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मूंग और उड़द फसल में रोगों की समस्या: जानिये बचाव के आसान तरीके

Rajendra Suthar, August 20, 2024August 20, 2024

भारत में मूंग और उड़द की फसलों का महत्व कृषि में अत्यधिक है। ये दोनों ही दलहन फसलें हमारे भोजन का अहम हिस्सा हैं और पोषण का महत्वपूर्ण स्रोत भी। लेकिन, इन फसलों की पैदावार को प्रभावित करने वाले कई रोग भी हैं, जो किसान के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन सकते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम मूंग और उड़द फसलों में होने वाले रोगों और उनके बचाव के आसान तरीकों पर चर्चा करेंगे।

किसान भाइयों दलहन की फसलों की अच्छी पैदावार के लिए उन्हें कीटों और रोगों से सुरक्षित रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेषकर बारिश के मौसम में जब खेतों में कई दिनों तक पानी भरा रहता है, तब पौधों में बीमारियों और कीटों के हमलों का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति से बचने के लिए कृषि विभाग ने किसानों के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय सुझाए हैं।

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खरीफ सीजन के दौरान किसानों ने दालों की फसलों की बंपर बुवाई की है, और दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए प्रोत्साहन का असर रकबे में भारी वृद्धि के रूप में देखा गया है। हालांकि, इस बार की बंपर बारिश के चलते मूंग और उड़द की फसलों में ‘पीला चितकबरी’ या ‘मोजेक रोग’ और ‘सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग’ जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। विशेषकर उन खेतों में जहाँ पानी अधिक समय तक भरा रहा है, इन रोगों और कीटों के हमलों का जोखिम ज्यादा है।

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने इन समस्याओं से निपटने के लिए कुछ प्रभावी उपाय सुझाए हैं, जिन्हें अपनाकर किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं और बेहतर पैदावार सुनिश्चित कर सकते हैं।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने बताया की, इस बार खरीफ सीजन में दालों की अधिकतम बुवाई की गई है। 12 अगस्त तक के ब्यौरे के तहत , मूंग दाल की बुवाई 33 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि तक केवल 29 लाख हेक्टेयर में बुवाई की गई थी। इसी तरह, उड़द दाल की बुवाई 28 लाख हेक्टेयर में पूरी हो चुकी है।

इसके अतिरिक्त, अन्य दालों की कुल बुवाई की बात करें तो बुवाई 118 लाख हेक्टेयर में की गई है, जो पिछले सीजन की 111 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 7 लाख हेक्टेयर अधिक है।

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मूंग और उड़द में पीला चितकबरी या मोजेक रोग का बढ़ता खतरा

सरकार के कृषि विभाग द्वारा जारी की गई सलाह के अनुसार, उड़द और मूंग फसलों में वर्तमान के मौसम के अनुसार पीला चितकबरी रोग, जिसे पीला चितवर्ण या मोजेक रोग भी कहा जाता है, का खतरा बढ़ सकता है। रोग के प्रभाव के कारण पौधों की पत्तियों पर पीले-सुनहरे धब्बे बन जाते हैं। अधिक रोग के फैलाव के कारण पूरी पत्ती पीली पड़ जाती है। यह रोग सफेद मक्खियों के माध्यम से फैलता है, जो पौधों पर इस रोग को ट्रांसमिट करती हैं और धीरे-धीरे पूरी फसल को प्रभावित करती हैं। इससे पत्तियों की चिकनाई खत्म हो जाती है और वे सिकुड़ने लगती हैं।

रोग से बचाव उपाय

बीज की बुवाई का समय : पीला चितकबरी या मोजेक रोग से बचने के लिए बीज की बुवाई जुलाई के पहले हफ्ते तक कतारों में करनी चाहिए।

रोगग्रस्त पौधों का निपटान: प्रारंभिक अवस्था में ही पीला चितकबरी या मोजेक रोग से प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए।

फसल सुरक्षा उपाय : पीला मोजेक रोग से फसल को बचाने के लिए, रोगग्रस्त पौधों को खेत से दूर फेंकना चाहिए या जलाकर नष्ट कर देना चाहिए।

डायमीथोएट 30 EC का उपयोग : 1 लीटर डायमीथोएट 30 EC कीटनाशक को लगभग 600 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव करें।

ऑक्सिडिमेटान- मिथाइल 25% EC का उपयोग : 1 लीटर ऑक्सिडिमेटान- मिथाइल 25% EC कीटनाशक को 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

ट्रायजोफॉ-40 ईसी का उपयोग : 2 मिली ट्रायजोफॉ-40 ईसी को 1 लीटर पानी में घोलकर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।

थायोमेथोक्साम-25 डब्लूजी का उपयोग : 2 ग्राम थायोमेथोक्साम-25 डब्लूजी को 1 लीटर पानी में मिलाकर 3 बार छिड़काव करें।

किसान साथियों मूंग और उड़द की फसलें हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इनकी खेती में रोगों का प्रबंधन न केवल फसल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि किसान की आय को भी प्रभावित कर सकता है। ऊपर दिए गए उपायों और सावधानियों को अपनाने के अलावा कृषि विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले।

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