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विदेशों में बढ़ी बासमती चावल की मांग : क्या सरकार हटायेगी चावल के निर्यात पर प्रतिबन्ध ?

Rajendra Suthar, July 23, 2024July 23, 2024

भारतीय बासमती चावल का नाम विश्व भर में गर्व से लिया जाता है। इसकी खुशबू, स्वाद, और गुणवत्ता ने इसे वैश्विक बाजार में एक पसंदीदा उत्पाद बना दिया है। विशेषकर दक्षिणी एशिया और मध्य पूर्वी देशों में भारतीय बासमती चावल की मांग बढ़ चुकी है, जहां लोग इसे अपनी प्रमुख भोजन सामग्री के रूप में चुनते हैं।

किसान साथियों मलेशिया ने भारत से चावल और चीनी के आयात की मांग की है। मलेशिया के कमोडिटी मंत्री ने कहा है की वे भारत के साथ एक समझौता करना चाहते है जिसमे मलेशिया भारत से चावल, चीनी और आवश्यक सामग्रियों के आयात को सुनिचीत करेगा। साथ ही मलेशिया भारत को पाम ऑयल का निर्यात जारी रखेगा।

क्यों हो रही है चावल की मांग में वृद्धि

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चावल की मांग में वृद्धि देखने के पीछे कई कारण हैं। पहले तो, विदेशी उपभोक्ताओं की स्वास्थ्यवर्धक खाद्य आदतों में बदलाव आ रहा है, जिसके कारण चावल जैसे पोषक अन्न की मांग बढ़ रही है। दूसरे, चावल की खुशबू, स्वाद और गुणवत्ता के कारण विदेशी बाजारों में इसकी मांग बढ़ी है। इसके अलावा, अन्य देशों में चावल के मूल्य में वृद्धि ने भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ा विस्तार का द्वार खोला है। मलेशिया में उत्पादित चावल केवल 65% लोगो के लिए ही पर्याप्त है। जिससे बासमती चावल के मांग बड़ रही है।

मलेशिया के मंत्री ने कहा है की वह वस्तु विनिमय प्रणाली का समर्थन नहीं करते है। मलेशिया ने 2023 की शुरआत में 14.8 टन पाम ऑयल निर्यात किया था। जिसमे भारत ने 3.7 टन ऑयल खरीदा था। इस कारण से मलेशिया को आशा है की 2024 में पाम ऑयल के निर्यात में वृद्धि होगी। मलेशिया को पाम ऑयल के 15 मिलियन टन तक निर्यात होने की आशा है।

मलेशिया के मंत्री जोहरी ने भारत के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाक़ात के और जिसमे मलेशिया ने खाद्य तेल सुरक्षा लक्ष्यों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही। वर्त्तमान में भारत में तेल और वसा की प्रति व्यक्ति खपत पिछले दशक से बढ़कर 19 किलोग्राम हो गई है। वही वैश्विक औसत 30 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है।

चावल के निर्यात पर प्रतिबंध की सबसे बड़ी वजह विशेष रूप से पोषक अन्न की आपूर्ति को लेकर चिंता है। अन्य देशों में चावल की मांग बढ़ रही है, और इसका असर भारतीय बाजारों पर भी दिखाई दे रहा है। इसके अलावा, चावल के महंगे होने के कारण भी इस निर्यात को बाधित किया जा रहा है। यहां तक कि किसानों और उत्पादकों को भी इस निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठा रही है।

निष्कर्ष

इन सभी तर्कों को मध्यस्थ रूप से समझकर, भारत की सरकार को समय रहते सही निर्णय लेना होगा। चावल के निर्यात पर प्रतिबंध को हटाने से विदेशी बाजारों में भारत का प्रतिस्पर्धी अवसर बढ़ेगा, लेकिन इसे सावधानीपूर्वक और अर्थव्यवस्था को हानि न हो इसके लिए सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

इस विषय पर विस्तृत चर्चा और नीतिगत निर्णय अब सरकार के ऊपर है। भारत की चावल उद्योग की स्थिति और बाजार की चालों को मध्यस्थ रूप से ध्यान में रखते हुए, सरकार को अपने निर्णय में विवेकपूर्णता से कार्रवाई करनी चाहिए। इसी से हमारे किसानों, उत्पादकों और देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ता हुआ भारतीय चावल उद्योग मिल सकता है।

Disclaimer– हम emandibhav.com के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को फसल/फल खरीदने या बेचने की सलाह नहीं देते हैं, हम सिर्फ आप तक बाजार के भाव पहुंचाने का प्रयास करते हैं जिससे आपको अपना निर्णय लेने में सहायता हो। अपनी फसल की खरीद फरोख्त करते समय अपनी सम्बन्धित कृषि मंडी सिमिति से भाव की पुष्टि जरुर कर ले।आपके किसी भी प्रकार के वित्तीय नुकसान के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे।

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