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पत्ती झुलसा रोग : किसान भाइयों अगर धान की पत्तियां पीली पड़ रही हैं और किनारों से सूख रही हैं, तो ये करें उपाय

Rajendra Suthar, August 2, 2024August 2, 2024

किसान साथियों धान की फसल भारतीय कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसके अच्छे उत्पादन के लिए सही देखभाल और प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। कई बार किसानों को धान की फसल में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बासमती की फसल जब लगभग 50 दिन की उम्र पार कर चुकी होती है तब कई बार पत्तियों का ऊपरी भाग पीला पड़ जाता है और किनारों से सूख जाता है। यदि आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो यहां दिए गए उपाय आपके लिए लाभकारी हो सकते हैं।

कौनसी है ये बीमारी

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धान की पत्तियां पीली पड़ने और किनारों से सूखने के कारण विभिन्न हो सकते हैं। इस समस्या का सही निदान करना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि आप सही उपचार कर सकें। धान के फसल में पत्तियों के ऊपर से सूखने का प्रमुख कारण बैक्टीरिया हो सकते है। इस बैक्टीरिया वाली बीमारी को BLB (Bacterial Leaf Blight) या पत्ती झुलसा रोग के नाम से जाना जाता है। जब तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है और हवा में नमी की मात्रा 70% से ज्यादा हो जाती है तब इस रोग के फैलने की संभावना अधिक रहती है। ये रोग अधिक होने पर तने तक भी पहुंच जाता है जिससे पौधा खराब हो जाता है। पत्ती झुलसा रोग एक फंगल रोग है जो धान की फसल में मुख्य रूप से प्रभावित करता है। इस रोग का मुख्य कारण फफूंद Helminthosporium oryzae है, जो पत्तियों पर काले धब्बे और पीला पड़ने का कारण बनता है।

पत्ती झुलसा रोग की पहचान कैसे करें

  • पत्तियों के किनारे और नोक पीली पड़ जाती है।
  • पत्तियों पर भूरे रंग की लम्बी धारिया पड़ जाती है जिसे स्ट्राइप्स कहते है।
  • पत्तियों का प्रभावित भाग सुख जाता है।
  • पत्तियों पर पीले धब्बे पड़ जाते है।

पत्ती झुलसा रोग के कारण

अधिक नमी : अधिक बारिश या सिंचाई के कारण खेत में नमी की मात्रा बढ़ जाती है , जो फफूंद के विकास के लिए अनुकूल होती है।

अधिक तापमान: उच्च तापमान भी इस रोग के फैलने को बढ़ावा देता है।

फसल का घनत्व: यदि फसल का घनत्व अधिक है तो हवा का संचालन कम होता है, जिससे नमी की स्थिति बनी रहती है और रोग फैलता है।

पौधों का कमजोर होना: कमजोर पौधे भी इस रोग के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

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पत्ती झुलसा रोग से बचाव और उपचार के उपाय

रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें : रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें जो पत्ती झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधी हों। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे स्थानीय कृषि विभाग या विशेषज्ञ से सलाह लें।

सिंचाई की निगरानी : फसलों की सिंचाई को सही समय पर आवश्यकतानुसार करें। अत्यधिक पानी से बचें और सुनिश्चित करें कि खेत में पानी का उचित संचालन हो।

ड्रेनेज सिस्टम : खेत में अच्छे ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था करें ताकि पानी का जमाव न हो और नमी की मात्रा नियंत्रण में रहे।

खरपतवार नियंत्रण : किसान भाई खेत में खरपतवार की सफाई नियमित रूप से करें।

निराई-गुड़ाई: फसल की निराई और गुड़ाई समय-समय पर करें ताकि हवा का संचालन सही हो सके और फसल को रोगों से बचाया जा सके।

कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का छिड़काव करें : रोगग्रस्त फसल पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड (Copper Oxychloride 50% WP) का 400 ग्राम प्रतिएकड़ के अनुसार 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

स्ट्रेप्टोसायक्लिन का छिड़काव : कॉपर ऑक्सिक्लोराइड के लगभग 10-12 दिनों के बाद स्ट्रेप्टोसायक्लिन 12-18 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।

निष्कर्ष

पत्ती झुलसा रोग धान की फसल के लिए एक गंभीर समस्या हो सकता है, लेकिन इसके प्रभावी प्रबंधन और सही समय पर उपचार से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। सही किस्में, उचित जल प्रबंधन, फसल प्रबंधन, और फंगीसाइड का प्रयोग इस रोग से बचाव में सहायक हो सकते हैं। किसान भाइयों, अपनी फसल की देखभाल में सतर्क रहें और समय पर उपाय करें ताकि आपकी धान की फसल स्वस्थ और समृद्ध हो सके। ये उपाय अपनाने से पहले किसी कृषि विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले ।

Disclaimer– हम emandibhav.com के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को फसल/फल खरीदने या बेचने की सलाह नहीं देते हैं, हम सिर्फ आप तक बाजार के भाव पहुंचाने का प्रयास करते हैं जिससे आपको अपना निर्णय लेने में सहायता हो। अपनी फसल की खरीद फरोख्त करते समय अपनी सम्बन्धित कृषि मंडी सिमिति से भाव की पुष्टि जरुर कर ले।आपके किसी भी प्रकार के वित्तीय नुकसान के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे।

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