खेती में जलवायु परिवर्तन का बढ़ता खतरा : जानें विशेषज्ञों की राय Rajendra Suthar, July 15, 2024July 15, 2024 किसान भाइयों हर वर्ष हो रहा जलवायु में परिवर्तन काफी चिंताजनक है। किसान साथियों जलवायु परिवर्तन एक ऐसा मुद्दा है, जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है और इसका असर कृषि पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादन में कमी, फसलों की गुणवत्ता में गिरावट और किसानों की आर्थिक स्थिति में गिरावट देखने को मिल रही है।किसान भाइयों पहले जिन जगहों पर ग्राउंड वाटर (बोरिंग) 100 फ़ीट या उससे कम पर मिल जाती थी, आज वही लोगों को अधिक फ़ीट की बोरिंग करवानी पड़ रही है।जलवायु परिवर्तन का प्रभावरिपोर्ट के अनुसार, मिट्टी का क्षरण, फसल चक्र का टूटना और कीट नियंत्रण जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली कृषि चुनौतियाँ हैं। परंपरागत पद्धतियों, जैसे कि फसल चक्र और इंटरक्रॉपिंग आदि जलवायु में हो रहे बदलाव को कम करने में मदद कर सकती हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों का उत्पादन कम हो जाता है और पोषक तत्वों की कमी भी हो जाती है। सरकार के अनुमान के अनुसार, यदि उपाय नहीं किए गए, आयने वाले सालों में 2050 तक चावल की उत्पादकता 20% और गेहूं की उत्पादकता 19.3% घट सकती है। मक्के की पैदावार में भी 18% की गिरावट का अनुमान है।मौसमी बदलाव: जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की मात्रा और वितरण में बदलाव आ रहा है। बारिश के समय में हो रहे बदलाव के कारण किसानों के लिए फसल बुवाई और कटाई का समय भी प्रभावित हो रहा है। इससे खाद्य उत्पादन में कमी आ सकती है।तापमान में वृद्धि : जलवायु परिवर्तन के कारण औसत तापमान में वृद्धि हो रही है। यह वृद्धि फसलों की वृद्धि और उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। उच्च तापमान से फसलें जल्दी पकती हैं, जिससे उत्पादन में कमी आती है।वर्षा चक्र में बदलाव : जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा चक्र में हो रहे बदलाव कृषि के लिए एक बड़ा खतरा है। कहीं अधिक वर्षा हो रही है, तो कहीं सूखा पड़ रहा है। अनियमित वर्षा फसलों की सिंचाई में समस्या उत्पन्न करती है और इससे फसलें प्रभावित होती हैं।जल संकट: जलवायु में परिवर्तन के कारण सूखा और बाढ़ की घटनाएँ बढ़ रही हैं। इससे सिंचाई के लिए जल उपलब्धता में कमी आ सकती है, जो कि कृषि के लिए एक बड़ा खतरा है।कीटो और रोगों का बढ़ता खतरा : जलवायु में हो रहे परिवर्तन के कारण कीटों और रोगों की संख्या भी बढ़ रही है। क्योकि उच्च तापमान और अधिक आर्द्रता की स्थिति में कीटों की प्रजनन दर भी बढ़ जाती है, जिससे फसलों को नुकसान पहुँचता है और उत्पादकता प्रभावित होती है।विशेषज्ञों की रायकृषि विशेषज्ञों का मानना है कि हमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण सुझाव निम्नलिखित हैं:-सतत कृषि प्रथाए: कृषि विशेषज्ञों की राय के अनुसार किसानों को सतत कृषि प्रथाओं को अपनाना चाहिए, जैसे कि फसल चक्र, जैविक खेती, और जल संरक्षण तकनीक। इससे मिट्टी की सेहत में सुधार होगा और उत्पादन में स्थिरता आएगी।जल प्रबंधन: जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। वर्षा के पानी का संचयन, ड्रिप सिंचाई, और जल पुनर्चक्रण तकनीकें जल संकट को कम करने में मदद कर सकती हैं।फसल विविधता: फसल विविधता से कृषि प्रणाली को मजबूत बनाया जा सकता है। विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन करने से किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लचीला बनाया जा सकता है।शोध और नवाचार: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए शोध और नवाचार आवश्यक हैं। नए बीजों का विकास जो उच्च तापमान और सूखे के प्रति सहनशील हो, इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।एग्रीकल्चर एक्सपर्ट डॉ. आकांक्षा सिंह ने बताया कि पेड़ों की कटाई के कारण तापमान में वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही, यह खेतों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। पेड़ों के कटाव से कई ऐसी गैसें उत्पन्न हो रही हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा दे रही हैं। इसके परिणामस्वरूप ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाना आवश्यक है। इससे खेतों की स्थिति बेहतर होगी और हीट वेव जैसी समस्याओं में भी कमी आएगी।निष्कर्षकिसान साथियों जलवायु परिवर्तन एक जटिल समस्या है, जिसका प्रभाव कृषि क्षेत्र पर गंभीर है। विशेषज्ञों की राय यह है कि हमें इसे लेकर सतर्क रहना होगा और सक्रिय कदम उठाने होंगे। सतत कृषि प्रथाएँ, जल प्रबंधन, फसल विविधता, और अनुसंधान को बढ़ावा देकर ही हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं। किसान भाइयों यदि आज हम हो रहे जलवायु परिवर्तन के ओर ध्यान नहीं देते है तो आने वाली पीढ़ियों को खाद्य सुरक्षा के संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम सभी मिलकर इस दिशा में काम करें और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में योगदान दें।जलवायु परिवर्तन के इस बढ़ते खतरे का सामना करने के लिए हमें न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचने की आवश्यकता है, बल्कि सामुदायिक और सरकारी स्तर पर भी कार्यवाही करनी होगी। हर छोटे कदम से भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।Disclaimer– हम emandibhav.com के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को फसल/फल खरीदने या बेचने की सलाह नहीं देते हैं, हम सिर्फ आप तक बाजार के भाव पहुंचाने का प्रयास करते हैं जिससे आपको अपना निर्णय लेने में सहायता हो। अपनी फसल की खरीद फरोख्त करते समय अपनी सम्बन्धित कृषि मंडी सिमिति से भाव की पुष्टि जरुर कर ले।आपके किसी भी प्रकार के वित्तीय नुकसान के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे। कृषि समाचार