आम के मौर पर बढ़ रहा कीटों का खतरा, क्या है इससे बचाव के उपाय Rahul Saharan, March 12, 2025March 12, 2025 राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी जानते है की आम ग्रीष्म ऋतू में सबसे पसंदीदा फल माना जाता है। और आम एक प्रकार का बहुत ही रसीला फल होता है। भारत देश में आम को फलों का राजा भी कहा जाता है। आम का वानस्पतिक नाम- मेजीफेरा इंडिका होता है। इसके अलावा आम का उत्पादन सबसे अधिक मात्रा में भारत देश में होता है। लेकिन आम की फसल जब मौर पर होती है तो इसमें कीटो का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचाव के लिए कुछ उपाय जारी किये गए है।किसान साथियों आप सभी जानते है की हाल ही में धीरे धीरे गर्मी बढ़ने लग गयी है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही रही है वैसे-वैसे ही आम की फसल में मौर पर कीटों का खतरा भी बढ़ने लग गया है। आम की फसल में अब मौर लगे हुए है। और अब इन मोर पर कीटों का खतरा भी बढ़ने लग गया है। और इस समस्या को मध्यनजर रखते हुए वन विभाग के द्धारा कुछ उपाय जारी किये गए है। भारत, पकिस्तान तथा फिलीपींस में आम को राष्ट्रीय फल माना जाता है। और बांग्लादेश में आम के पेड़ को राष्ट्रीय पेड़ का दर्जा प्रदान किया गया है।कैसा होता है ये कीट- किसान साथियों आम की फसल में मौर को नुकसान पहुंचाने वाला यह कीट आम के फसल के मौर के शुरआती स्थिति जिसमे की पुष्पगुछ होते है उनको और छोटे फूलों को नुकसान पहुँचाता है। यह किट आम के मौर के तने पर कत्थई, डंठल तथा पतियों पर एक काले धब्बे के रूप में दिखाई देता है। और मौर के तने पर कत्थई, डंठल तथा पतियों पर दिखाई देने वाले इस काले धब्बे के बीच में एक छोटा सा छिद्र पाया जाता है। इस कीट के कारण जो हिस्सा प्रभावित होता है उस हिस्से से आगे का मौर सुख जाता है तथा साथ ही पत्तियों की आकृति भी टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है।आम के मौर को कीटों के प्रभाव से बचाने के उपाय-किसान साथियों आम की फसल के मौर को कीटों के प्रभाव से बचाने के लिए आप निम्नलिखित उपाय कर सकते है-1. आम की फसल के मौर को कीटों के प्रभाव से बचाने के लिए आप को डायमेथोएट-30% एक्टिवेट तत्व का लगभग 02ml को प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर के इसका आम के पौधों पर छिड़काव करना होगा।2. यदि कीट आम के पौधे के मौर तथा पत्तियों तक पहुंच जाए तो आप इसका जल्द से जल्द आवश्यक रूप से निवारण करें। इसके आप आम पौधे के तने के पास में भूमि पर कीटनाशक को डालें। या3. यदि कीट आम के पौधे के मौर तथा पत्तियों तक पहुंच जाए तो आप इसका जल्द से जल्द आवश्यक रूप से निवारण करें। इसके लिए आप कार्बोसल्फान-25 EC का लगभग 02ml को प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर के इसका आम के पौधों पर छिड़काव करें।आम की फसल में झुलसा रोग-किसान साथियों आम की फसल में मौर को कीटों के द्धारा नुकसान पहुंचाने के अलावा झुलसा रोग भी बहुत अधिक नुकसान पहुँचाता है। इस झुलसा रोग के द्धारा आम के फसल में मौर और बिना विकसित हुए फलों के गिरने की समस्या पैदा हो जाती है। ये रोग आम की फसल को उस समय बहुत अधिक प्रभावित करता है। जिस समय वायुमंडल में लगभग 80 प्रतिशत से अधिक मात्रा में नमी और आर्द्रता मौजूद होती है।किसान साथियों आम की फसल के मौर और बिना विकसित फलों को झुलसा रोग के प्रभाव से बचाने के लिए आप निम्नलिखित उपाय कर सकते है-1. आम की फसल के मौर और बिना विकसित फलों को झुलसा रोग के प्रभाव से बचाने के लिए आप को मेंकोजेब कार्बेन्डाजिम का लगभग 02% के घोल को 20 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से या ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रॉबीन टेयुकोनाजोल के पानी में घोल बनाकर के इसका आम के पौधों पर छिड़काव करना होगा।आम के उत्पादन का रिकॉर्ड-किसान साथियों जैसा की आप जानते है की आम ग्रीष्म ऋतू में सबसे पसंदीदा फल माना जाता है। और आम एक प्रकार का बहुत ही रसीला फल होता है। भारत देश में आम को फलों का राजा भी कहा जाता है। इसके अलावा आम का उत्पादन सबसे अधिक मात्रा में भारत देश में होता है। तो इसका उत्पादन का क्षेत्र और उत्पादन भी बहुत अधिक होता है। पिछले वर्ष के आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष में आम के लगभग 2123 हैक्टेयर रकबे में बाग़ लगे हुए थे। आम के बागों के इस क्षेत्र से गत वर्ष में लगभग 43,918 मीट्रिक टन का उत्पादन दर्ज किया गया था। और आम की पसंद रखते हुए इस वर्ष लगभग 24 नए किसानों के जुड़ने से आम के बागों का रकबा 24 हैक्टेयर और बढ़ गया है। इसके आलावा आम के अच्छे उत्पादन प्राप्त करने वाले लखनऊ के किसान खालिक उज्जमा को लखनऊ के राजभवन में आयोजित हुए एक किसान सम्मान समारोह में सम्मानित भी किया गया। कृषि सलाह