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गेंहू की उन्नत किस्मों की बुवाई: जानिए बुवाई का सही समय और उन्नत किस्में

Rahul Saharan, October 17, 2024October 17, 2024

राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी को मालूम है कि अब रबी की फसल बुवाई का सीजन शुरू होने जा रहा है। रबी के सीजन में मुख्य रूप से गेंहू और सरसो की बुवाई करने का समय आ चूका है। और किसान भाई इस बात को लेकर के चिंतिति है की गेंहू की फसल के लिए कौनसी वैराइटी या किस्म का चुनाव किया जाए। ताकि फसल की अच्छी पैदावार प्र्राप्त की जा सके। किसान भाइयों आपको इस चिंता से मुक्त करने के लिए आज हम आपको गेंहू की बुवाई का सही समय और उन्नत किस्मो के बारे में बताने जा रहे है।

किसान साथियो गेंहू की बुवाई के लिए उचित समय 20 अक्टूबर से शुरू होकर के पुरे नवम्बर महीने का समय अनुकूल है। यदि गेहू की बिजाई में देरी होती है तो गेंहू की फसल की पैदावार पर असर देखने को मिल सकता है। देरी के कारण पैदावार में कमी आने की सम्भावना देखने को मिल सकती है। हरियाणा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और कृषि विशेषज्ञों के द्वारा किसान भाइयो को गेंहू की अधिक पैदावार के विषय में अनेक प्रकार के नुस्खे और तरीके बता रहे है।

हरियाणा यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर बीआर कम्बोज के अनुसार कृषि विज्ञान केन्द्रो के वैज्ञानिको के माध्यम से भी किसानो को इसके बाजरे में जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके साथ ही सरसों की फसल की बुवाई के लिए 30 अक्टूबर तक का समय है। इसकी उन्नत किस्मो की बुवाई करके किसान भाई अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते है।

देशभर की लगभग 35 प्रतिशत से अधिक जनसँख्या का भोजन गेंहू ही है। भारत में गेंहू की तीन प्रजातिया पायी जाती है। जिसमे से 95 प्रतिशत रोटी वाली गेंहू, 04 प्रतिशत कठिया गेंहू जिसका उपयोग पास्ता, मेक्रोनी, सेमिया तथा नूडल्स बनाने में किया जाता है। और 1 प्रतिशत खपली गेंहू की बुवाई की जाती है।

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गेंहू की उन्नत किस्मे-

किसान साथियो कृषि विज्ञान केंद्र दामला के कोर्डिनेटर डॉ संदीप रावल के अनुसार किसान भाई गेंहू की निम्न प्रकार की उन्नत किस्मों की बुवाई कर सकते है –

  1. डब्ल्यूएच-1270 (WH-1270)
  2. डब्ल्यूबीडब्ल्यू-187 (WBW-187)
  3. एचडी-3086 (HD-3086)
  4. डब्ल्यूएच-1105 (WH-1105)
  5. डीडीडब्ल्यू-222 (DDW-222)
  6. पीबीडब्ल्यू-725 (PBW-725)
  7. डीबीडब्ल्यू-303 (DBW-303)

इनके अनुसार किसान भाई इस वर्ष इन किस्मों की बुवाई कर के बहुत अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है। क्योंकि इन किस्मो के अंदर पीला रतुआ नामक रोग आने की सम्भावना बिलकुल ही ना के बराबर है। कृषि विज्ञान केंद्र दामला के कोर्डिनेटर डॉ संदीप रावल के अनुसार किसान भाई इस वर्ष गेंहू की किस्म एचडी-2967 (HD-2967) की बुवाई ना करें।

किसान साथियो भूमि परीक्षण अधिकारी डॉ अनुराग सांगवान के अनुसार किसान भाई गेंहू की निम्न प्रकार की उन्नत किस्मों की बुवाई कर सकते है –

  1. डब्ल्यूएच-1105 (WH-1105)
  2. डब्ल्यूएच-283 (WH-283)
  3. डब्ल्यूएच-147 (WH-147)
  4. डब्ल्यूएच-1142 (WH-1142)
  5. डब्ल्यूएच-711 (WH-711)
  6. आरजे-3765 (RJ-3765)
  7. डीडीडब्ल्यू-222 (DDW-222)
  8. डीबीडब्ल्यू-303 (DBW-303)
  9. एचडी-3086 (HD-3086)
  10. एचडी-2851 (HD-2851)

इनके अनुसार किसान भाई इस वर्ष इन किस्मों की बुवाई कर के बहुत अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है।

गेंहू की अगेती बुवाई हेतु किस्मे-

किसान साथियो गेंहू की फसल की समय से पहले बुवाई करने पर अधिक पैदावार देने वाली तथा अधिक उपयोग होने वाली किस्मों की जानकारी निम्नलिखित प्रकार से है –

