वास्थ्य और उत्पादन दोनों सुरक्षित रहेंगे। कृषि समाचार कृषि सलाह