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भूमि उर्वरता बढ़ाने की नई शुरुआत : कृषि विभाग उपलब्ध कराएगा निशुल्क जिप्सम खाद

Rajendra Suthar, October 1, 2024October 1, 2024

भारत में कृषि एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो न केवल देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है, बल्कि करोड़ों किसानों की आजीविका का भी मुख्य स्रोत भी है। पिछले कुछ वर्षों में, किसानों ने अधिक उत्पादन हासिल करने के चक्कर में रासायनिक खादों का अधिक उपयोग किया है, जिससे भूमि का उपजाऊपन तेजी से घटा है। इस संदर्भ में, कृषि विभाग ने एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत किसानों को जिप्सम खाद उपलब्ध कराई जाएगी।

किसान भाइयों द्वारा अधिक पैदावार की चाहत में रासायनिक खादों का अत्यधिक उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ा है। कई क्षेत्रों में खेत बंजर होते जा रहे है और उपज भी प्रभावित हो रही है। इस प्रकार की समस्याएँ केवल कृषि उत्पादन को ही नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा को भी प्रभावित कर रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए, कृषि विभाग ने जिप्सम खाद का उपयोग करने का निर्णय लिया है।

जिप्सम का महत्व और लाभ

जिप्सम एक प्राकृतिक खनिज है, जो मुख्यतः कैल्शियम और सल्फर से बना होता है। इसके कई फायदें हैं-

मिट्टी की संरचना में सुधार: जिप्सम मिट्टी की संरचना को सुधारता है और इसके भौतिक गुणों को बेहतर बनाता है। इसके साथ ही मिट्टी में जल निकासी को भी बढ़ाता है। जिससे फसलों की जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है।

सोडियम का संतुलन: जिप्सम में सल्फर की उपस्थिति सोडियम को नियंत्रित करती है, जिससे मिट्टी का पीएच स्तर संतुलित रहता है। साथ ही यह मिट्टी को क्षारीयता से बचाता है और उपजाऊ बनाता है।

रोगों का नियंत्रण: जिप्सम के उपयोग से फसलों पर लगने वाले रोगों के सम्भावना कम हो जाती है। विशेष रूप से तिलहनी फसलों में, यह तेल की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है।

अन्य पोषक तत्वों की उपलब्धता: जिप्सम भूमि में अन्य पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की उपलब्धता को बढ़ाता है, जिससे फसलों का उत्पादन भी बेहतर होता है।

कृषि विभाग उपलब्ध कराएगा निशुल्क जिप्सम

कृषि विभाग ने प्रदेश में बंजर होते खेतों के लिए जिप्सम वितरण की योजना बनाई है। इस योजना के अनुसार किसान आधा हेक्टेयर भूमि के लिए निशुल्क जिप्सम प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा क्षारीय भूमि को सुधारने के लिए सॉयल हेल्थ एंड फर्टिलिटी कम्पोनेंट के तहत अधिकतम दो हेक्टेयर के लिए पचास प्रतिशत अनुदान पर जिप्सम उपलब्ध कराया जाएगा।

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जिप्सम का वितरण जिप्सम एप के माध्यम से किया जाएगा, जो वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। किसानों को ओटीपी सीधे उनके मोबाइल पर भेजा जाएगा, जिससे उन्हें यह सुनिश्चित होगा कि वे सही मात्रा में जिप्सम प्राप्त कर रहे हैं।

किसान जिप्सम का उपयोग करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखें-

भूमि की जांच: जिप्सम का उपयोग करने से पहले, भूमि की गुणवत्ता और पीएच स्तर की जांच कराना आवश्यक है। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि जिप्सम की कितनी मात्रा उपयोगी होगी।

सही मात्रा का चयन: जिप्सम का उपयोग हमेशा सही और उचित मात्रा में करना चाहिए। अधिक मात्रा में उपयोग करने से दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

अन्य खादों के साथ संयोजन: जिप्सम का उपयोग अन्य जैविक खादों के साथ मिलाकर करना बेहतर होता है, जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहे।

कृषि विभाग द्वारा की गई यह पहल किसानो को को बेहतर उत्पादन में मदद करेगी, बल्कि भूमि की उपजाऊता को भी बढ़ाने में सहायक होगी। यह कदम प्रदेश के कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

किसान समुदाय को चाहिए कि वे इस योजना का लाभ उठाएं और जिप्सम का उपयोग करके अपनी भूमि को फिर से उपजाऊ बनाएं। इसके साथ ही, उन्हें जागरूक रहना होगा और जैविक खेती की ओर बढ़ने के लिए भी प्रयास करना चाहिए, जिससे भविष्य में कृषि में संतुलन बना रहे।

निष्कर्ष

जिप्सम का सही उपयोग किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जिससे वे अपनी भूमि को फिर से उपजाऊ बना सकते हैं। कृषि विभाग की इस पहल से न केवल फसलों की पैदावार में वृद्धि होगी, बल्कि यह प्रदेश के समग्र कृषि विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। किसान यदि सही दिशा में काम करें, तो वे अपनी फसल उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ा सकते हैं और अपने जीवन स्तर को बेहतर बना सकते हैं।

इसलिए, जिप्सम का सही और नियमित उपयोग करना हर किसान के लिए आवश्यक हो गया है। इस दिशा में उठाए गए कदम न केवल उनके लाभ के लिए होंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक स्थायी कृषि व्यवस्था स्थापित करने में सहायक होंगे।

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