कम खाद और कम पानी वाली किस्मे-

  1. सी-306 (C-306)
  2. डब्ल्यूएच-1080 (WH-1080)
  3. एचडी-3043 (HD-3043)
  4. पीबीडब्ल्यू-644 (PBW-644)

सिंचित दशा और अधिक उपजाऊ भूमि हेतु किस्में-

  1. डब्ल्यूएच-1270 (WH-1270)
  2. डीबीडब्ल्यू-187 (DBW-187)
  3. डीबीडब्ल्यू-303 (DBW-303)
  4. डीबीडब्ल्यू-327 (DBW-327)

नवम्बर के पहले से तीसरे सप्ताह तक उपजाऊ भूमि व सिंचित दशा की किस्मे –

  1. डब्ल्यूएच-1105 (WH-1105)
  2. डब्ल्यूएच-1184 (WH-1184)
  3. डीबीडब्ल्यू-222 (DBW-222)
  4. एचडी-3086 (HD-3086)
  5. एचडी-3226 (HD-3226)
  6. पीडब्ल्यू-826 (PBW-826)
  7. डीबीडब्ल्यूएच-221 (DBWH-221)

गेंहू की अगेती बुवाई हेतु अन्य किस्मे-

  1. डीबी-303 (DB-303)- करण वैष्णवी
  2. डब्ल्यूएच-1270 (WH-1270)
  3. डब्ल्यूएच-1080 (WH-1080)
  4. डब्ल्यूएच-1142 (WH-1142)

गेंहू की पछेती बुवाई हेतु किस्मे-

किसान साथियो गेंहू की फसल की समय के बाद (दिसम्बर के तीसरे सप्ताह तक) बुवाई करने पर अधिक पैदावार देने वाली तथा अधिक उपयोग होने वाली किस्मों की जानकारी निम्नलिखित प्रकार से है –

  1. डब्ल्यूएच-1124 (WH-1124)
  2. एचडी-3059 (HD-3059)
  3. डीबीडब्ल्यू-173 (DBW-173)
  4. पीबीडब्ल्यू-771 (PBW-771)
  5. एचडी-3298 (HD-3298)

गेंहू की समय पर बुवाई हेतु किस्मे-

किसान साथियो गेंहू की फसल की समय पर बुवाई करने पर अधिक पैदावार देने वाली तथा अधिक उपयोग होने वाली किस्मों की जानकारी निम्नलिखित प्रकार से है –

  1. डब्ल्यूएच-1105 (WH-1105)
  2. एचडी-2967 (HD-2967)
  3. एचडी-3086 (HD-3086)
  4. एचडी-3226 (HD-3226)
  5. डीबीडब्ल्यू-187 (DBW-187)- करण वंदना
  6. डीबीडब्ल्यू-222 (DBW-222)- करण नरेंद्र
  7. डब्ल्यूएच-1184 (WH-1184)
  8. पीबीडब्ल्यू-826 (PBW-826)

गेंहू की बुवाई हेतु बीज की मात्रा तथा उर्वरक-

किसान साथियो आप गेंहू की बिजाई करने के लिए प्रति एकड़ के लिए लगभग 40 किलोग्राम गेंहू के बीज का प्रयोग किया जा सकता है। अर्थात किसान भाई प्रति बिगा या प्रति किला की हिसाब से 25 किलोग्राम बीज का उपयोग गेंहू की बुवाई के लिए कर सकते है। इसके साथ ही आप सिंचाई होने वाले क्षेत्रों में लगभग 35 किलोग्राम यूरिया, 75 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट तथा 14 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का उपयोग आप गेंहू की बुवाई के समय बीज के साथ डाले या उसकी बुवाई करें।फॉस्फोरस, पोटाश और जिंक सल्फेट की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा गेंहू की बुवाई के समय साथ में बुवाई कर दें। इसके बाद बाकी नाइट्रोजन को पहली सिंचाई के समय और दूसरी सिंचाई के समय गेंहू की फसल को दे देवें।

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गेंहू के बीज उपचार की विधि-

किसान साथियों गेंहू की बिजाई से पहले गेंहू के बीज को उपचारित करना आवश्यक होता है। गेंहू के बीज को उपचारित करके गेंहू की खुली व पत्तों की कांगियारी रोग से बचाव किया जा सकता है। बीज को उपचारित करने के लिए आप कार्बोक्सिन/कार्बेडाईजिम को लगभग 2 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से गेंहू के बीज को उपचारित कर सकते है।

