डीएपी खरीदते समय सतर्क रहें: जानें कैसे पहचानें असली और नकली उर्वरक Rajendra Suthar, September 29, 2024September 29, 2024 अगर आप खेती-बाड़ी करते हैं, तो ये जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। सही उर्वरक का चयन फसल की पैदावार को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि किसान उर्वरक की सही पहचान नहीं कर पाते हैं, तो इससे फसलों को गंभीर नुकसान हो सकता है।उर्वरक का महत्व : खेती में उर्वरकों का उपयोग फसलों की उपज बढ़ाने के लिए किया जाता है। इनमे से एक प्रमुख उर्वरक है डीएपी (Diammonium Phosphate)। डीएपी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जैसे प्रमुख पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों के उचित विकास में मदद करते है। नाइट्रोजन पत्तियों और तनो की वृद्धि के लिए आवश्यक होता है जबकि फॉस्फोरस जड़ों के विकास, फूल आने और फल लगने में सहायक होते है।Also Read जीरा-ईसबगोल की खेती: 25 हजार फार्मपाउंड से बढ़ेगी किसानों की आय सही मात्रा और विधि से डीएपी का उपयोग करने से फसलों की उपज में काफी वृद्धि हो सकती है, जिससे किसानों को बेहतर आर्थिक लाभ होता है। लेकिन किसानों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वे नकली उर्वरकों से बचें, क्योंकि ये न केवल फसलों की गुणवत्ता को खराब करते हैं बल्कि आर्थिक रूप से भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।सही उर्वरक की पहचान के लिए महत्वपूर्ण टिप्सरसीद अवश्य लें: जब आप उर्वरक खरीदें तो हमेशा पक्की रसीद लेना न भूले यह आपके के लिए भविष्य में मददगार साबित हो सकती है।पंजीकृत दुकानों से खरीदें: हमेशा उर्वरक पंजीकृत और मान्यता प्राप्त दुकानों से खरीदें। इससे असली उत्पाद मिलने की संभावना अधिक रहती है।POS मशीन का उपयोग: जब उर्वरक की खरीदारी करें तो POS मशीन से खरीदते समय अंगूठा लगाकर रसीद प्राप्त करना ना भूले। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आप सही उर्वरक खरीद रहे हैं।Also Read कृषि में नवाचार: सोयाबीन, मूंगफली, कुसुम और तिल की 7 नई किस्में लॉन्च असली डीएपी की पहचान कैसे करें?असली डीएपी की पहचान करना अत्यधिक आवश्यक है।दानेदार और सख्त: असली डीएपी दानेदार होता है और इसके दाने सख्त होते हैं। यदि दाने नरम हैं, तो यह संभवतः नकली हो सकता है।रंग: असली डीएपी का रंग भूरा, काला या बदामी होता है। अगर रंग बहुत हल्का या भिन्न है, तो यह संदेहास्पद हो सकता है।नाख़ून परीक्षण: इसे नाख़ून से आसानी से नहीं तोडा जा सकता। यदि इसे नाख़ून से तोड़ने के कोशिश करते है और यह टूट जाता है तो यह नकली हो सकता है।गंध: डीएपी की पहचान के लिए कुछ दानों को हाथ में लेकर चूना मिलाकर मसलने पर तीक्ष्ण गंध आती है। यह गंध सूंघने में मुश्किल होती है, लेकिन यह असली उर्वरक की पहचान करने में सहायक है।तवे पर परीक्षण: तवे पर धीमी आंच पर डीएपी के दाने गर्म करने पर वे फूल जाते हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह असली डीएपी हो सकता है।नकली उर्वरक के खतरे : किसान साथियों के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि वे डीएपी या किसी अन्य उर्वरक को खरीदते समय सतर्क रहें। नकली उर्वरक का इस्तेमाल करने से न केवल फसलों की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता को भी कम कर देता है। इसके अलावा, इससे किसानों को वित्तीय नुकसान भी हो सकता है।किसानों के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वे उपरोक्त सावधानियों का पालन करें। नकली उर्वरक से बचकर ही आप अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं। सही उर्वरक का चयन न केवल फसलों की गुणवत्ता को बनाए रखता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखने में मदद करता है।निष्कर्षकिसान भाईयों, खेती में सफलता का एक बड़ा हिस्सा सही उर्वरक का चयन करना है। डीएपी जैसे उर्वरकों का सही उपयोग करने से आप अपनी फसल की गुणवत्ता और उपज में वृद्धि कर सकते हैं। हमेशा पंजीकृत दुकानों से खरीदारी करें और नकली उर्वरकों से बचें। सतर्क रहकर आप अपनी मेहनत का सही फल प्राप्त कर सकते हैं।उम्मीद है कि ये सुझाव आपके लिए उपयोगी साबित होंगे। खेती में समृद्धि के लिए सही कदम उठाना हमेशा जरूरी है। कृषि सलाह