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चाय की खेती पर किसानों को मिलेगी ढाई लाख रुपये तक की सब्सिडी: जानें आवेदन की प्रक्रिया

Rajendra Suthar, August 17, 2024August 17, 2024

Tea Farming : चाय भारत की एक प्रमुख कृषि फसल है और देश की आर्थिक और सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। चाय की खेती से न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है, बल्कि यह कृषि क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है। हाल ही में, भारतीय सरकार ने चाय की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई सब्सिडी योजना की घोषणा की है, जिसके तहत किसानों को ढाई लाख रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी। इस लेख में हम जानेंगे कि इस सब्सिडी का लाभ कैसे उठाया जा सकता है और आवेदन की प्रक्रिया क्या है।

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सब्सिडी की जानकारी

किसान साथियों भारत के अलग-अलग राज्यों में उगाई जाने वाली चाय सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। असम, गुवाहाटी, दार्जिलिंग और जम्मू-कश्मीर में चाय की खेती प्रमुख रूप से की जाती है, और भारत के साथ-साथ विदेशों में भी चाय प्रेमियों की कोई कमी नहीं है। अब, चाय की खेती करने वाले राज्यों की सूची में बिहार भी शामिल हो गया है। बिहार सरकार ने “विशेष उद्यानिकी फसल योजना” के तहत चाय के उत्पादन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी प्रदान करने का निर्णय लिया है। यह कदम राज्य में चाय की खेती को प्रोत्साहित करने और किसानों की आय बढ़ाने में सहायक साबित होगा।

बिहार में लगभग 25000 हैक्टेयर में चाय की खेती की जाती है। इस योजना के लिए मुख्य रूप से चार जिलों का चयन किया गया है।

योजना के लिए पात्रता

इस योजना का लाभ बिहार के निम्नलिखित चार जिलों के किसानों को मिलेगा:

  • अररिया
  • सुपौल
  • पूर्णिया
  • कटिहार

चाय की खेती करने वाले किसानों को न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर और अधिकतम 4 हेक्टेयर तक की भूमि के लिए सब्सिडी दी जाएगी।

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कितने प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी

सब्सिडी की राशि:

  • बिहार उद्यानिकी विभाग द्वारा चाय की खेती के लिए किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।
  • चाय की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर लागत 4 लाख 94 हजार रुपये निर्धारित की गई है।
  • इस लागत पर किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी, यानी 2 लाख 47 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर प्राप्त होंगे।

सब्सिडी वितरण:

  • सब्सिडी की राशि किसानों को दो किस्तों में दी जाएगी।
  • पहली किस्त 75 प्रतिशत (1 लाख 85 हजार 250 रुपये) और दूसरी किस्त 25 प्रतिशत (61 हजार 750 रुपये) के अनुपात में दी जाएगी।

लक्ष्य और पौधों की संख्या:

  • इस योजना के तहत 150 हेक्टेयर भूमि पर चाय की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • एक हेक्टेयर में चाय की खेती के लिए 15,526 पौधों की आवश्यकता होगी।

योजना का कुल बजट:

  • सरकार इस योजना पर कुल 9 करोड़ 49 लाख रुपये खर्च करने की योजना बना रही है।

सब्सिडी के लाभ

आर्थिक समर्थन: सब्सिडी की राशि से किसानों को चाय की बुवाई और रखरखाव में आर्थिक मदद मिलेगी, जिससे उनकी वित्तीय दबाव कम होगा।

उत्पादकता में वृद्धि: सब्सिडी का उपयोग उन्नत बीज, उर्वरक, और सिंचाई प्रणाली में निवेश के लिए किया जा सकता है, जिससे चाय की गुणवत्ता और उत्पादकता में वृद्धि होगी।

सामाजिक और आर्थिक विकास: चाय की खेती से जुड़े रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

चाय की खेती के लिए सब्सिडी प्राप्त करने की प्रक्रिया

  • चाय की खेती के लिए सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आपको ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
  • इसके लिए बिहार उद्यानिकी विभाग के पोर्टल horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन करना होगा।
  • योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप अपने नजदीकी जिले के सहायक निदेशक, उद्यान से संपर्क कर सकते हैं।
  • सब्सिडी की राशि लाभार्थी किसानों के बैंक खाते में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से भेजी जाएगी।
  • डीबीटी का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है।डीबीटी नंबर के लिए रजिस्ट्रेशन करने के लिए https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर जाएं और आवश्यक विवरण भरकर सबमिट करें।

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