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मानसून में ककोड़ा की खेती: एक शानदार निवेश का मौका

Rahul Saharan, September 12, 2024September 12, 2024

राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी मालूम है की ककोड़ा आज हर घर तक पहुंचा हुआ है। ककोड़ा मानसून में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली सब्जी है। ककोड़ा का वैज्ञानिक नाम- मोमोरडिका डोइका है। ककोड़ा को कटवल, खेखसी, मीठा करेला आदि प्रकार के नामो से भी जाना जाता है। जिसकी मांग आजकल बाजार में बहुत अधिक है। ककोड़ा सामन्यत: पहाड़ी जमीन या पहाड़ी इलाको में होता है। बरसात के मौसम में यह सभी काफी अच्छी चलती है। और इस सब्जी का औषधीय महत्व भी है यह सब्जी बुखार या मूत्र संबधी बीमारियों में लाभदायक है।

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क्या है ककोड़ा –

किसान साथियों ककोड़ा एक प्रकार की कद्दू के वर्ग की सब्जी है। जो एक बहुवर्षीय प्रकार की सब्जी है। ककोड़ा का खाने में स्वाद बहुत अधिक अच्छा होता है। और सब्जी के साथ साथ इसका अचार के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। ककोड़ा में पोषक तत्वों की मात्रा भरपूर होती है। आर्थिक दृष्टि से ककोड़ा की खेती किसानो के लिए बहुत अधिक लाभदायक है। और इसके साथ साथ यह सब्जी विभिन्न प्रकार की बीमारियों में भी कारगर साबित होती है।

ककोड़ा की खेती से मुनाफा –

किसान साथियो आर्थिक दृष्टि से ककोड़ा की खेती किसानो के लिए बहुत अधिक लाभदायक है।और ककोड़ा की सब्जी लगभग 3 महीनो में पककर तैयार हो जाती है। जिसका बेचान करके किसान भाई अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है। और कामकोड़ा की खेती में इसकी कटाई अआप एक साल के बाद भी कर सकते है। ककोड़ा की फसल को एक बार लगा देने के बाद आप इससे लगभग 10 सालो तक उत्पादन ले सकते है। अर्थात ककोड़ा को एक बार लगा देने के बाद आप लगभग 10 सालो तक इससे मुनाफा कमा सकते है। ककोड़ा का अनुमानित भाव लगभग 100 रूपये के आस पास रहता है। और जैसे जैसे मॉर्केट में इसको मांग बढ़ती जाती है वैसे वैसे इसके दाम बढ़ते हुए लगभग 150 रूपये तक पहुंच जाते है।

किसान साथियो एक सुचना के अनुसार महाराष्ट्र राज्य के भोकर तहसील के आनंद बोइनवाड़ में लगभग 3 एकड़ भूमि में ककोड़ा की खेती की हुयी है। जिससे 3 एकड़ भूमि में लगभग 70 क्विंटल के आस पास ककोड़ा की उत्पादकता हो जाती है। तथा इसका बेचान लगभग 15000 रूपये प्रति क्विंटल की दर से करने पर लगभग 09 लाख रुपये का मुनाफा होता है। इसमें से खेती की लागत को 02 लाख रूपये भी यदि माना जाए तो भी 07 लाख रूपये का मुनाफा लिया जा सकता है।

ककोड़ा की उन्नत किस्में –

किसान साथियो ककिसी भी फसल का बीजान करने से पहले जरूरी होता है की फसल की किस्मों का चुनाव करना। ठीक उसकी प्रकार ककोड़ा की खेती करने पर सबसे पहले इसकी उन्नत किस्मो का चयन करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। ककोड़ा की उन्नत किस्म के रूप में अम्बिका-12-1, अम्बिका-12-2, अम्बिका-12-3 तथा इसके अलावा एक सबसे महत्वपूर्ण किस्म इंदिरा गाँधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के द्वारा इंदिरा ककोड़ा 1 (RMF-37) नामक विकसित की गयी है।

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इस किस्म का इस्तेमाल छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखण्ड तथा महाराष्ट्र में किया जाता है। और यह किस्म कीटों के प्रति प्रतिरोधी है। और यह किस्म लगभग 40 दिन में कटाई हेतु तैयार हो जाती है। और इस किस्म से उत्पादकता प्रथम वर्ष में लगभग 04 क्विंटल प्रति एकड़ होती है तथा दूसरे और तीसरे वर्ष में क्रमश: 06 क्विंटल तथा 08 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है।

ककोड़ा की खेती कैसे करें-

किसान साथियो ककोड़ा की खेती लगभग सभी प्रकार की भूमि की जा सकती है केवल अम्लीय प्रवृति की भूमि को छोड़कर। कंकड़ की खेती के लिए रेत वाली भूमि जिसमे जल निकास की उचित व्यवस्था हो तथा उस मिट्टी में पोषात्क तत्व तथा जैविक तत्वों की मात्रा भरपूर हो तो वह इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त भूमि होती है। जिस जमीन में आप इसकी खेती कर रहे है उस जमीन की PH मात्रा लगभग 6-7 के बीच में ही होना चाहिए।

इसकी खेती करने से पहले जमीन को अच्छी तरह से जोतकर के तैयार लेवे। और अब आपको एक अच्छी किस्म के बीज जिउंकि अंकुरण क्षमता और गुणवत्ता बहुत अधिक अच्छी हो उनका लगभग 08 से 10 किलो बीज का चुनाव करना है। और यदि आप इसकी खेती के लिए ककोड़ा के कन्द का उपयोग कर रहे है तो आपको लगभग 10000 कन्द प्रति हेक्टेयर के अनुसार लगाना होगा।

इसकी खेती समतल जमीन पर न होकर क्यारियाँ या गड्डो से की जा सकती है। और बिजान करते समय 2 मेड़ो के बीच की दुरी कम से कम 1 मित्र के आस पास होनी चाहिए। तथा 1 सेंटीमीटर की दुरी पर लगभग 3 बीज लगाना चाहिए। और प्रत्येक गड्डे में 2 से 3 बीज के बीच एक नर पौधा आवश्यक रूप से लगाए।

ककोड़ा की खेती में उर्वरक –

ककोड़ा की खेती करने के लिए सबसे पहले जिस खेत में इसकी खेती करनी है उसमें लगभग 250 कविण्टल प्रति हैक्टेयर के हिसाब से गोबर की खाद खेत की जुताई करते समय देनी होती है। इसके पश्चात इसमें रासायनिक उर्वरक जैसे यूरिया लगभग 66 किलोग्राम, SSP लगभग 377 किलोग्राम, MOP लगभग 68 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर के हिसाब से खेत में डालनी चाहिए। ये सब करने के बाद खेत में एक पानी लगा देना चाहिए।

यदि आप बरसात के मौसम में ककोड़ा की खेती कर रहे है तो आपको पानी लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है। अगर दो बार बरसात होने के बीच में अधिक समय लगता है तो आपको एक बार पानी आवश्यक रूप से लगाना चाहिए। और खेत में जल भराव की स्थिति पैदा न हो इसलिए आपको जल की निकासी के लिए सभी आवश्यक निदान करने चाहिए। क्योकि अधिक जल भराव की स्थिति में ककोड़ा की फसल के बीज और कन्द सड़ने की समस्या आ सकती है। और खेत में खरपतवार न हो इसलिए समय समय पर खरपतवार को निकलते रहने चाहिए। और ककोड़ा की बेल को सीधे जमीन पर न रख कर आप मचान विधि का उपयोग कर सकते है।

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