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राजस्थान के कृषि विभाग और किसानों के लिए नई चुनौतियों का सामना: खेती में पाला और शीतलहर के प्रभाव

Rajendra Suthar, March 6, 2024March 6, 2024

राजस्थान के कृषि विभाग के अधिकारियों की चिंता में एक नई चुनौती उठी है, जो खेती के क्षेत्र में आयी है। इस चुनौती का नाम है ‘शीतलहर’ और ‘पाला’। इन दोनों कारकों का मिलन खेती पर बुरा असर डाल सकता है। राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में रात का तापमान जमाव बिंदु के आस-पास होने से पाले पड़ने की आशंका है। इस आशंका के कारण, कृषि विभाग के अधिकारी अलर्ट हो गए हैं। उन्होंने अन्य रबी सीजन की फसलों के साथ-साथ गेंहू, सरसों, चना, और जौ की फसल के किसानों को विशेष ध्यान रखने की सलाह दी है। इसके साथ ही, नियमित निरीक्षण करते रहने की भी सलाह दी गई है।

चूरू जिले की स्थिति: चूरू जिला कोहरे और कड़ाके की सर्दी की गिरफ्त में है। यहाँ की सर्दी अब दिन के साथ-साथ रात में भी कंपकंपी छुड़ाने लगी है। दो दिनों से चूरू ‘कोल्ड डे’ की स्थिति में है, जिसका कारण दिन के तापमान में अचानक गिरावट आ रही है। मौसम विभाग के अनुसार, दिन का तापमान 16 डिग्री से नीचे चले जाने पर कोल्ड डे होता है। इससे पाले व शीतलहर की वजह से फसलों में नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है।

पाले का प्रभाव

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक चौधरी ने बताया कि गेंहू फसल में पाले व शीतलहर की वजह से वानस्पतिक वर्दी व बालियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिससे दोनों की क्वालिटी व उपज प्रभावित होती है। सरसों की फसल में पाले व शीतलहर की वजह से फली में दाने फटने व सिकुड़ने की समस्या आती है. जिससे उपज काफी कम हो जाती है। चने की फसल में पाले व शीतलहर की वजह से फसल जल जाती है व फसल की वानस्पतिक वृद्धि प्रभावित होती है। जौ की फसल में भी पाले की वजह से वानस्पतिक वद्धि पर प्रभाव पड़ता है।

शीतलहर का प्रभाव सब्जियों की उपज, गुणवत्ता, और व्यापार पर पड़ता है। शीतलहर के आने से फसलों में नुकसान हो सकता है, जिससे किसानों को नुकसान होता है। पाले के चलते फसलों की उपज भी कम हो सकती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है।

पाले का सब्जियों पर प्रभाव – पाला जो कि एक महत्वपूर्ण पारंपरिक कृषि प्रविधि हैं, विभिन्न प्रकार की सब्जियों पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। यह प्रभाव सब्जियों की उपज, गुणवत्ता, और वाणिज्यिक मूल्य को प्रभावित कर सकता है।

विभिन्न सब्जियों में पाले का प्रभाव भिन्न हो सकता है। उदाहरण के लिए, टमाटर, आलू, गाजर, और प्याज जैसी सब्जियों में पाले की गहराई और लंबाई उनकी उपज को प्रभावित कर सकती है। अधिक पाले के प्रभाव से इन सब्जियों की उपज कम हो सकती है और उनकी गुणवत्ता भी कम हो सकती है।

सब्जियों के बाजार में पाले की भीषणता सब्जियों की उपलब्धता और मूल्यों पर भी प्रभाव डाल सकती है। और इसके परिणामस्वरूप मूल्यों में वृद्धि होती है। यह व्यापारिक धारा को प्रभावित कर सकता है और उपभोक्ताओं को अधिक कीमत पर खरीदारी करना पड़ सकता है।

सब्जियों पर पाले का प्रभाव खेती के संबंध में भी होता है। पाले करने की तकनीक और समय बुआई तकनीक का चयन सब्जियों की उपज को प्रभावित कर सकता है। सही तकनीक का चयन करके किसान अपनी सब्जियों की उपज में वृद्धि कर सकता है और बाजार में अधिक उत्पादन कर सकता है।

खेती के लिए उपाय

राजस्थान के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि जिले में रबी की फसलों में पाला पड़ने की संभावना होने पर खेत में सिचाई कर दें। नमी युक्त भूमि में गर्मी काफी देर तक बनी रहती है और भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। इस प्रकार भूमि में पर्याप्त नमी होने पर फसल को शीतलहर व पाले से नुकसान की संभावना कम रहती है।

दिन-रात के तापमान की जांच: पाले पड़ने की संभावना होने पर रात में खेत के आसपास धुआं कर देना चाहिए, जिससे फसल के आसपास के तापमान में गिरावट आ जाती है। फसल की शीतलहर और पाले से सुरक्षा के दीर्घकालिक उपाय के रूप में खेत की उतर पश्चिम दिशा में मेड़ों पर वायु वृक्ष जैसे शीशम, बबूल व खेजड़ी आदि लगाए जा सकते हैं।

फसलों की जाँच: संयुक्त निदेशक डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि रबी की फसलें गेंहू, जौ, सरसों, चना, तारामीरा समेत अन्य सभी फसलें सामान्य स्थिति में हैं। मौसम की कुछ विपरीत परिस्थितियों में फसलों में नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है, जो पैदावार को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है।

नुकसान से बचाव: पिछले वर्ष तेज सर्दी के कारण, सरसों, गेंहू, जौ, इशबगोल आदि फसलों में काफी नुकसान हुआ था। किसानों को चाहिए कि वे फसल को मौसम की इस प्रतिकूल परिस्थिति से बचने के लिए अपने खेत में कुछ उपाए करें, जिससे पाले व शीतलहर से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

इस प्रकार, राजस्थान के किसानों को खेती के क्षेत्र में नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उन्हें उपयुक्त उपायों का अनुसरण करके अपनी फसलों को सुरक्षित रखने की क्षमता है। न केवल कृषि विभाग के अधिकारी, बल्कि किसान भी इस समय पर सतर्क रहें और अपनी फसलों की देखभाल में विशेष ध्यान दें।

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