सरसों की फसल के लिए बेहतरीन किस्में: जानें कैसे बढ़ाएं पैदावार Rajendra Suthar, October 8, 2024October 8, 2024 सरसों की खेती भारतीय किसान भाइयों के लिए एक महत्वपूर्ण और फायदेमंद विकल्प है। विशेष रूप से रबी मौसम में सरसों की फसल देश की मुख्य तिलहन फसलों में से एक है। अक्टूबर का महीना सरसों की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे किसान भाई सरसों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और इसके लिए किन उन्नत किस्मों का चुनाव करना चाहिए।सरसों की खेती का भारतीय अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख स्थान है। सरसों की फसल न केवल किसानों के लिए लाभदायक है बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सरसों की फसल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे इसकी खेती कम लागत में की जा सकती है।Also Read कृषि का नया आयाम : जानिए प्राकृतिक खेती और देशी गोपालन का जादू सही किस्म का करें चुनावसरसों की उन्नत किस्मों का चयन करना बहुत जरूरी है। उन्नत किस्मों के उपयोग से न केवल पैदावार में वृद्धि होगी बल्कि बेहतर मुनाफा भी प्राप्त होगा।आरएच 725 किस्म : आरएच 725 किस्म की सरसों 136 से 143 दिनों में पक कर तैयार होती है। इसकी फलियां लंबी होती हैं, और हर फली में 17 से 18 दाने होते हैं। यह किस्म उच्च पैदावार और गुणवत्ता के लिए जानी जाती है।पूसा बोल्ड किस्म : पूसा बोल्ड किस्म मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र के क्षेत्रों में अधिक मात्रा में उगाई जाती है।राज विजय सरसों-2 : इस प्रकार की सरसों की किस्म मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। ये किस्म 120 से 130 दिनों में तैयार होती है। अक्टूबर माह में इसकी बुवाई करने पर 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार मिलती है, जो किसानों के लिए बहुत लाभकारी है।आर एच 30 किस्म : सरसों के यह किस्म रियाणा, पंजाब और पश्चिमी राजस्थान के लिए सर्वोत्तम होती है। इस किस्म की बुवाई सिंचित और असिंचित दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है। यह किस्म 130 से 135 दिनों में पकती है, और यदि इसे 15 से 20 अक्टूबर के बीच बो दिया जाए तो उपज 16 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो सकती है।Also Read डीएपी खरीदते समय सतर्क रहें: जानें कैसे पहचानें असली और नकली उर्वरक आरएच-761 किस्म : आरएच-761 किस्म के लिए अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, और यह पाले के प्रति सहनशील होती है। इस किस्म से प्राप्त उपज 25-27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है। फसल को तैयार होने में 136 से 145 दिन का समय लगता है और इसमें 45 से 55 दिन में फूल आने लगते हैं।सरसों की खेती के लाभकम लागत में अधिक मुनाफ़ा : सरसों की खेती के दौरान ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती, जिससे इसकी लागत कम होती है।जलवायु के प्रति सहनशीलता : सरसों की कुछ किस्में जलवायु की विविधताओं के प्रति सहनशील होती हैं, जिससे खेती में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।उच्च बाजार मूल्य : सरसों के तेल की मांग हमेशा बनी रहने के कारण किसानों को अच्छा बाजार मूल्य मिलता है।पौधों की अच्छी वृद्धि: सही किस्म का उपयोग करने से पौधों की उचित वृद्धि और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।निष्कर्षकिसान साथियों के लिए सरसों की खेती एक लाभकारी व्यवसाय है, खासकर उन किसानों के लिए जो उन्नत किस्मों का चयन कर खेती करते हैं। सही समय पर बुवाई और उचित देखभाल से किसान भाई अच्छी पैदावार और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इसलिए, यदि आप सरसों की खेती करने की सोच रहे हैं, तो उपरोक्त किस्मों में से किसी एक का चयन करें और अपने खेती के अनुभव को सफल बनाएं।किसान भाइयों, सरसों की खेती से न केवल आर्थिक लाभ होगा, बल्कि यह आपके क्षेत्र की कृषि स्थिरता में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। अच्छी किस्में और सही तकनीक के साथ आप भी सफल हो सकते हैं। कृषि सलाह