तेल बाजार में हलचल: वैवाहिक सावे और बढ़ती डिमांड से मूंगफली तेल के भाव में आई तेजी Rajendra Suthar, November 11, 2024November 11, 2024 Mungfali Oil Price: भारत में खाद्य तेलों की कीमतों में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं, जिससे न केवल व्यापारियों और मिलों पर बल्कि आम उपभोक्ताओं पर भी असर देखने को मिलता हैं। पिछले कुछ समय से सोयाबीन और पाम तेल के बढ़ते दामों ने तेल बाजार में हलचल मचाई थी, और अब मूंगफली तेल के दामों में 50 से 150 रुपए प्रति टिन की बढ़ोतरी हो गई है। इस बढ़ोतरी के पीछे कुछ खास कारण हैं, जो इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे। साथ ही, हम यह भी समझेंगे कि भाव में होने वाली यह बढ़ोतरी आम उपभोक्ता और खासकर मिडिल क्लास परिवारों पर कैसे असर डालने वाली है।मूंगफली तेल के भाव में होने वाली वृद्धि का असर अब रिटेल बाजार पर भी देखने को मिल रहा है। रिटेल में मूंगफली तेल के दामों में 3 से 10 रुपए प्रति किलो का उछाल आने की संभावना है। इससे विशेषकर मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास परिवारों के रसोई बजट पर दबाव बढ़ेगा। पहले जहां 1 किलो मूंगफली तेल (Mungfali Oil Price 1 KG) कुछ सौ रुपए में मिल जाता था, वहीं अब वही तेल अब और महंगा हो जाएगा। इसका असर भोजन बनाने की लागत पर पड़ेगा, और घरेलू खर्च में भी वृद्धि होगी।Groundnut Oil 15 Ltr Price: दिवाली के मुहूर्त में कई व्यापारियों और स्टॉकिस्टों ने मूंगफली तेल के सौदे किए थे, जब दाम कम थे। वे सौदे अब लाभकारी साबित हो रहे हैं क्योंकि वर्तमान में दामों में तेजी आई है। इस समय, जो भी नए सौदे होंगे, उन्हें 50 से 150 रुपए प्रति टिन अधिक खर्च करना पड़ेगा। ऐसे में व्यापारी और हलवाई जो पहले सस्ते दामों पर तेल खरीद चुके थे, अब बाजार में बेचने पर उन्हें मुनाफा हो सकता है।मूंगफली तेल के दामों में तेजी के प्रमुख कारणमूंगफली तेल की बढ़ रही कीमतों के पीछे सबसे प्रमुख कारण है डिमांड में अचानक हुई बढ़ोतरी। तेल के बाजार में बदलाव और खासकर सोयाबीन तथा पाम तेल के दामों में तेज वृद्धि के कारण उपभोक्ताओं का मूंगफली तेल की ओर रुझान बढ़ा है। इसके अतिरिक्त, आगामी वैवाहिक सीजन और सर्दियों के मौसम में खाद्य तेल की खपत में और अधिक वृद्धि होने की संभावना है।भारत में देवप्रबोधिनी एकादशी के बाद से वैवाहिक सावे का सीजन शुरू हो जाता है जिससे रसोई में तेल की मांग सामान्य दिनों से कहीं अधिक होती है। खासकर हलवाई, कैटरर्स और अन्य खाद्य व्यवसायों के लिए यह समय अत्यधिक व्यस्त होता है। इस दौरान तेल का भारी इस्तेमाल होता है, जिससे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है।वही हाल ही में कुछ अंतरराष्ट्रीय घटनाएं हुई हैं जिन्होंने तेल बाजार को प्रभावित किया है। वैश्विक आपूर्ति संकट और कुछ प्रमुख तेल उत्पादक देशों में उत्पादन घटने से तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। इसका असर भारत जैसे आयातक देशों पर भी पड़ा है, और देश में तेल के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं।भारत में तेल की उपलब्धता भी मानसून पर निर्भर करती है। यदि मानसून में कमी होती है, तो तिलहन की फसल प्रभावित होती है और तेल का उत्पादन कम हो जाता है। इस कारण से भी तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। भारत में खाद्य तेल की खपत वर्ष दर वर्ष बढ़ रही है। बढ़ती आबादी और आय में वृद्धि के कारण तेल की मांग भी बढ़ रही है, जिससे बाजार में उतार-चढ़ाव आता है।निष्कर्षमूंगफली के तेल के बढ़ते दामों ने एक बार फिर से तेल बाजार में हलचल मचा दी है। भाव में यह बढ़ोतरी डिमांड में वृद्धि, प्रतिस्पर्धा, और वैश्विक तेल बाजार के प्रभाव के कारण देखने को मिली है। इन प्रभावो के कारण रीटेल में भी तेल के दाम बढ़ने की सम्भावना है, जो कि उपभोक्ताओं के लिए एक नई चुनौती बन सकती है।हालांकि, त्योहारों के समय में कुछ व्यापारियों को फायदा हुआ है, लेकिन आम परिवारों के रसोई बजट पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा। अब यह देखना होगा कि सरकार और व्यापारियों द्वारा तेल की कीमतों को स्थिर करने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। कृषि समाचार