सरसों की बुवाई के लिए सही खाद का चुनाव : डीएपी की जगह एसएसपी या एनपीके का करें उपयोग Rajendra Suthar, September 25, 2024September 25, 2024 किसान साथियों सरसों की फसल की बिजाई का समय नजदीक आ रहा है लेकिन अब से एक पखवाड़े पहले से ही डीएपी (डाइअमोनियम फास्फेट) खाद की खरीद के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। किसानो का मानना है की बिजाई के दौरान खाद की कमी हो सकती है। इसलिए वे पहले से ही स्टॉक कर लेना चाहते हैं। इसी स्थिती को देखते हुए कृषि विभाग ने सलाह दी है की किसान भाई डीएपी के बजाय एसएसपी (सिंगल सुपर फास्फेट) का उपयोग भी कर सकते है।डीएपी एक बहुत ही लोकप्रिय और रासायनिक खाद है, जिसका उपयोग किसान सरसों जैसी फसलों के लिए आमतौर पर करते हैं। प्रति एकड़ किसान आमतौर पर 50 किलोग्राम यानी एक बैग डीएपी डालते हैं। लेकिन कृषि विभाग का कहना है कि इस मात्रा में आवश्यक पोषक तत्वों, विशेषकर सल्फर की कमी होती है।Also Read सब्जियों की महंगाई : प्याज, टमाटर और लहसुन की कीमतें तीन गुना बढ़ीं एसएसपी का लाभएसएसपी एक अच्छा विकल्प है जो न केवल फास्फोरस बल्कि सल्फर की भी पूर्ति करता है। इसमें लगभग 12 प्रतिशत सल्फर पाया जाता है जो सरसों और अन्य तैलीय फसलों के लिए अत्यंत आवश्यक है। सल्फर की कमी से फसल की गुणवत्ता और पैदावार पर भी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है। वही कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान साथी डीएपी की जगह एसएसपी का इस्तेमाल करें तो पैदावार में सुधार होगा और साथ ही फसल की गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होगी।कृषि विभाग के गुण नियंत्रक निरीक्षक डॉ. संजय यादव ने बताया कि अधिक पैदावार लेने के चक्कर में किसान रासायनिक खादों का भी अधिक उपयोग कर रहे है। फसलों में आवश्यकता के अनुसार ही खाद का उपयोग करें। अधिक खाद डालने से भूमि की उर्वरक क्षमता पर बुरा असर पड़ता है जिससे किसानो का आर्थिक नुकसान हो सकता है।डॉ. यादव ने सुझाव दिया है कि सरसों की बिजाई करते समय किसान प्रति एकड़ 75 किलोग्राम एसएसपी, 35 किलोग्राम यूरिया, 14 किलोग्राम पोटाश (एमओपी) और 10 किलो जिंक सल्फेट का उपयोग करें। या फिर एक बैग एनपीके (12:32:16), दो बैग जिप्सम, 15 से 20 किलो यूरिया और 10 किलो जिंक सल्फेट मिलाकर भी उपयोग कर सकते हैं।Also Read रंग-बिरंगे फूलों की खेती कर सजाएँ अपना खेत और बढाएं अपनी आय सरसों की बिजाई करने का उचित समय आमतौर पर 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक माना जाता है। कुछ किसान इससे पहले ही बिजाई का कार्य शुरू कर देते हैं। यह बिजाई मुख्य रूप से मानसून सीजन की बारिश पर निर्भर करती है। यदि बारिश अच्छी होती है, तो सरसों का रकबा बढ़ जाता है। वही यदि बारिश कम होती है, तो यह रकबा भी कम होता है।हालंकि खाद की उपलब्धता ठीक है लेकिन किसान की चिंता यह है कि कहीं बिजाई के समय खाद की कमी न हो जाए। इसी चिंता के चलते वे पहले से खाद जुटाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। किसानों को चाहिए कि वे खाद के चुनाव में उचित जानकारी रखें और बिना कारण परेशान न हों।खाद के साथ ही किसान सरसों की बिजाई के लिए खेत की उचित तैयारी भी करें। पहले की फसलो की कटाई और जुताई का कार्य समय पर पूरा करना आवश्यक है। इसके अलावा भूमि में यदि पर्याप्त नमी है तो पलेवा भी करना पड़ सकता है। इस तरह के कार्यों से बिजाई का समय भी प्रभावित होता है।निष्कर्षकिसानो के लिए आवश्यक है की अच्छी पैदावार के लिए ह अपनी मिट्टी की जांच अवश्य कराए और संतुलित खाद का उपयोग करे। अगर सही तरीके से खेती की जाए तो किसान साथी न केवल अपनी उपज में बढ़ोतरी कर सकते है बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत हो सकते है। एसएसपी और अन्य आवश्यकता अनुसार उर्वरकों का सही उपयोग करके किसान अपनी फसल का उत्पादन बढ़ा सकते और बेहतर गुणवत्ता की फसलें प्राप्त कर सकते है। कृषि सलाह