गैर बासमती चावल के निर्यात को सरकार का समर्थन: अब सीमित मात्रा में भेजी जाएगी शिपमेंट Rajendra Suthar, August 23, 2024August 23, 2024 भारत एक प्रमुख चावल उत्पादक देश है और वैश्विक चावल बाजार में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। देश दुनिया के कुल चावल निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा भारत प्रदान करता है, जो भारत को विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बनाता है। इस संदर्भ में, गैर-बासमती चावल का निर्यात एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो भारतीय कृषि क्षेत्र और अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है।किसान भाइयों भारत सरकार द्वारा घरेलू खपत और कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए जुलाई 2023 में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन फिर भी सरकार द्वारा समय-समय पर कुछ देशों को सीमित मात्रा में चावल निर्यात करने की छूट देती रही है। बीते दिनों में सरकार ने मलेशिया को सीमित मात्रा में गैर-बासमती चावल निर्यात करने की स्वीकृति दे दी है। मलेशिया ने अपनी खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए भारत सरकार से चावल के निर्यात की मांग की थी। इससे पहले, भारत ने नेपाल, मिस्र, सिंगापुर जैसे कई अन्य देशों को भी चावल का निर्यात किया था।Also Read पौधों के लिए घर में तैयार करें खाद : जानें घर में खाद तैयार करने का आसान तरीका विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) से प्राप्त सुचना के अनुसार, भारत ने मलेशिया को 2,00,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात करने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो सेरी अनवर बिन इब्राहिम की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुसार लिया गया है। मलेशिया ने अपनी बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत से चावल की मांग की थी। उल्लेखनीय है कि भारत ने पहले अक्टूबर 2023 में भी मलेशिया को 1,70,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात करने की अनुमति दी थी। इन दोनों ही बार चावल का निर्यात राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड के माध्यम से किया जा रहा है।भारत और मलेशिया के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। यह निर्यात दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगा और मलेशिया की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करेगा।अब किन-किन देशों में होगा गैर-बासमती चावल का निर्यातविदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के अनुसार, भारत सरकार विभिन्न देशों को गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात करने की मंजूरी दे रही है। यह निर्यात मुख्य रूप से चावल की आवश्यकता वाले देशो के आग्रह पर किया जा रहा है। इससे से पहले भारत ने नेपाल, कैमरून, कोटे डी आइवर, गिनी गणराज्य, फिलीपींस, सेशेल्स, यूएई, सिंगापुर, कोमोरोस, मेडागास्कर, इक्वेटोरियल गिनी, मिस्र, केन्या और तंजानिया जैसे देशों को गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात करने की स्वीकृति दी थी।निर्यात के आंकड़ों की बात करें तो भारत से सबसे अधिक गैर-बासमती चावल अफ्रीकी देश बेनिन खरीदता है। इस निर्यात से न केवल भारत के किसानों को लाभ पहुंचाता है, बल्कि भारत के व्यापारिक संबंधों को भी मजबूत मिलती है।Also Read देशी गाय के गोबर से बने कचरा डीकंपोजर से मिट्टी की सेहत में सुधार: जानिए कैसे इस वर्ष चावल की बुवाई का रिकॉर्डभारत विश्व में चावल के उत्पादन और निर्यात दोनों में प्रमुख देश है। देश वैश्विक चावल निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करता है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बनता है। इस वर्ष, खरीफ सीजन के दौरान चावल की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 20 अगस्त तक देश में 369.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती की जा रही है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 20 लाख हेक्टेयर अधिक है। इस बढ़ते उत्पादन के साथ, भारत की चावल निर्यात क्षमता में भी वृद्धि की उम्मीद है।निष्कर्षभारत का गैर-बासमती चावल निर्यात की नई नीति वैश्विक खाद्य सुरक्षा को समर्थन देने के साथ-साथ घरेलू बाजार में स्थिरता बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण कदम है। मलेशिया और अन्य देशों को चावल निर्यात करने की अनुमति से भारत के व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे और किसानों को आर्थिक लाभ होगा। इस प्रकार की नीतियाँ भारत के वैश्विक कृषि क्षेत्र में प्रभाव को और भी बढ़ावा देती हैं, और आने वाले वर्षों में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार करती हैं। कृषि समाचार