मौसम का बदला मिजाज: जानिए मौसम के साथ रबी जिंसों की बुवाई का सफर Rajendra Suthar, October 5, 2024October 5, 2024 किसान भाइयों बीते दो दिनों से मौसम में अचानक बदलाव देखने को मिला है। तापमान में भी गिरावट आई है। अब सुबह-सुबह छाए बादल मौसम को ठंडा कर रहे है। मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद, कई लोगों ने बारिश की उम्मीद जताई, लेकिन फिर भी बरसात नहीं हुई। लेकिन कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह रबी सीजन 2024 के लिए चना और अन्य फसलों की बुवाई का अनुकूल समय है।पिछले सप्ताह की गर्मी ने काश्तकारों के चेहरे पर चिंता की लकीरें ला दी थीं, खासकर चना जैसी फसलों की बुवाई के संदर्भ में। अचानक बढ़ी गर्मी के प्रकोप से किसानों को अपने खेतों में बुवाई के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ नहीं मिल रहीं थीं। लेकिन अब मौसम में ठंडक और बादलों की छांव ने स्थिति को बदल दिया है। अब मौसम के इस बदलाव का लाभ उठाते हुए चने की बुवाई कर सकते हैं।Also Read बढ़ रहे सब्जियों के भावों से बिचौलिए और साहुकार उठा रहे लाभ, किसानो को नहीं मिल पा रहा उनकी मेहनत का मोल कृषि विशेषज्ञ रामप्रकाश बेड़ा ने बताया कि बीते दिनों हुई अधिक बारिश के कारण खेतों में पानी एकत्रित हो गया है, जिससे नमी बनी हुई है। खेतों में बनी हुई ये नमी चने की बुवाई के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। इस बार मेड़ता क्षेत्र सहित कृषि क्लस्टर में चने की बुवाई का रकबा और उत्पादन दोनों बढ़ने की संभावना है।कृषि भूमि में नमी का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। नमी से बीजो के अंकुरण में मदद मिलती है। सही समय पर चने की बुवाई करने से फसल की वृद्धि में तेजी आ सकती है और उत्पादन में सुधार हो सकता है।फसल की बुवाई की प्रक्रिया में किसानो ने अपने खेतों में पानी की निकासी का कार्य किया है। इस कार्य के दौरान जिन खेतों में अधिक पानी भरा है हां के काश्तकार विशेष ध्यान दे रहे हैं कि खेतों का पानी सही से निकल जाए, ताकि वे चने की बुवाई आसानी से कर सकें। वही दुसरी तरफ जिन खेतों में पाने नहीं भरा है वहां के वहां के काश्तकार चना, तारामीरा और रायड़ा जैसी फसलों की बुवाई के लिए ट्रैक्टर से जुताई कर रहे है।रबी की फसलों की बुवाई के लिए उचित समय का चुनाव करना बहुत आवश्यक है, क्योंकि सही समय पर बुवाई करने से फसल की पैदावार में सुधार होता है। काश्तकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे उचित तकनीकों का उपयोग करें, ताकि फसलों की वृद्धि और विकास में कोई बाधा न आए।Also Read पीएम किसान योजना (PM Kisan Yojana) की 18वीं किस्त जारी: जानें कैसे चेक करें स्टेटस इसके साथ ही कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान का मौसम रबी सीजन की अन्य फसलों के लिए भी काफी अनुकूल है। इस सीजन में तारामीरा और रायड़ा की भी बुवाई की जा सकता है। हालांकि, जीरे की बुवाई के लिए अभी समय बाकी है। जीरे की बुवाई का अनुकूल समय नवंबर माह में होगा। जबकि जीरे की बुवाई अक्टूबर से दिसंबर के बीच की जा सकती है, लेकिन सबसे बेहतर परिणाम के लिए इसे 15 से 30 नवंबर के बीच करना उचित रहता है।फसल प्रबंधन के सुझावनमी की जांच: किसानो को सलाह दी जाते है कि बुवाई से पहले खेतों की नमी की स्थिति की जांच करना महत्वपूर्ण है।बीज की गुणवत्ता: बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए अच्छे गुणवत्ता वाले बीजों का चयन महत्वपूर्ण है। क्योंकि इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होगी।सिंचाई प्रबंधन: उचित सिंचाई तकनीकों का पालन करें ताकि फसलों को आवश्यक पानी मिले।कीट प्रबंधन: बुवाई के बाद कीटों और रोगों से फसल की सुरक्षा के लिए उचित प्रबंधन करें।फसल चक्रण : फसल चक्रण का पालन करें ताकि भूमि की उर्वरता बनी रहे और कीटों का नियंत्रण किया जा सके।निष्कर्षइस प्रकार हो रहे मौसम बदलाव से किसानो के लिए रबी फसल की बुवाई का एक सुनहरा अवसर लेकर आया है। उचित समय पर चने, तारामीरा और रायड़ा जैसी फसलों की बुवाई से न केवल उत्पादन में वृद्धि हो सकती है, बल्कि किसानो की आय में भी सुधार होगा। मौसम के अनुकूलता के चलते, यदि किसान सही तकनीकों का उपयोग करते हैं, तो वे इस रबी सीजन में अपनी फसल की पैदावार को बढ़ा सकते हैं। कृषि सलाह मौसम समाचार