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मुनाफा बढ़ाने के लिए सही महीने में कौन-सी फसल लगाएं: जानिए विस्तृत मार्गदर्शिका

Rajendra Suthar, August 16, 2024August 16, 2024

किसान भाइयों कृषि क्षेत्र में मुनाफा बढ़ाने के लिए सही समय पर सही फसल लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही समय पर फसल लगाकर न केवल उपज को बढ़ाया जा सकता है, बल्कि यह फसल की गुणवत्ता और बाजार मूल्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। सही समय पर फसलों की बुवाई करने से ज्यादा उत्पादन प्राप्त होता है। जबकि देरी से बुवाई करने पर फसल उत्पादन में कमी आ सकती है।

किसान साथियों भारत में फसलों को सीजन के अनुसार तीन भागों में बाँटा गया है: रबी, खरीफ और जायद। प्रत्येक प्रकार की फसल की बुवाई का समय विशेष रूप से निर्धारित किया गया है और इसी अनुसार बुवाई की जाती है।

खरीफ फसलों की बुवाई जून से जुलाई महीनो में की जाती है।

रबी फसलों की बुवाई अक्टूबर से नवंबर महीनो में की जाती है।

जायद फसलों की बुवाई फरवरी से मार्च महीनो में की जाती है।

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रबी की फसलों की बुवाई का उचित समय

रबी सीजन की फसलें मुख्य रूप से अक्टूबर-नवंबर के महीनों में बोई जाती हैं। इन फसलों की बुवाई के समय कम तापमान और पकने के दौरान सुखद और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है। प्रमुख रबी फसलों में गेहूं, जौ, चना, मसूर, अलसी और सरसों शामिल हैं।

गेहूं (Genhu): गेहूं की फसल के लिए 1 से 20 नवंबर तक का समय श्रेष्ठ माना जाता है। पछेती किस्मों के गेहू की बुवाई 25 दिसंबर तक की जा सकती है।

जौ (Jau) : जौ की बुवाई का सही समय नवंबर के पहले सप्ताह से अंतिम सप्ताह तक होता है। अगर बुवाई में देरी हो जाए तो इसे मध्य दिसंबर तक बोया जा सकता है।

चना (Chana) : असिंचित क्षेत्रों में चने की बुवाई अक्टूबर के पहले पखवाड़े में करनी चाहिए। सिंचित क्षेत्रों में इसकी बुवाई 30 अक्टूबर तक की जा सकती है। अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत में प्रति इकाई पौधों की उचित संख्या का होना आवश्यक है।

मसूर (Msoor) : मसूर की बुवाई अक्टूबर के पहले सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक की जा सकती है। सिंचित क्षेत्रों में इसकी बुवाई मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर तक की जा सकती है। मध्य नवंबर के बाद बुवाई करने पर उपज कम मिलती है, इसलिए बुवाई उचित समय पर करनी चाहिए।

सरसों (Sarson) : बारानी क्षेत्रों में सरसों की बुवाई 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक की जाती है। सिंचित क्षेत्रों में सरसों की बुवाई 10 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक की जा सकती है।

अलसी (Alsee) : असिंचित क्षेत्रों में अलसी की बुवाई अक्टूबर के पहले पखवाड़े में करनी चाहिए। सिंचित क्षेत्रों में अलसी की बुवाई नवंबर के पहले पखवाड़े में की जानी चाहिए। जल्दी बुवाई करने से अलसी की फसल को फली मक्खी और पाउडरी मिल्ड्यू जैसे रोगों से बचाया जा सकता है।

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खरीफ की फसलों की बुवाई का उचित समय

किसान भाइयों खरीफ की फसलों को मुख्य रूप से जून-जुलाई के महीनो में बोया जाता है। और सामान्यत: अक्टूबर के आसपास कटाई कर दी जाती है। बुवाई के समय अधिक तापमान और आर्द्रता तथा पकते समय शुष्क वातावरण फसलों की वृद्धि के लिए अनुकूल रहता है। प्रमुख खरीफ की फसलों में मक्का, ज्वार, बाजरा, धान (चावल) मूंग, मोठ, तिल उड़द, तुअर आदि शामिल हैं। 

