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पशुधन बीमा योजना (Pashu Beema Yojana)

Rajendra Suthar, March 2, 2024March 2, 2024

पिछले कुछ वर्षों से, ग्रामीण भारत में कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी मुख्य आय का एक प्रमुख स्रोत बन चुका है। ग्रामीण इलाकों में पशुपालन से लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। इसे और अधिक बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन की शुरुआत की है। इस मिशन के अंतर्गत, देशभर में विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिसमें पशुधन बीमा योजना भी शामिल है। यह योजना किसानों और पशुपालकों को उनके पशुधन की मृत्यु की स्थिति में आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इसके तहत, दुधारू और मांस उत्पादन करने वाले सभी पशुओं का बीमा किया जाता है। यदि बीमित पशु की किसी कारण से मृत्यु हो जाती है, तो बीमा कंपनी निर्धारित मुआवजे की राशि 15 दिनों के भीतर पशुपालक को प्रदान करेगी। पशुपालकों को इसके लिए निश्चित प्रीमियम भुगतान करना होता है। यह योजना पहली बार 10वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 2005-06 और 2006-07, तथा 11वीं पंचवर्षीय योजना के 2007-08 में देश के 100 चयनित जिलों में प्रायोगिक रूप से लागू की गई थी। अब, यह योजना देश के 300 चयनित जिलों में सक्रिय रूप से चलाई जा रही है।

पशुधन बीमा योजना का उद्देश्य

पशुधन बीमा योजना, जो कि एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य किसानों और पशुपालकों को पशुओं की मृत्यु के कारण हुए नुकसान से सुरक्षित रखना है। यह योजना विशेष रूप से देशी/संकर दुधारू मवेशियों और भैंसों के लिए बनाई गई है, जिनका बीमा उनके बाजार मूल्य के आधार पर किया जाता है। इस योजना के तहत, बीमा का प्रीमियम 50 प्रतिशत तक अनुदानित होता है, जिसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती है। इसका लाभ एक पशुपालक को अधिकतम दो पशुओं के लिए, तीन साल की एक पॉलिसी के अंतर्गत मिलता है। यह योजना प्रारम्भ में देश के 100 चयनित जिलों में प्रयोग के तौर पर शुरू की गई थी और अब यह 300 चयनित जिलों में नियमित रूप से संचालित की जा रही है। गोवा को छोड़कर, यह योजना देश के सभी राज्यों में संबंधित राज्य पशुधन विकास बोर्ड द्वारा क्रियान्वित की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य पशुपालकों को प्राकृतिक आपदा, बीमारी, या दुर्घटना के कारण होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्रदान करना है।

पशु बीमा योजना का लाभ कौन कौन ले सकता है

इस योजना में वे लोग लाभार्थी रहेगे जो देशी/ संकर दुधारु मवेशी और भैंस जैसे पशुओ का पालन करते है और अतिरिक्त भैंस दूध देने वाले और बिना दूध देने वाले पशु के अलावा गर्भवती मवेशी जो कि बछड़े को जन्म दे चुके हो को शामिल किया गया है। योजना के अंतर्गत वे पशु वंचित रहेंगे जो की सरकार द्वारा पहले से लागू किसी योजना का लाभ ले रहे है।

इस योजना का लाभ केवल दो पशु रखने वाले पशुपालको के लिए ही है तथा एक पशु का बीमा अधिकतम 3 वर्ष तक का हो सकता है |

सूखे तथा बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की समस्या हो जाने पर किसानो को तीन वर्ष की पॉलिसी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा | जिससे वे बीमें का वास्तविक लाभ प्राप्त कर सके इसके अतिरिक्त यदि कोई किसान तीन वर्ष से कम अवधि वाली पॉलिसी लेना चाहेगा तो वह भी ले सकता है तथा अगले वर्ष बीमा कराने पर बीमा क़िस्त में अनुदान भी उपलब्ध होगा |

पशु का बीमा उसके बाजार में होने वाले अधिकतम मूल्य पर आधारित होगा | जो कि  लाभार्थी , अधिकृत पशु चिकित्सक एवं बीमा एजेंट द्वारा सम्मिलित की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत आने वाले मवेशियों की मृत्यु हो जाने पर पशु स्वामी को योजना की राशि बीमा कंपनी द्वारा प्रदान की जाएगी, ये राशि पशु की मृत्यु के 15 दिनो के मध्य पशुपालक को दे दी जायेगी और मुआवजे का भुगतान पशु की वर्तमान बाजार मूल्य पर किया जायेगा।

