इस सीजन नरमा में नहीं पाया गया गुलाबी सूंडी का प्रकोप, फिर भी नरमा की फसल पीलेपन से खराब : जानिए कारण और निवारण Rajendra Suthar, October 7, 2024October 7, 2024 पिछले चार वर्षों से गुलाबी सूंडी ने नरमा की फसल को काफी गंभीर नुकसान पहुँचाया है। इस साल भी किसानों के मन में डर था कि शायद गुलाबी सूंडी का प्रकोप फिर से होगा, इसलिए उन्होंने नरमा की बिजाई में भी कमी की। लेकिन इस बार गुलाबी सूंडी ने किसानों को राहत दी, हालांकि दूसरी बीमारी से नरमा में आए पीलेपन ने पूरी फसल को प्रभावित किया।किसान साथियों ने देखा कि बीते कुछ दिनों से तापमान में तेजी से वृद्धि हुई है जिसका असर नरमा के फसल पर देखने को मिला है। नरमा की जो फसल पहले अच्छी नजर आ रही थी, वह अब मुरझा गई है। नरमा के पत्ते पीले पढ़कर सूखने लगें है। जिससे फसल की उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अब तक जो टिंडे (फूल) खिल गए थे, वे भी पूरी तरह से प्रभावित हैं।किसान भूप सिंह, रमेश, और सुरेंद्र जैसे किसानों ने बताया कि पहले फसल की स्थिति ठीक थी, लेकिन पिछले 20 दिनों में अचानक फसल खराब हो गई। पत्ते गिरने के कारण उत्पादन में भी कमी आएगी।किसानों का कहना है कि पिछले चार सालों से गुलाबी सुंडी के कारण नरमा की बिजाई में कमी आई है। इस बार लगभग 8,000 हेक्टेयर में नरमा की फसल बोई गई थी, जो कि पिछले वर्षों की तुलना में कम है। धान की बुआई भी बढ़ी है, जिसका मुख्य कारण यह है कि किसानों को नरमा से आर्थिक नुकसान हो रहा है।Also Read मौसम का बदला मिजाज: जानिए मौसम के साथ रबी जिंसों की बुवाई का सफर नरमा की फसल की तरह ही धान की फसल का उत्पादन भी इस बार कम होता नजर आ रहा है। किसान भाई इस समय परमल धान की कटाई कर रहे है। पहले जहाँ औसतन 100 मण प्रति एकड़ उत्पादन होता था, वहीं इस बार यह 60 से 70 मण प्रति एकड़ रह गया है। किसान रमेश कुमार, सुखासिंह, और सुरजीत सिंह का कहना है कि फसल अच्छी दिख रही थी, लेकिन उत्पादन की मात्रा कम है।फसल उत्पादन में हुई इस कमी का मुख्य कारण जुलाई में होने वाली वर्षा की कमी है क्योकि जुलाई का महीना आमतौर पर मानसून का सही समय होता है लेकिन इस बार 30 प्रतिशत कम वर्षा हुई जिसका असर फसलों पर पड़ा है। इस स्थिति में कृषि विभाग के अधिकारी भी किसानों के संकट का समाधान ढूँढने में असफल रहे हैं। वही दुसरी ओर किसान साथी उम्मीद लगाए बैठे है की सरकारी सहायता मिलेगी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।हालांकि, किसानों का कहना है कि इस बार गुलाबी सूंडी न आने से नरमा की रूई अच्छी है, जिससे वे अच्छे भाव मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। अगर भाव अच्छे मिलते हैं, तो शायद वे अपनी कुछ आर्थिक क्षति की भरपाई कर सकें।निष्कर्षकिसान साथी हमेशा कृषि पर निर्भर रहे है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में प्राकृतिक आपदाएँ और कीट प्रकोप ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है। ऐसे में, किसानों को चाहिए कि वे प्राकृतिक खेती और नई तकनीकों को अपनाएँ ताकि भविष्य में इस तरह के संकट से निपटा जा सके।अंत में, हमें यह समझना होगा कि कृषि केवल एक व्यवसाय नहीं है, बल्कि यह किसानों की पहचान और उनके जीवन का एक हिस्सा है। उनकी मेहनत और संघर्ष को पहचानना और उनकी समस्याओं का समाधान ढूँढना हम सभी की जिम्मेदारी है। कृषि समाचार