आयात ड्यूटी में वृद्धि: सरसों और सोयाबीन के किसानों को मिल सकता है बड़ा लाभ Rajendra Suthar, September 18, 2024September 18, 2024 किसान भाइयों, हाल ही के दिनों में तेल तिलहन के व्यापार में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। जिसमे सरसों और सोयाबीन के भावों में जो तेजी देखने को मिल रही है, उसके पीछे एक बड़ी खबर सामने आई है। खबर के अनुसार भारत सरकार ने कच्चे और रिफाइनड खाद्य तेलों पर मूल आयात ड्यूटी में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि करने का निर्णय लिया है। यह कदम स्थानीय तिलहन किसानों के समर्थन में उठाया गया है और इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना है।जानकारी के अनुसार हाल ही में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क को 0% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। इसके अलावा, रिफाइंड पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क को 12.5% से बढ़ाकर 32.5% कर दिया गया है। इस बढ़ोतरी के साथ, कच्चे खाद्य तेलों पर प्रभावी शुल्क 5.5% से बढ़कर 27.5% हो जाएगा, और रिफाइंड खाद्य तेलों पर यह 13.75% से बढ़कर 35.75% हो जाएगा।Also Read महिलाओं को पीएम मोदी का तोहफा: सुभद्रा योजना से मिलेगे सालाना 10 हजार रुपये कीमतों पर प्रभावभारत की खाद्य तेलों की कुल खपत की बात करे तो खपत का का 65% से अधिक हिस्सा विदेशों से आयात किया जाता है। मुख्य रूप से पाम ऑयल इंडोनेशिया और मलेशिया से, जबकि सोया और सूरजमुखी तेल अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से आयात किया जाता है। आयात शुल्क में इस वृद्धि का सबसे पहला असर यह होगा कि अब भारत में खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे घरेलू मांग घट सकती है, लेकिन दूसरी ओर, विदेशी तेलों की खरीद में भी कमी देखने को सकती है।किसानों को होने वाले लाभकिसान साथियों जैसे-जैसे विदेशी खाद्य तेल महंगा होगा, घरेलू तेलों की मांग बढ़ेगी। इससे सरसों और सोयाबीन के बाजार में तेजी आने की संभावना है। इस बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए तेल मिल्स सरसों और सोयाबीन की खरीद बढ़ाएंगी, जिससे मंडियों में भावों में उछाल देखने को मिल सकता है।Also Read अक्टूबर के पहले सप्ताह में करें सरसों की बिजाई: जानें खेती के टिप्स और सलाह वही विशेषज्ञों का मानना है कि आयात शुल्क की बढ़ोतरी के चलते सरसों और सोयाबीन के भावों में लगभग 20% तक की वृद्धि होने की संभावना है। यह वृद्धि किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। इसके अलावा, यदि नाफेड अपनी बिक्री को तेजी से बढ़ाता है, तो बाजार में तेजी सीमित रह सकती है।सरसों के भाव की बात करे तो सरसों के भाव हाजिर मंडियों में 6500 रुपये और कंडीशन सरसों की मिल पहुंच में 7500 रुपये तक जाने की उम्मीद है। वहीं, सोयाबीन के भाव में 15% का उछाल देखने को मिल सकता है। सरकार की भूमिका भी इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण होगी। नाफेड यदि अपनी बिक्री में बढ़ोतरी करता है, तो यह बाजार में संतुलन बना सकता है। ऐसे में यह देखना होगा कि सरकार किस प्रकार से बाजार को नियंत्रित करती है। यदि नाफेड ने अपनी बिक्री को सही ढंग से संचालित किया, तो यह घरेलू बाजार के लिए काफी हद तक फायदेमंद साबित हो सकता है।निष्कर्षकिसान साथियों आयात शुल्क में वृद्धि का लिया गया यह निर्णय स्थानीय तिलहन किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। इस निर्णय से न केवल खाद्य तेलों की कीमतों में उछाल आएगा बल्कि किसानों को अपनी फसल के उचित दाम मिलने की उम्मीद भी जगी है। जैसे-जैसे बाजार में बदलाव आएंगे उसी के अनुसार किसान भाइयों को अपनी रणनीतियों को भी बदलना होगा।यह समय है कि हम इस अवसर का लाभ उठाएं और अपने उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाएं। उम्मीद है कि आने वाले समय में हमारे किसान भाइयों के अच्छे दिन आएंगे, और किसानो को उनकी कड़ी मेहनत का उचित मूल्य मिलेगा। कृषि समाचार