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राजस्थान मूंग उत्पादन में शीर्ष स्थान पर, मारवाड़ की 70 प्रतिशत भागीदारी

Rajendra Suthar, September 24, 2024September 24, 2024

किसान साथियों राजस्थान देश में मूंग उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। प्रदेश के कुल दलहन उत्पादन में मूंग और मोठ की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है जिसमे लगभग 70% क्षेत्रफल मारवाड़ क्षेत्र में स्थित है। मारवाड़ की मिट्टी और जलवायु मूंग के लिए अत्यधिक अनुकूल है जिससे यहाँ की कृषि में मूंग की फसल का प्रमुख स्थान है।

पिछले कुछ वर्षों पिछले कुछ वर्षों में देश में मूंग उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिसका परिणाम आयात में कमी के रूप में देखा जा सकता है। मारवाड़ में लगभग 22 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में मूंग की बुवाई की जाती है। नागौर, जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़, बाड़मेर और जैसलमेर जैसे क्षेत्रों में सर्वाधिक मूंग उत्पादन होता है। हालांकि, इस वर्ष बारिश की अधिकता के कारण उत्पादन में कमी आने की आशंका जताई जा रही है।

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नागौर में बुवाई का दबदबा : राजस्थान की बात करें तो राजस्थान में लगभग 40 लाख हेक्टेयर में मूंग की बुवाई होती है। जिससे लगभग 12 लाख टन मूंग का उत्पादन होता है। मूंग उत्पादन में नागौर की स्थिति सबसे मजबूत है। नागौर में करीब 6.25 लाख टन मूंग का उत्पादन होता है। वही जोधपुर में लगभग 3 लाख हेक्टेयर में मूंग की फसल की खेती की जाती है। नागौर में मेड़ता, रियां, डेगाना, मारवाड़ मूंडवा, जायल और परबतसर तहसीलें प्रमुख हैं, जबकि जोधपुर में बिलाड़ा, जैतारण और डांगियावास मूंग उत्पादन के मुख्य क्षेत्र हैं।

उन्नत बीजों का उपयोग

कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर मूंग के उन्नत बीज विकसित कर किसानों को उपलब्ध करा रहा है। कृषि अनुसंधान केंद्र जोधपुर के तहत विभिन्न केंद्रों पर वैज्ञानिकों की देखरेख में उन्नत बीज तैयार किए जा रहे हैं। इसमें नागौर, जालोर, सुमेरपुर, सिरोही, मोलासर और समदड़ी के केंद्र शामिल हैं, जहां बीजों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता की मॉनिटरिंग की जाती है।

वैज्ञानिकों द्वारा मुहैया करवाए गए उन्नत बीजों का उपयोग करने से किसानों को अधिक उपज और बेहतर फसल की संभावना मिलती है। ये बीज विशेष रूप से रोग और कीटों के प्रति प्रतिरोधी होते है। जिससे फसल के नुकसान की आशंका कम हो जाती है। इसके साथ ही उन्नत बीजों के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार होता है, जो लम्बे समय तक कृषि उत्पादन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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मूंग की खेती में किसानों के सामने आने वाली चुनौतियां

जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव: राजस्थान में मूंग उत्पादन की संभावनाएं उज्ज्वल है। लेकिन जलवायु परिवर्तन का प्रभाव भी ध्यान देने योग्य है। क्योकि पिछले कुछ समय में बारिश की अधिकता ने कई क्षेत्रों में उत्पादन को प्रभावित किया है। यह किसानों के लिए काफी चिंता का विषय है, क्योंकि अत्यधिक वर्षा या सूखा दोनों ही फसल के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

उत्पादन में चुनौतियाँ : किसानों को मूंग उत्पादन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि कीट प्रबंधन, रोगों का नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव। इसके अलावा, किसानों को बाजार में मूल्य स्थिरता की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों के बावजूद, मारवाड़ के किसान अपने प्रयासों में निरंतरता बनाए रखने के लिए तत्पर हैं।

सरकारी योजनाएँ और समर्थन : सरकार भी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को हरसंभव समर्थन प्रदान कर रही है। जैसे कृषि बीमा योजनाएँ, सब्सिडी और तकनीकी सहायता जैसे उपाय किसानों को बेहतर उत्पादन में मदद कर रहे हैं। इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों द्वारा निरंतर अनुसंधान और विकास कार्य किए जा रहे हैं, जिससे नई तकनीकों और विधियों का विकास संभव हो सके।

निष्कर्ष

राजस्थान में मूंग उत्पादन एक महत्वपूर्ण आर्थिक प्रक्रिया और गतिविधि है। जिसमें जिसमें मारवाड़ क्षेत्र की प्रमुख भूमिका है। यहां की अनुकूल जलवायु और मिट्टी इस फसल के लिए उपयुक्त है। हालांकि जलवायु परिवर्तन और अन्य चुनौतियाँ किसानों के लिए समस्याएं उत्पन्न कर रही हैं। लेकिन उन्नत बीजों के विकास, सरकारी योजनाओं और किसान संगठनों के समर्थन के माध्यम से, उम्मीद है कि मूंग उत्पादन की संभावनाएँ और अधिक उज्ज्वल होंगी।

राजस्थान के किसान अपनी मेहनत और लगन के बल पर मूंग उत्पादन में देश में अपनी पहचान बनाए रखने में सफल होंगे। यह न केवल उनके लिए बल्कि राज्य और देश की आर्थिक स्थिति के लिए भी महत्वपूर्ण है। मूंग उत्पादन को प्रोत्साहित करने से न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। इस प्रकार, मारवाड़ का यह योगदान भारतीय कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।

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