जालोर में अकेले ही किसान ने लगा दिए खेजड़ी के हजारों पेड़: जानिए मुरारदान की मिसाल की कहानी Rahul Saharan, September 17, 2024September 17, 2024 राम राम किसान साथियों आज हम आपके लिए लेकर आये एक ऐसे किसान की कहानी जिसने अकेले ही खेजड़ी के हजारों पेड़ लगा दिए। और इस हजारो की संख्या में पेड़ लगाने वाले किसान का नाम है- मुरारदान। किसान साथियो आप सभी को मालूम होगा की सरकार की ओर से वन सम्पदा बचाने और बढ़ते हुए तापमान को देखते हुए अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने तथा पर्यावरण को बचाने के लिए बहुत से अभियान चला रही है।राजस्थान के सायला तहसील के हरमू गांव के रहने वाले मुरारदान ने खेजड़ी के वर्ष को बचाने के लिए लगभग 1 दशक से अब तक तक़रीबन 5 हजार से भी ज्यादा खेजड़ी के वृक्ष लगा चुके है। और ना सिर्फ इन्होने खेजड़ी के वृक्ष लगाए है बल्कि उन्हें पाल पोस कर बड़ा भी किया है। मुरारदान ने खेजड़ी के पेड़ो को सूखने से बचाने के लिए शुष्क वन अनुसंधान केंद्र जोधपुर से वैज्ञानिको की टीम को बुलाकर उन पेड़ो का इलाज भी करवाया है।मुरारदान ने खेजड़ी के वृक्ष लगाने के साथ-साथ जैविक खेती तथा पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए अभियान भी चला रहे है। और लोगो को जैविक खेती तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक भी कर रहे है। मुरारदान बताते है की खेजड़ी के वर्ष को शमी का वृक्ष भी कहा जाता है। और यह वृक्ष धार्मिक महत्व के साथ साथ पर्यावरण के भी भी बहुत महत्वपूर्ण है। और खेजड़ी के वृक्ष के नीचे कई प्रकार की फसल को ऊगा सकते है और उनका उत्पादन भी बहुत अच्छा होता है।Also Read आयुष्मान योजना (Aayushman yojana) में बदलाव: जानें नई योजनाओं से कैसे होगा फायदा मुरारदान ने असम्भव कार्य के लिए कही जाने वाली कहावत कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता को चुनौती देकर राजस्थान के अंदर राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी के लगभग 5 हजार से भी ज्यादा पेड़ लगाकर उन्हें पाल-पोशकर बड़ा भी कर दिया है। आज कल राजस्थान में सोलर पैनल लगाने के लिए खेजड़ी के पेड़ो की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। जिसके कारण पर्यावरण प्रेमियों में बहुत ही चिंता का माहौल बना हुआ है। और वे सब इसका लगातार विरोध कर रहे है। जिसके कारण राजस्थान के किसान मुरारदान ने अपने खेत में 5 हजार से भी अधिक खेजड़ी के वृक्ष लगा दिए है। और राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी को बचाने के लिए जनजागरूकता अभियान भी चलाया है।किसान साथियो लगभग 300 वर्ष पहले खेजड़ी के वृक्ष को बचाने के लिए अमृता देवी बिश्नोई के नेतृत्व में जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव में वर्ष 1730 में 363 ने अपना बलिदान दे दिया था। और उन 363 लोगो की स्मृति में हर साल जोधपुर जिला मुख्यालय से लगभग 22 किमी दूर खेजड़ली गांव में 13 सितम्बर को बलिदान दिवस मनाया जाता है।आज की स्थिति में राजस्थान में बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर तथा जोधपुर में बहुत बड़ी संख्या में सोलर प्लांट लगाए जा रहे है। जिसके कारण उनको बहुत अधिक मात्रा में भूमि की आवश्यकता होती है। जिसके चलते बहुत बड़ी मात्रा में वृक्षों को कटा जाता है। और उन वृक्षों में खेजड़ी के वृक्षों की संख्या बहुत अधिक होती है। और सोलर प्लांट लगाने वाली कम्पनियाँ इन पेड़ो को काट रही है। और सरकार इन पेड़ो की बहुतायत में हो रही कटाई को मूक बधिर होकर देख रही है तथा इनको बचने के लिए किसी प्रकार का कोई कदम नहीं उठा रही है।खेजड़ी के वृक्ष को बचाने के लिए राज्य के लिए प्रत्येक जिले में जनजागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है सायला तहसील के हरमू गांव के मुरारदान। जिन्होंने अकेले ही खेजड़ी के 5 हजार वृक्ष लगा दिए। कृषि समाचार