मक्का (Makka) : मक्का की फसल का बुवाई का सही समय मई से जून तक होता है। सर्दियों में भी मक्का की बुवाई की जा सकती है। सर्दियों में मक्का की बुवाई अक्टूबर के अंत से नवंबर तक की जा सकती है। बसंत ऋतु में मक्का की बुवाई का सही समय जनवरी के तीसरे सप्ताह से मध्य फरवरी तक होता है।

धान (चावल) : धान की बुवाई का आदर्श समय जून के मध्य से जुलाई के पहले सप्ताह तक होता है। हालांकि, धान की बुवाई वर्षा की शुरुआत के साथ ही शुरू करना बेहतर होता है। कई क्षेत्रों में मॉनसून आने के 10 से 12 दिन पहले, यानी मध्य जून तक बुवाई कर दी जाती है।

ज्वार (Jvar) : ज्वार की खेती उत्तर भारत में खरीफ सीजन में की जाती है। इसकी बुवाई के लिए अप्रैल से जुलाई तक का समय सबसे उपयुक्त होता है। सिंचित क्षेत्रों में ज्वार की बुवाई 20 मार्च से 10 जुलाई तक करनी चाहिए। जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां मॉनसून की शुरुआत के साथ ही इसकी बुवाई करनी चाहिए।

बाजरा (Bajra) : किसान भाइयों बारानी क्षेत्रों में बाजरे की बुवाई मॉनसून की पहली बारिश के साथ करनी चाहिए। उत्तरी भारत में बाजरे की बुवाई का सही समय जुलाई का पहला पखवाड़ा होता है। 25 जुलाई के बाद बुवाई करने से 40 से 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पैदावार में कमी हो सकती है। इसलिए सही समय पर बुवाई करना लाभकारी रहता है।

मूंग (Moong) : मूंग की बुवाई का सही समय जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक होता है। ग्रीष्मकालीन फसल के लिए मूंग की बुवाई 15 मार्च तक कर देनी चाहिए। बुवाई में देरी होने पर फूल आने के समय तापमान वृद्धि के कारण फलियां कम बनती हैं, जिससे उपज प्रभावित होती है।

सोयाबीन (Soyabean) : सोयाबीन की बुवाई का समय 15 जून से 15 जुलाई तक उचित माना जाता है। अगर बुवाई में देरी हो तो बीज दर को 5-10% तक बढ़ा देना चाहिए।

उड़द (Udad) : उड़द के बुवाई मुख्य रूप से फरवरी से अगस्त तक कर दी जाती है। खरीफ सीजन में उड़द की बुवाई जून-जुलाई में कर देनी चाहिए। वही जायद मौसम में खेती के लिए बीज की बुवाई फरवरी से मार्च में की जा सकती है।

जायद की फसलों की बुवाई का उचित समय

वर्ष की दो मुख्य फसलों के बीच या किसी मुख्य फसल के पहले कम समय में उगाई जाने वाली फसल को जायद या अंतवर्ती फसल कहा जाता है। जायद फसलें उन परिस्थितियों में भी उगाई जा सकती हैं जब मुख्य फसल खराब हो जाती है, या किसी मुख्य फसल के बीच में उगाई जाती हैं।

जायद की फसलों की खेती उन खेतों में की जाती है जहाँ अच्छा सिंचाई प्रबंधन होता है और खेत खाली पड़े होते हैं। इस सीजन में कई प्रकार की फसलों की खेती की जा सकती है, जिनमें जायद मूंग, उड़द, सूरजमुखी, मूंगफली, मक्का, चना, हरा चारा, कपास, और जूट शामिल हैं।

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