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अनियमित बारिश से धान की फसल पर बढ़ा संकट : जानें मौसम विभाग की राय

Rajendra Suthar, July 27, 2024July 27, 2024

वर्तमान में, भारतीय कृषि क्षेत्र अनियमित मौसम और अत्यधिक जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर संकट का सामना कर रहा है। विशेष रूप से धान की फसल, जो देश की प्रमुख खाद्यान्न फसलों में से एक है, इस संकट का मुख्य शिकार बनी हुई है। उत्तरभारत में धान का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्यों में मौसम का जोखिम छाया हुआ है। किसान अभी भी बारिश का इंतजार कर रहे है ताकि वे धान की बिजाई कर सके।

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस समय पंजाब और हरियाणा में कुल 39.640 लाख हैक्टेयर में धान की फसल की रोपाई की जा चुकी है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक के मानसून सीजन में पंजाब और हरियाणा में सामान्य से 3% कम बारिश हुई है। और उत्तर भारत में 11% कम वर्षा दर्ज की गई है।

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अनियमित बारिश का प्रभाव

किसान साथियों धान की फसल की वृद्धि और उपज मानसून पर निर्भर होता है। धान की फसल के लिए सही समय पर और जरूरी मात्रा में बारिश की आवश्यकता होती है ताकि फसल सही ढंग से विकसित हो सके। जब मानसून की बारिश अनियमित होती है, तो इसके निम्नलिखित प्रभाव देखे जा सकते हैं-

बुवाई और फसल के विकास में असमानता: धान की फसल की बुवाई आमतौर पर जून और जुलाई महीने में की जाती है। यदि बारिश की कमी या असमय वर्षा होती है, तो बुवाई में देरी हो जाती है या फसल प्रभावित होती है। जिससे फसल की पैदावार में कमी आ सकती है और उपज की गुणवत्ता पर भी काफी असर पड़ सकता है।

पश्चिमी विक्षोभ और बाढ़ का प्रभाव : कभी-कभी ज्यादा और अनियमित बारिश के कारण अचानक बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है, जो धान की फसल को नुकसान पहुँचाती है। बाढ़ के कारण मिट्टी का कटाव और पौधों की जड़ें डूब सकती हैं, जिससे फसल को गंभीर क्षति होती है।

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मौसम विभाग की राय

मौसम विभाग ने बताया है की कम वर्षा के कारण धान की रोपाई में अनियमिता आई है। मौसम विभाग ने कहा की यदि इन राज्यों में बारिश सामान्य नहीं हुई तो इस बार धान की रोपाई में कमी आ सकती है। साथ ही रोपी गई फसल भी प्रभावित हो सकती है।

मानसून की असमानता: मौसम विभाग के अनुसार, इस वर्ष मानसून की बारिश असमान रही है। आमतौर पर जून से सितंबर तक मानसून की बारिश होती है, लेकिन इस साल बारिश का वितरण असमान रहा है। जिससे कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक बारिश हुई है जबकि कुछ क्षेत्रों में सूखा पड़ा है।

जलवायु परिवर्तन: मौसम विभाग ने जलवायु परिवर्तन को इस असमान बारिश के लिए मुख्य कारण बताया है। ग्लोबल वॉर्मिंग और वायुमंडलीय परिवर्तन के कारण मानसून के पैटर्न में बदलाव आ रहा है। इससे कृषि उत्पादकता पर प्रभाव देखने को मिल रहा है।

आने वाले दिनों में क्या स्थिति रह सकती है : मौसम विभाग ने बताया है कि अगर मानसून की स्थिति में सुधार नहीं होता है तो धान की फसल के उत्पादन पर गहरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे अपने खेतों में जल संरक्षण के उपाय अपनाएं और मौसम की पूर्वानुमान रिपोर्ट को ध्यान में रखकर खेती की योजना बनाएं।

निष्कर्ष

किसान साथियों अनियमित बारिश और जलवायु परिवर्तन का असर धान की फसल पर गहरा और व्यापक है। यह केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित नहीं करता, बल्कि खाद्य सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। हमारी कृषि नीति और प्रबंधन में सुधार की जरूरत है ताकि इस प्रकार की चुनौतियों का सामना किया जा सके और देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।

Disclaimer– हम emandibhav.com के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को फसल/फल खरीदने या बेचने की सलाह नहीं देते हैं, हम सिर्फ आप तक बाजार के भाव पहुंचाने का प्रयास करते हैं जिससे आपको अपना निर्णय लेने में सहायता हो। अपनी फसल की खरीद फरोख्त करते समय अपनी सम्बन्धित कृषि मंडी सिमिति से भाव की पुष्टि जरुर कर ले।आपके किसी भी प्रकार के वित्तीय नुकसान के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे।

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