तिल की खेती का उत्पादन बढ़ाने के टिप्स- जानें पूरी जानकारी Rajendra Suthar, September 13, 2024September 13, 2024 किसान साथियों नकदी फसलों की बात करते है तो नकदी फसलों में तिल का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। और तिल (Sesame) की खेती के माध्यम से किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते है। लेकिन अच्छा मुनाफ़ा कमाने के लिए तिल के फसल की पैदावार भी उन्नत और अधिक होनी चाहिए।तिल की बुवाई का समय: किसान भाइयों तिल बुवाई की बात करे तो तिल की खेती साल में तीन बार की जा सकती है। खरीफ मौसम में तिल की बुवाई के लिए जुलाई का समय सबसे उत्तम होता है। रबी के मौसम में, तिल की बुवाई अगस्त के अंतिम सप्ताह से लेकर सितंबर के पहले सप्ताह तक करनी चाहिए। ग्रीष्मकालीन फसल के लिए तिल की बुवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह से फरवरी के दूसरे सप्ताह तक की जा सकती है। इस प्रकार समय और जलवायु के अनुरूप तिल की फसल की बुवाई कर अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है।Also Read देशभर की मंडियों में सरसों के भाव में उछाल: इस सप्ताह 200 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़े दाम तिल की बुवाई करते समय ध्यान रखने योग्य मुख्य बातेतिल की बुवाई कतारों में करनी चाहिए, इसके लिए सीड ड्रील का उपयोग करना सबसे अच्छा होता है।बीजों का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए बीज को रेत (बालू), सूखी मिट्टी, या अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ 1:20 के अनुपात में मिला कर बोना चाहिए।कतारों के बीच और पौधों के बीच की दूरी 30 से 40 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।बीज की बुवाई 3 सेंटीमीटर की गहराई पर करनी चाहिए।बुवाई की अलग-अलग विधियों के लिए बीज की मात्रा का चयनछिटकवां विधि: इस विधी में 1.5 से 3.90 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की मात्रा रखनी चाहिए।कतारों में बुवाई (सीड ड्रील का प्रयोग): 1 से 1.25 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की मात्रा पर्याप्त होती है।मिश्रित पद्धति: इस विधी में बीज की मात्रा एक किलोग्राम प्रति एकड़ से अधिक नहीं होनी चाहिए।तिल का अधिक और उन्नत उत्पादन देने वाली फसलेंतिल का अधिक उत्पादन देने वाली किस्में निम्नलिखित हैं –टी.के.जी. 308जे.टी.-11 (पी.के.डी.एस.-11)जे.टी.-12 (पी.के.डी.एस.-12)जवाहर तिल 306जे.टी.एस. 8टी.के.जी. 55Also Read भारी बारिश के कारण फसलों को हो सकता है नुकसान: कपास, मक्का और सोयाबीन की देखभाल के लिए सलाह किसान साथियों इन किस्मों का प्रयोग करके तिल का अधिक और उन्नत उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।पोषक तत्वों की उचित आपूर्तितिल की फसल की वृद्धि और उत्पादन के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की सही मात्रा में आपूर्ति महत्वपूर्ण है।नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश: इन प्रमुख पोषक तत्वों की सही मात्रा सुनिश्चित करें। उर्वरक का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करें।सूक्ष्म पोषक तत्व: बोरान, जिंक और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करें, जो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाते हैं।तिल की खेती के लाभउच्च मुनाफा: किसान तिल की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।तेल का निर्माण: किसान तिल से तेल निकालकर बाजार में बेचकर लाखों रुपये का मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।तिल के प्रोडक्ट्स: तिल से विभिन्न तेल प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं, जो बाजार में उच्च कीमतों पर बिकते हैं।तिल का बाजार मूल्य: तिल की उच्च कीमतों के कारण, बाजार में इसका मूल्य काफी अधिक होता है।बड़ी कंपनियों की मांग: कई बड़ी कंपनियाँ तिल को अच्छी कीमतों पर खरीदती हैं, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिलता है।निष्कर्षतिल की खेती के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उपयुक्त किस्मों का चयन, सही बुवाई समय, बीज की मात्रा, भूमि की तैयारी, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण, कीट और रोग प्रबंधन, पोषक तत्वों की आपूर्ति, समय पर कटाई और गुणवत्ता पर ध्यान देना आवश्यक है। इन सभी उपायों को अपनाकर आप अपनी तिल की फसल की उपज को बेहतर बना सकते हैं और अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। कृषि सलाह