गेंहू में सिंचाई-

किसान साथियों गेंहू की फसल में सिंचाई 3 बार करनी आवश्यक होती है। यह 3 बार सिंचाई कब कब करनी होती है। जिसकी जानकारी नीचे निम्नलिखित प्रकार से है –

पहली सिंचाई- किसान साथियो गेंहू की फसल में पहली सिचाई करने का समय बुवाई के लगभग 21 दिनों के बाद का होता है जिस समय उसमें जड़े निकलना शुरू होती है।

दूसरी सिंचाई- किसान साथियो गेंहू की फसल में दूसरी सिचाई करने का समय बुवाई के लगभग 65 दिनों के बाद का होता है जिस समय उसमें गांठे बनना शुरू होती है।

तीसरी सिंचाई- किसान साथियो गेंहू की फसल में तीसरी सिचाई करने का समय बुवाई के लगभग 85 दिनों के बाद का होता है जिस समय उसमें दाने बनना शुरू होते है।

गेंहू की फसल में रोग तथा कीट प्रबंधन-

किसान साथियों गेंहू की फसल में होने वाला प्रमुख रोग होता है पीला रतुआ रोग। इस रोग का समाधान करने के लिए आपको प्रोपिकोनाजोल दवाई का घोल बना कर के छिड़काव करना होता है। इस दवाई का छिड़काव किसान भाई प्रति एकड़ के हिसाब से 200 एमएल (200 Ml) दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर के छिड़काव कर सकते है। अर्थात किसान भाई प्रति बिगा के हिसाब से 125 एमएल (125 Ml) दवा को 125 लीटर पानी में मिलाकर के छिड़काव कर सकते है।

गेंहू की फसल में खरपतवार नियंत्रण-

किसान साथियों गेंहू की फसल में आप खरपतवार के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित विधियों को अपना सकते है –

1. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार का नियंत्रण- किसान साथियों आप गेंहू की फसल में चौड़ी पत्ती वाली खरपरवार का नियंत्रण करने के लिए निम्नलिखित खरपतवारों का उपयोग कर सकते है –

  1. 2,4 डी (2,4 D) सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत की 250 ग्राम का प्रति एकड़ मात्रा या 200 लीटर पानी में घोल बनाकर लगभग 30 से 35 दिन बाद छिड़काव करें। या
  2. मैट सल्फ्युरोन की 8 ग्राम या कारफेक्ट्राज़ोन का प्रति एकड़ मात्रा या 200 लीटर पानी में घोल बनाकर लगभग 30 से 35 दिन बाद छिड़काव करें।

2. संकरी पत्ती वाले खरपतवार का नियंत्रण- किसान साथियों आप गेंहू की फसल में संकरी पत्ती वाली खरपरवार का नियंत्रण करने के लिए निम्नलिखित खरपतवारों का उपयोग कर सकते है –

  1. क्लोडिनाफोप की लगभग 160 ग्राम/मिली प्रति एकड़ मात्रा या 200 लीटर पानी में घोल बनाकर लगभग 30 से 35 दिन बाद छिड़काव करें। या
  2. सल्फोसल्यूफ्रान की लगभग 13 ग्राम/मिली प्रति एकड़ मात्रा या 200 लीटर पानी में घोल बनाकर लगभग 30 से 35 दिन बाद छिड़काव करें। या
  3. फिनोक्साप्रोप की लगभग 400 ग्राम/मिली प्रति एकड़ मात्रा या 200 लीटर पानी में घोल बनाकर लगभग 30 से 35 दिन बाद छिड़काव करें।

3. चौड़ी और संकरी पत्ती वाले खरपतवार का नियंत्रण- किसान साथियों आप गेंहू की फसल में चौड़ी और संकरी पत्ती वाली खरपरवार का नियंत्रण करने के लिए निम्नलिखित खरपतवारों का उपयोग कर सकते है –

  1. टोटल की लगभग 16 ग्राम/मिली प्रति एकड़ मात्रा या 200 लीटर पानी में घोल बनाकर लगभग 30 से 35 दिन बाद छिड़काव करें। या
  2. एटलांटिस की लगभग 160 ग्राम/मिली प्रति एकड़ मात्रा या 200 लीटर पानी में घोल बनाकर लगभग 30 से 35 दिन बाद छिड़काव करें। या
  3. वेस्ता की लगभग 160 ग्राम/मिली प्रति एकड़ मात्रा या 200 लीटर पानी में घोल बनाकर लगभग 30 से 35 दिन बाद छिड़काव करें। या
  4. एकॉर्ड प्लस की लगभग 500 ग्राम/मिली प्रति एकड़ मात्रा या 200 लीटर पानी में घोल बनाकर लगभग 30 से 35 दिन बाद छिड़काव करें। या
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