पशु बीमा के लिए आवश्यक दस्तावेज

पशुपालको को पशु बीमा करवाने के लिए निम्न दस्तावेजो की आवश्यकता होती है-

  • आधारकार्ड
  • निवास प्रमाण पत्र
  • बैंक खाते का विवरण
  • मोबाइल नंबर
  • पासपोर्ट साइज फोटो

पशु बीमा अनुदान

पशुधन बीमा योजना के तहत पशुपालक अपने दुधारू पशुओं (जैसे गाय, भैंस, भेड़ आदि) और मांस उत्पादन वाले पशुओं (भेड़, बकरी समेत अन्य) का बीमा करा सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत, इन पशुओं का बीमा उनकी वर्तमान बाजार कीमत के अधिकतम पर किया जाता है। पशुपालक न्यूनतम पांच पशुओं का बीमा करा सकते हैं, जिसके लिए उन्हें प्रीमियम का भुगतान करना पड़ेगा। सरकार इस प्रीमियम पर सब्सिडी भी प्रदान करती है। एपीएल श्रेणी के किसानों और पशुपालकों को 50% तक की सब्सिडी मिलती है, जबकि बीपीएल, एससी/एसटी श्रेणी के पशुपालकों को 70% तक की सब्सिडी का लाभ मिलता है। इसका मतलब है कि एपीएल श्रेणी के पशुपालकों को केवल 50% प्रीमियम अदा करना पड़ता है, जबकि बीपीएल, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के पशुपालकों को सिर्फ 30% प्रीमियम देना होता है। प्रीमियम की दर 1 वर्ष के लिए 3% और 3 वर्षों के लिए 7.50% तक होती है।

बीमा की वैधता अवधि में स्वामित्व में परिवर्तन -यदि किसी पशु की बिक्री या अन्य दूसरे प्रकार के हस्तांतरण स्थिति में, बीमा पॉलिसी की अवधि समाप्त न हुई हो तो बीमा पॉलिसी की शेष अवधि का लाभ नये स्वामी को हस्तांतरित किया जाएगा। पशुधन नीति के ढंग तथा शुल्क एवं हस्तांतरण हेतु आवश्यक विक्रय-पत्र आदि का निर्णय, बीमा कंपनी के साथ अनुबंध के समय ही कर लेनी चाहिए।

दावे का निपटारा – यदि दावा बाकी रह जाता है, तो आवश्यक दस्तावेज जमा करने के 15 दिन के भीतर बीमित राशि का भुगतान निश्चित तौर पर कर दिया जाना चाहिए। बीमा कंपनियों द्वारा दावों के निष्पादन के लिए केवल चार दस्तावेज आवश्यक होंगे, जैसे बीमा कंपनी के पास प्रथम सूचना रिपोर्ट, बीमा पॉलिसी, दावा प्रपत्र और अंत्यपरीक्षण रिपोर्ट। पशु की बीमा करते समय मुख्य कार्यकारी अधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं दावा के निपटारे हेतु स्पष्ट प्रक्रिया का प्रावधान किया जाए तथा आवश्यक कागजों की सूची तैयार की जाए एवं पॉलिसी प्रपत्रों के साथ उसकी सूची संबंधित लाभार्थियों को भी उपलब्ध करवाई जाए।

दावा प्रक्रिया– एक जानवर की मौत की घटना में, तत्काल सूचना बीमा कंपनियों के लिए भेजा जाना चाहिए और निम्नलिखित आवश्यकताओं को प्रस्तुत किया जाना चाहिए:

  • विधिवत दावा प्रपत्र पूरा।
  • मृत्यु प्रमाण पत्र कंपनी के फार्म पर योग्य पशुचिकित्सा से प्राप्त की।
  • शवपरीक्षा परीक्षा रिपोर्ट अगर कंपनी द्वारा की आवश्यकता है।
  • कान टैग जानवर को लागू आत्मसमर्पण किया जाना चाहिए। ‘कोई टैग नहीं दावा’ की हालत अगर टैग नहीं की जरूरत है लागू किया जाएगा

