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तुलसी की खेती : कैसे पाएं अधिक मुनाफा और बढ़ती आयुर्वेदिक मांग का फायदा

Rajendra Suthar, July 29, 2024July 29, 2024

किसान साथियों तुलसी एक अत्यंत महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और औषधीय पौधा है। जिसक उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में व्यापक रूप से किया जाता है। तुलसी का पौधा भारतीय संस्कृति का हिस्सा होने के साथ-साथ स्वास्थय के लिए लाभकारी गुणों के लिए प्रसिद्ध है। किसान भाई तुलसी की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है क्योकि आजकल तुलसी का व्यवसाय लाभकारी साबित हो रहा है।

तुलसी की खेती आजकल किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय साबित हो रही है, विशेष रूप से आयुर्वेदिक दवाओं की बढ़ती मांग के चलते। इस पोस्ट में, हम जानेंगे कि तुलसी की खेती कैसे की जाए, कैसे इसे कम लागत में अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है, और आयुर्वेदिक दवाओं की मांग से इसका फायदा कैसे उठाया जा सकता है।

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तुलसी के प्रकार :

  • श्याम तुलसी ( पत्ते हल्के जामुनी या कृष्ण रंग के होते है। )
  • राम तुलसी ( पत्ते हल्के हरे रंग के होते है। )
  • श्वेत / विष्णु तुलसी ( पत्ते हरे रंग के होते है। )
  • वन तुलसी
  • नींबू तुलसी

तुलसी की खेती कैसे करें

तुलसी का पौधा लगाने का समय : तुलसी का पौधा वर्षा ऋतू में लगाना उचित रहता है। साथ ही तुलसी का पौधा जुलाई माह में लगाया जा सकता है। अन्य मौसम में तुलसी को उगाने पर इसमें पत्ते कम आते है और तुलसी की शाखाएं भी सुखी रहती है। इसके बीजो की बुवाई अप्रैल और मई की महीनों में की जा सकती है।

मिट्टी का चयन : तुलसी की खेती करने के लिए मिट्टी हल्की और बुनियादी (Loamy) होनी चाहिए, जो अच्छी जल निकासी की क्षमता रखती हो। तुलसी के पौधे के उचित विकास के लिए मिट्टी का ph 6-7 के बीच होना चाहिए। खेती के लिए मिट्टी की अच्छी जुताई करके उस सूखा, भुरभुरा बना देना चाहिए। साथ ही 15-20 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ डाले।

बीजो का चयन : तुलसी की बेहतर पैदावार के लिए उचित किस्म के बीजों का चयन करें। बीजों को 1-2 सेंटीमीटर की गहराई में रोपें और 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियों में लगाएं। तुलसी की बुवाई के बाद खेत को हल्के पानी से सीचें ताकि बीजों को अंकुरित होने में मदद मिले।

सिंचाई की व्यवस्था : तुलसी की पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए नियमित और सही मात्रा में पानी की व्यवस्था आवश्यक है। अधिक पानी से पौधो में जड़ गलन की समस्या हो सकती है। इसलिए खेत में जल निकासी का प्रबंधन करें। पौधों को लगाने के बाद हल्की सिंचाई करना आवश्यक है। इसके बाद जरुरत के अनुसार पानी देते रहे।

खाद और उर्वरक : तुलसी के पौधो को सही मात्रा में कम उर्वरक की आवश्यकता होती है। तुलसी के पौधे के लिए गोबर की खाद और एनपीके (फोस्फोरस, पोटेशियम और नाइट्रोजन ) उर्वरको का संयोजन पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।

खरपतवार और कीट नियंत्रण : खेत में खरपतवार का नियंत्रण करना आवश्यक है , इसके लिए बायोलॉजिकल कीटनाशकों का प्रयोग करें और समय -समय पर पौधों की जांच करते रहे ताकि किसी भी कीट या रोग को समय पर नियंत्रित किया जा सके।

पत्तियों की कटाई : तुलसी की पत्तियों की कटाई फूल आने से पहले कर लेनी चाहिए क्योकि फुल आने से पहले पत्तिया सुगंधित और अधिक पोषक युक्त होती है साथ ही पत्तियों की नियमित कटाई करने से पौधों की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है और नए पत्तों का विकास होता है। रोपण के लगभग 90-100 दिनों के बाद पत्तियों की पहली बार तुड़ाई कर देनी चाहिए

तुलसी की खेती से मुनाफा कैसे बढ़ाएं

सही समय पर कटाई : पत्तियों को सही समय पर काटना और सूखाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। फूलों के आने से पहले की कटाई सबसे लाभकारी होती है। ताजी पत्तियों को छाँटकर और सूखाकर बिक्री के लिए तैयार किया जा सकता है।

अच्छी पैकेजिंग को अपनाये : तुलसी के पत्तों को सूखाने के बाद, उन्हें अच्छे से छानकर और पैक करके बेचें। अच्छी गुणवत्ता वाले तुलसी के पत्ते आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माताओं द्वारा अधिक कीमत पर खरीदे जाते हैं।

बाजार का अनुसंधान : आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माताओं और बाजार की मांग पर ध्यान दें। दवा कंपनियों और आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माताओं के साथ अच्छे संपर्क स्थापित करें। इससे आपको बेहतर मूल्य और नियमित खरीदार मिल सकते हैं।

विविधता और नवीनीकरण : तुलसी की विभिन्न किस्मों का प्रयोग करें जैसे कि श्वेत तुलसी, कृष्ण तुलसी आदि। विभिन्न किस्मों का उपयोग करने से आप विविध बाजार की मांग को पूरा कर सकते हैं और अपने मुनाफे को बढ़ा सकते हैं।

Disclaimer– हम emandibhav.com के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को फसल/फल खरीदने या बेचने की सलाह नहीं देते हैं, हम सिर्फ आप तक बाजार के भाव पहुंचाने का प्रयास करते हैं जिससे आपको अपना निर्णय लेने में सहायता हो। अपनी फसल की खरीद फरोख्त करते समय अपनी सम्बन्धित कृषि मंडी सिमिति से भाव की पुष्टि जरुर कर ले। आपके किसी भी प्रकार के वित्तीय नुकसान के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे।

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