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खेत की मिट्टी को बनाएँ सोने जैसा : जानिए उर्वरता सुधारने के आसान तरीके

Rajendra Suthar, August 9, 2024August 9, 2024

किसान साथियों खेत में उपजाऊ मिट्टी से फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है। लेकिन खेतो में जल्दी और अधिक उत्पादन के लालच में कृषि क्षेत्र में रासायनिक खाद का प्रयोग किया जा रहा है जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता काफी प्रभावित होती है। इसी कारण से बड़े स्तर पर खेत लगातार बंजर होते जा रहे है। सही तकनीकों और उपायों का पालन करके, आप अपनी मिट्टी को सोने के समान उपजाऊ बना सकते हैं। इस पोस्ट में, हम खेत की मिट्टी की उर्वरता सुधारने के आसान और प्रभावी समाधान पर चर्चा करेंगे, जो फसल के उत्पादन को बेहतर बना सकते हैं।

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मिट्टी की गुणवत्ता में कमी के कारण

रसायनों और कीटनाशकों का अधिक उपयोग: आधुनिक खेती में लगातार रसायनों और कीटनाशकों का प्रयोग मिट्टी की गुणवत्ता को कम कर रहा है। ये रसायन और कीटनाशक मिट्टी में जमा होकर उसकी प्राकृतिक संरचना और पोषक तत्वों को प्रभावित करते हैं।

अंधाधुंध रसायनिक खाद का प्रयोग: ज्यादा उत्पादन के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए खेतों में अंधाधुंध रसायनिक खाद डाली जा रही है। इसके परिणामस्वरूप मिट्टी में अधिक रसायनों का जमाव हो जाता है, जो मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता को नुकसान पहुंचाता है।

मिट्टी की गुणवत्ता का क्षरण: इन रसायनों और कीटनाशकों के लगातार उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इससे मिट्टी का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है और उसकी उत्पादकता में कमी आने लगती है।

सूक्ष्म जीवों की मौत: खेत की मिट्टी में केंचुए और अन्य सूक्ष्म जीव पाए जाते हैं जो मिट्टी की उर्वरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कीटनाशकों और रसायनों के प्रभाव से ये सूक्ष्म जीव मर जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

पैदावार में कमी: सूक्ष्म जीवों के मरने और मिट्टी की गुणवत्ता के क्षरण के कारण, खेतों से पैदावार में कमी होने लगती है। लंबे समय में यह समस्या बढ़ती है और फसल की उत्पादकता में लगातार गिरावट आती है।

खेत का बंजर होना: यदि मिट्टी की देखभाल नहीं की जाती और रसायनों का प्रयोग जारी रहता है, तो एक समय ऐसा आ सकता है जब खेत पूरी तरह से बंजर हो सकता है। इससे खेतों की उत्पादकता पूरी तरह समाप्त हो जाती है और कृषि के लिए यह भूमि अनुपयुक्त हो जाती है।

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मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने के उपाय

मिट्टी की जांच कराएँ : मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में पहला कदम है उसकी मिट्टी की जांच कराना। मिट्टी की जांच से पता चलेगा कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है और कौन से तत्व अधिक हैं। इससे आपको सही उर्वरक और सुधारात्मक उपायों का चयन करने में मदद मिलेगी। मिट्टी की जांच के लिए स्थानीय कृषि विभाग या प्रयोगशालाओं में करवाई जा सकती है। साथ ही किसान भाई कृषि सलाहाकर या फसल विशेषज्ञ से सम्पर्क कर सुझाव ले सकते है।

जैविक खाद का उपयोग करें : खेतो में जैविक खाद जैसे कि गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, और हरी खाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए अधिक लाभप्रद होती है। ये खादें मिट्टी की संरचना को सुधारती हैं और उसमें आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करती हैं। जैविक खाद का संतुलित उपयोग मिट्टी को प्राकृतिक रूप से समृद्ध बनाता है और फसलों की वृद्धि को बढ़ावा देता है।

उर्वरक प्रबंधन : उर्वरक का सही मात्रा में फसल में उपयोग किया जाना चाहिए। पूर्ण फसल चक्र में उर्वरक प्रबंधन को अपनाये। उर्वरक प्रबंधन की मदद से मृदा की गुणवत्ता को 40 से 50% तक नुकसान होने से बचाया जा सकता है।

दलहनी पौधों और हरी घास का उचित समावेश : फसल चक्र के दौरान हरी घास और दलहनी पौधों का सही समावेश करना चाहियें।

दलहनी पौधों की खेती से किसान न केवल अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, बल्कि मिट्टी में नाइट्रोजन की आपूर्ति भी सुनिश्चित कर सकते हैं। दलहनी पौधों की जड़ों में विशेष प्रकार के जीवाणु होते हैं जो वायुमंडल से नाइट्रोजन को अवशोषित करते हैं, जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है।

फसल अवशेषों का भी उचित प्रबंधन आवश्यक है। फसल अवशेषों को सही ढंग से संभाल कर, इनसे कार्बनिक खाद बनाई जा सकती है, जिसे खेतों में उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसान हरी घास के रूप में मूंग की खेती करते हैं, तो मूंग की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। मूंग की पत्तियों और तनों को खेत में ही दबाकर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जा सकता है।

फसल चक्र और अंतर फसल : फसल चक्र और अंतर फसल की तकनीकें मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

  • फसल चक्र दौरान फसलों को अलग-अलग समय पर उगाना एक अच्छा तरीका है। यह मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को रोकता है और कीटों और बीमारियों के प्रभाव को कम करता है।
  • अंतर फसल में एक ही खेत में विभिन्न फसलों को एक साथ उगाया जाता है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और विभिन्न फसलों के कारण मिट्टी में विविधता भी बनी रहती है।

पराली और अन्य फसल अवशेषों को मिट्टी में दबाएं : पराली और अन्य फसल अवशेष मिट्टी में पोषक तत्वों को प्रभावित करतें है। इसलिए फसल अवशेष को जलाने की बजाय मिट्टी में दबा देना चाहिए जिससे फसल के अवशेष सड़ कर खाद बन जाते है और उर्वरकता को बढ़ाते है।

मिट्टी में प्राकृतिक जीव जैसे कि earthworms (कृमि) और सूक्ष्मजीव, मिट्टी की उर्वरता में सुधार करते हैं। कृमि मिट्टी को ढीला करते हैं और पोषक तत्वों को उपलब्ध कराते हैं। सूक्ष्मजीव कार्बनिक पदार्थों को तोड़कर मिट्टी में पोषक तत्वों को उपलब्ध कराते हैं।

निष्कर्ष

किसान साथियों फसल की उर्वरता और खेत की मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखना एक सतत प्रक्रिया है। मिट्टी की जाँच, कार्बनिक खाद का उपयोग, सतही संरक्षण, फसल चक्र, पानी का सही प्रबंधन, और प्राकृतिक जीवन की बढ़ावा जैसी सरल विधियों का पालन करके आप अपनी खेत की मिट्टी को सोने जैसा बना सकते हैं। इन तरीकों को अपनाकर, आप न केवल फसलों की पैदावार में वृद्धि कर सकते हैं, बल्कि खेत की मिट्टी को भी दीर्घकालिक रूप से स्वस्थ और उर्वर बना सकते हैं।

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