पीटीडी दावा प्रक्रिया –

  • योग्य चिकित्सक से एक प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा करने के लिए।
  • पशु कंपनी के पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा भी निरीक्षण करेंगे।
  • उपचार के चार्ट पूरा इस्तेमाल किया, दवाओं, रसीदें, आदि प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
  • दावे की ग्राह्यता पशु चिकित्सक / कंपनी डॉक्टर की रिपोर्ट दो महीने के बाद विचार किया जाएगा।
  • क्षतिपूर्ति बीमित रकम का 75% तक ही सीमित है।

बीमाकृत पशु की पहचान कैसे करे

इस योजना में पंजीकृत पशुओं की पहचान एक खास अंकन द्वारा बीमा कंपनी करती है ताकि बीमा राशि का दवा करते समय पशु की पहचान आसानी से की जा सके और पशुपालको को भी कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। पशुपालको द्वारा इस पॉलिसी का लाभ लेते समय कान में अंकन किया जाता है ये हाल ही में माइक्रोचिप लगाया जाता है|

इस पहचान चिह्न को लगाने का खर्च बीमा कंपनी द्वारा किया जाता है, तथा रख – रखाव की जिम्मेदारी लाभ लेने वाले पशुपालको की होगी।मवेशी के कान में किये गए अंकन तथा उपयोग सामग्री का चुनाव बीमा कंपनी तथा लाभार्थी दोनों की सहमति पर होता है।

पशुपालको के लिए एक साल की पॉलिसी का भी लाभ

हाल के महीनों में, लंपी स्किन डिजीज की तेजी से फैलने वाली महामारी ने देश के विभिन्न राज्यों में पशुओं की व्यापक मृत्यु के कारण पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। इस समस्या के प्रति सजगता बरतते हुए, सरकार ने इस योजना के अंतर्गत बीमा कंपनियों को दिए जाने वाले प्रीमियम पर सब्सिडी की पेशकश की है, ताकि अधिक से अधिक पशुपालक इस योजना में भाग लेने के लिए उत्साहित हो सकें। इस योजना के माध्यम से, पशुपालकों को तीन साल की बीमा पॉलिसी अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है, हालांकि, यदि कोई पशुपालक एक वर्ष की पॉलिसी लेना चाहता है, तो वह भी संभव है। बीमा कंपनियां पशुपालकों को उनके बीमित पशुओं के लिए निर्धारित पॉलिसी के अनुसार बीमा कवरेज प्रदान करती हैं। इस योजना के तहत, सभी पशुओं को तीन वर्ष की अवधि के लिए बीमा सुरक्षा प्रदान की जाती है। अगर इस तीन वर्षीय अवधि के दौरान किसी पशु की मृत्यु हो जाती है, तो बीमा कंपनी पशुपालक को मुआवजा देगी।

पशु बीमा योजना पंजीकरण प्रक्रिया (Animal Insurance Scheme Registration Process)

पशु बीमा योजना में आवेदन करने के लिए ऑफिसियल वेबसाइट hidf.udyamimitra.in पर जाय इस वेब पेज पर जाने के बाद एक होम पेज ओपन होगा इस होम पेज पर Apply Now का ऑप्शन होगा उस पर क्लिक करे।

Apply Now पर क्लिक करने के बाद एक नया पेज ओपन होगा इसमें मोबाइल नंबर मांगे जायेगे पशुपालक के मोबाइल नंबर इसमें भरे और प्राप्त ओटीपी को भी भरे।

अब एप्लीकेशन फॉर्म ओपन हो जाएगा एप्लीकेशन फॉर्म में पूछी गई आवश्यक जानकारी को भरे और दस्तावेज अपलोड कर सबमिट के बटन पर क्लिक कर प्रक्रिया को पूर्ण करे

किसान भाइयों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न

पशुओं का बीमा कौन सी कंपनी करती है?

भारत में इफको, बजाज आलियांज और अन्य बीमा कंपनियां लाइफ इंश्योरेंस के साथ-साथ पालतू पशुओं का भी बीमा करती हैं।

बीमा में पशुधन का प्रीमियम कितना है?

पशुधन बीमा योजना-राजस्थान के अंतर्गत राज्य के पशुपालकों को 3 साल के लिये बीमा करवाने की सुविधा दी जा रही है. इसके लिये पशुपालकों को पशु की निर्धारित कीमत पर एक साल के लिये 4.42% प्रीमियम, 2 साल के लिये 7.90 फीसदी ब्याज और तीन साल के लिये 10,85 प्रतिशत ब्याज दर का भुगतान करना होगा।

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