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भारत 01 मई से चावल निर्यात पर नई टैरिफ लाइन लागू करेगा, जिससे 20 किस्मों को लाभ मिलेगा।

Rahul Saharan, April 7, 2025April 7, 2025

राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी को मालूम है कि भारत एक प्रमुख चावल उत्पादक देश है और वैश्विक चावल बाजार में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। देश दुनिया के कुल चावल निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा भारत प्रदान करता है, जो भारत को विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बनाता है। हाल ही में चावल के निर्यात को लेकर के भारत ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। जिसके अंतर्गत भारत 01 मई से चावल निर्यात पर नई टैरिफ लाइन लागू करेगा, जिससे 20 किस्मों को लाभ मिलेगा।

किसान भाइयों भारत सरकार द्धारा घरेलू खपत और कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए जुलाई 2023 में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन फिर भी सरकार द्वारा समय-समय पर कुछ देशों को सीमित मात्रा में चावल निर्यात करने की छूट देती रही है। बीते दिनों में सरकार ने मलेशिया को सीमित मात्रा में गैर-बासमती चावल निर्यात करने की स्वीकृति दे दी है। मलेशिया ने अपनी खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए भारत सरकार से चावल के निर्यात की मांग की थी। इससे पहले, भारत ने नेपाल, मिस्र, सिंगापुर जैसे कई अन्य देशों को भी चावल का निर्यात किया था।

क्या है नई टैरिफ लाइन-

किसान साथियों भारत सरकार ने हाल ही में एक बहुत ही महत्व पूर्ण फैसला लिया जिसके अनुसार भारत 01 मई से चावल निर्यात पर नई टैरिफ लाइन लागू करेगा, जिससे 20 किस्मों को लाभ मिलेगा। इस फैसले में वाणिज्य मंत्री जितिन प्रसाद के अनुसार जीआई टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेंशस ऑफ़ गुड्स) रजिस्ट्रेशन एंड प्रोडक्शन एक्ट 1999 के अनुसार जो चावल भारत के 10 से अधिक राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में उगाए जाते है। उनके लिए ये नई टैरिफ लाइन लागू की जा रही है। इससे चावल की लगभग 20 किस्मों को लाभ प्राप्त होगा। इस टैरिफ लाइन को भारत सरकार चावल आधारित प्रक्रिया जैसे की प्री-बॉयल्ड और अन्य तथा साथ ही जीआई टैग प्राप्त बासमती चावल के आधार पर लागु करेंगी।

किसान भाईयों भारत के वाणिज्य मंत्री जितिन प्रसाद के अनुसार नई टैरिफ लाइन को सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम 1975 में संसोधन करके बनाया गया है। और यह 29 मार्च 2025 को पास किया गया है। इसमें जीआई टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेंशस ऑफ़ गुड्स) रजिस्ट्रेशन एंड प्रोडक्शन एक्ट 1999 के अनुसार जो चावल भारत के 10 से अधिक राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में उगाए जाते है।

चावल की जीआई टैग (GI TAG) प्राप्त किस्में-

भारत की चावल की किस्मे जिन्हें जीआई टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेंशस ऑफ़ गुड्स) प्राप्त हुआ है वो निम्नलिखित प्रकार से है-

बासमती चावलपलक्क्ड़न मट्टा चावलपोक्क्ली चावलवायनाड जिरकासला चावल
कालानमक चावलअंबेमोहर चावलगोबिंदोभोग चावलचोकुवा चावल
वायनाड गंधकसाला चावलकैपाद (कायपाद) चावलअजारा घनसाल चावलअसम का जोहा चावल
तुलाईपंजी चावलकटारनी चावलमार्चा चावलचिन्नौर चावल
कोरापुट काला जीरा चावलनवारा चावलखुशबू की रानी चावलजीराफूल चावल
भादरा चिनूर चावलकलौनिआ चावलखामती चावललाल चावल(उत्तराखंड)

इस वर्ष चावल की बुवाई का रिकॉर्ड-

भारत विश्व में चावल के उत्पादन और निर्यात दोनों में प्रमुख देश है। देश वैश्विक चावल निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करता है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बनता है। इस वर्ष, खरीफ सीजन के दौरान चावल की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 2023-24में चावल का उत्पादन 1378.25 लाख टन अनुमानित है, जो 2022-23 के 1357.55 लाख टन की तुलना में 20.70 लाख टन अधिक है इस बढ़ते उत्पादन के साथ, भारत की चावल निर्यात क्षमता में भी वृद्धि की उम्मीद है।

अधिक गर्मी से गेंहू की फसल को क्या नुकसान-

किसान साथियों भारत सरकार के कृषि राज्य मंत्री श्री भगीरथ चौधरी के अनुसार आईसीएआर (ICAR) के भारतीय गेंहू और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के द्धारा वर्ष 2021-22 में किये गए एक अध्ययन के द्धारा यह पाया गया की उत्तरी-पश्चिमी मैदान क्षेत्र (नार्थ-वेस्टर्न प्लेन जोन-NWPZ) में तापमान में औसतन लगभग 5.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़त देखि गयी। तापमान में दर्ज की गयी इस बढ़त के द्धारा गेंहू की औसत उपज में लगभग 5.6% की कमी दर्ज हुयी।

किसान भाइयों तापमान में क्षेत्रीय भिन्नता, फसल की अवस्था और ताप सहनशीलता किस्मों के कारण गेंहू की औसत उत्पादकता वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय स्तर पर 3537 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर दर्ज की गई। जो की वर्ष 2020-21 की औसत उत्पादकता से अधिक थी। गेंहू की औसत उत्पादकता वर्ष 2020-21 में राष्ट्रीय स्तर पर 3521 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर दर्ज की गई थी। किसान साथियों गत 10 वर्षों से गेंहू की खेती का लगभग 60 प्रतिशत ताप सहनशीलता किस्मों के द्धारा ही की जा रही है।

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