सपनों की ऊँचाई: जानिए लवलेश कुमार की 10वीं तक की पढ़ाई से दुग्ध उत्पादन में रिकॉर्ड तक की कहानी Rahul Saharan, September 7, 2024September 7, 2024 राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी जानते है की किसान खेती के साथ साथ पशुपालन भी करता है और सरकार भी किसानो और पशुपालको को बढ़ावा देने के लिए समय समय नए नए प्रोग्राम चलाती रहती है। .तो आज हम आपके लिए लेकर आए है एक ऐसे ही किसान की कहानी जो 10वीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद आज दुग्ध उत्पादन में रिकार्ड बना चुके है। वो है उत्तरप्रदेश के बाराबंकी जिले के गणेशपुर के उधौली गांव के लवलेश कुमार।Also Read खुर गलन रोग (Khur Galan Rog): बारिश में खुर गलने से पशुओं की रक्षा कैसे करें लवलेश कुमार ने महज ही 10 वीं कक्षा तक पढ़ाई की हुयी है। और इसके बाद इनका रुझान डेयरी फार्म की और बढ़ने लगा तथा इन्होने पढ़ाई को छोड़कर डेयरी फार्म को चलाना शुरू कर दिया। लवलेश कुमार में सन 2000 से पशुपालन और डेयरी फार्म का कार्य शुरू किया था। और उस समय वे हरियाणा से साहीवाल नस्ल की गाये लेकर आये थे और उस समय एक साहीवाल गाय का दाम लगभग 80 रूपये के आस पास था।साहीवाल गाय की विशेषता– लवलेश कुमार के द्वारा साहीवाल गायो का चुनाव करने के पीछे सबसे बड़ा कारण ये था कि साहीवाल गायों की टाँगे छोटी होती है ,इनका शरीर मांसल तथा लम्बा होता है। साहीवाल गाय सवभाव में थोड़ी आलसी प्रवृति की होती है। और इनके सर पर सींग छोटे होते है। तथा इसका रंग लाल एवं भूरा होता है।साहीवाल गाय की दूध देने की क्षमता- लवलेश कुमार के अनुसार साहीवाल नस्ल की गाय लगभग 12-17 लीटर दूध देने की क्षमता होती है। साहीवाल नस्ल की गायों के दूध में वसा प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। और देशी गायो का खर्च विदेशी नस्लों के मुकाबले काफी काम होता है। एक साहीवाल गाय अपने दूध देने के समय या काल में लगभग 2270 लीटर तक दूध देती है। वैज्ञानिको के अनुसार साहीवाल नस्ल के दूध की गुणवत्ता विदेशी गायों के दूध से बहुत अधिक बेहतर होती है।लवलेश कुमार ने सन 2000 से लेकर खूब मेहनत के दम पर आज दुग्ध उत्पादन में रिकार्ड हासिल किया है। सन 2017 में लवलेश कुमार पराग डेयरी के साथ जुड़ गए थे। आज लवलेश कुमार के पास 18 साहीवाल नस्ल की गाये है जिनसे एक दिन में लगभग 80-95 लीटर दूध की उत्पादकता होती है। लवलेश कुमार अपनी गायों का दूध समय बाजार में नहीं बेचते है वे केवल पराग डेयरी को ही अपनी गायो का दूध बेचते है।लवलेश कुमार को देसी नेसल की गाये रखने तथा उन गायो से दूध की बंपर उत्पादन के कारण नन्द बाबा पुरूस्कार से सम्मानित किया गया। नन्द बाबा पुरूस्कार की शुरुआत 2017 में देशी नस्ल की गायो के दूध के उत्पादन वृद्धि के लिए शुरू किया गया है। लवलेश कुमार लगतार पशुपालन और डेयरी फार्म के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए मेहनत कर रहे है।Also Read खाद और बीज की बुवाई का आसान तरीका: सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन लवलेश कुमार अपनी डेयरी से लगभग 2700 लीटर दूध का उत्पादन हर महीने लेते है। और 1 लीटर दूध की औसतन कीमत 40 रूपये से लेकर 45 या 50 रूपये तक होती है। जिससे वे साल में लगभग 5 लाख तक की कमाई कर लेते है। लवलेश कुमार का कहना की सरकार जिला स्तर पर बड़े बड़े गोबर कम्पोस्ट खाद बनाने के सयंत्र लगाए ताकि पशुओ के गोबर का सही उपयोग किया जा सके तथा किसान और पशुपालक को कुछ आर्थिक सहायता मिल जाएगी जिससे उनकी आय को दुगुना भी किया जा सकता है। Blog कृषि समाचार